Hindi horror stories

                                          भिखारन् चुड़ैल की काली रात

   


आप देख रहे है भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते  हैं। आज की कहानी की ओर दोस्तो दिसंबर का वह महीना था। जब कड़ाके की ठंड पड़ रही।थी तब मैं अपने दोस्त निखिल के गांव गया हुआ था। उस गांव का नाम प्रीतमपुर था। दर्शल् निखिल की बहन की इसी हफ्ते में शादी थी। जिस वजह से उसने हमें पहली बार बुलाया था। निखिल का गांव दिखने में सुंदर लगता था तो रात होते ही वह उतना ही डरावना दर्शल् उस गांव में रात के 9:00 बजते हि  घर के सभी दरवाजे बंद हो जाते थे। अगर गलती से भी किसी घर का दरवाजा खुल गया तो फिर जो आगे होता उसे सुनकर आपकी भी रूह कप् कप् आ जाएगी तो चलिए जानते गांव की पूरी सच्चाई और भी विस्तार से दोस्तों मेरा नाम सिद्धार्थ है। 12 घंटे ट्रेन का सफर करने के बाद जब मैं जिगनी रेलवे स्टेशन पर उतरा तो मैंने देखा कि स्टेशन पर गिने चुने लोग् हि थे और इस सर्द हवाएं है। मेरे रोंगटे खड़े कर दे रहे थे। तो मैंने बैग में रखे चाय के को निकालकर पहन लिया और मैं स्टेशन से बाहर निकल आया। स्टेशन से बाहर आने पर मैं निखिल का वेट करने लगा क्योंकि जब मैंने उसे कॉल किया था तो उसने कहा था कि तुम्हारे स्टेशन पहुंचने से पहले मैं स्टेशन पर पहुंच जाऊंगा। जिस वजह से मेरे स्टेशन से बाहर आ कर निखिल का इंतजार करने लगा। स्टेशन के बाहर एक चाय की दुकान थी। उसी दुकान के पास आग् बार कर कुछ लोग बैठे हुए थे। उन्हें आपके पास देख कर मैं भी उनके पास जाकर खड़ा हो गया और मैं अपने हाथ पैर को देखने लगा और साथ ही साथ उस दुकानदार से कहा की काका एक चाय हमें भी दे दो। मेरे इतना कहने पर उस बूढ़े आदमी ने मुझे केतली में से चाय  निकाल कर दे दी और मैंने अभी चाय की एक ही चुस्की मारी थी कि तभी वहां पर निखिल आ गया। निखिल को देखकर मैंने उस दुकानदार से एक चाय और मांगि और जैसे निखिल मेरे पास आया तो वैसे उस दुकान दार् ने निखिल को चाय थमा दी और फिर हम दोनों चाय की चुस्की लेते हुए।हम दोनों स्टेशन से निकलकर घर की ओर बढ़ने लगे। निखिल बाइक को चलाते हो जा रहा था तो उसने कहा कि और भाई सफर कैसा रहा जिस पर मैंने कहा कि मैं जिस सीट पर बैठा हुआ था, उसि सीट के सामने एक लड़की बैठी थी तो उसी से बातें करते हुए कब मैं यहां पर पहुंच गया पता ही नहीं चला और हां मजे की बात तो यह है कि मैं बातों-बातों में उस लड़की का नंबर ले आया हूं। अभी घर पहुंचकर कॉल करूंगा। मैंरि ये बात सुनकर निखिल ने कहा, क्या है भाई मुझे भी वो ट्रिक बता दे जो एक बार लड़की लाइन में आ जाए। फिर हम दोनों आपस में बातें करते हुए जब निखिल के गांव पहुंचे तो मैंने देखा कि ठंड से बचने के लिए सभी आग् बार कर बैठे हुए थे और जब निखिल ने घर के सामने बाइक रोकि तो बाईक के रुकते हि। हम दोनों बाइक से उतर कर घर के अंदर चले गए। घर के अंदर जाते मेने निखिल के मम्मी पापा के।पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया और फिर उन्होंने कहा कि सफर करके तुम काफी थक गए होगे जाओ आराम कर लो। उनके इतना कहने पर निखिल मुझे रूम के अंदर ले आया और मुझे आराम करने के लिए कहा। इतना बोल कर निखिल  घर से बाहर निकल गया और निखिल के घर से बाहर जाते हि। जब मैंने मम्मी के पास फोन करके यह बताने के लिए कॉल किया कि मैं निखिल के घर पहुंच गया हूं। जैसे मेने मम्मी के पास कॉल किया तो मोबाइल में नेटवर्क ही नहीं थे तो मैं नेटवर्क की तलाश करते करते। मैं उस रूम से बाहर निकल आया। पर अभी भी मोबाइल में नेटवर्क आया नहीं था। जिस वजह से मैं घर से बाहर निकला आया घर से बाहर आते हि मोबाइल में नेटवर्क आ गए और फिर मेरे मम्मी के पास कॉल किया। कॉल करते मम्मी ने फोन उठाया तो मैंने मम्मी को कहा कि मैं सही सलामत यहां पर पहुंच गया हूं। अभी मैं फोन पर बात ही कर रहा था कि तभी मैंने देखा कि गांव में चारों तरफ सन्नाटा पसर गया था। जहां पर कुछ समय पहले गांव में चहल-पहल हो रहि थी तो वहीं घरों के आगे। कोई भी मुझे नजर नहीं आ रहा था। अभी मैं यह सब नजारा देख ही रहा था कि तभी निखिल अचानक से मुझे घर के अंदर खींच लाया। घर के अंदर खींचते उसने घर का दरवाजा बंद कर दिया। निखिल ने मुझे इस तरह से खींचा है कि मुझे उसका यह बर्ताव  मुझे। बहुत ही बुरा लगा और जब मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो वह बहुत ही घबराए हुआ था। निखिल को इस तरह देखकर मैंने उससे कहा भाई क्या हुआ मेरे इतना कहते हि निखिल के मम्मी पापा और उसकी बहन आ गई। निखिल को इस तरह घबरा हुआ देखकर निखिल के पापा ने पूछा क्या हुआ बेटा जिस पर निखिल ने बताया कि संतोष घर के बाहर था और का दरवाजा खुला हुआ था। अगर मैं थोड़ा सा भी लेट कर देता है तो फिर पता नहीं क्या हो जाता है। निखिल की यह बात सुनकर उन सभी के चेहरे का रंग उड़ गया। उन सभी को देखकर मुझे भी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। पर कुछ तो था जिससे मैं अनजान था कि तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी और दरवाजे की छटपटाहट सुनकर उन सभी के भी होश उड़ गए और वहीं खड़ी निखिल की।बहन डर से पूरी तरह से कांप रहि थि कि तभी उस दरवाजे से किसी के रोने की आवाज आए और रोते हुए खाना मांग रहि थी और बिलक बिलक कर रो रहि थी। उस आवाज को सुनकर मानो सभी जम् से गये थे और उनका डर उनकी आंखों में साफ साफ नजर आ रहा था। उन सभी को इस तरह देखकर जब मे उस दरवाजे को खोलने के लिए गया है कि आखिर दरवाजे के पास रो कौन रहा है जैसे मे दरवाजा खोलने वाला था कि तभी निखिल ने मुझे उस दरवाजे से दूर कर दिया और कहा, अगर घर का दरवाजा खुला तो हम सभी मर जाएंगे। अब निखिल की बात सुनकर मैं हैरान हो गया तो उसने बताया कि यह कोई औरत नहीं जो खाना मांग रहि हैं, बल्कि एक भिखारन की आत्मा है जो भूख से तड़प तड़प कर मर गए थी और तभी से इस गांव में रात के 9:00 बजते हि। सब अपने घर के अंदर सो जाते हैं और अगर गलती से भी 9:00 बजे के बाद घर का दरवाजा खुला तो सुबह उन सभी की लाश मिलती है और इसी वजह से मैंने तुम्हें घर के अंदर खींच लिया, क्योंकि 9:00 बजने में कुछ ही मिनट बाकी थे। अगर मेरी नजर तुम पर नहीं पड़ी होती तो तुम घर के बाहर ही रह जाते और फिर वह भिखारन आ जाति तो फिर हम सभी का मरना तय् था वह तो। अच्छा हुआ कि मैं समय पर आ गया जो हम सभी जीन्दा है नहीं तो अगले दिन हम सभी की लाशें मिलति दोसतो निखिल की बात सुनकर मैं घबरा गया और तभी अचानक कि वह रोने की आवाज आनी बंद हो गए। अब उस आवाज के बंद होते हि हम सभी को थोड़ी राहत मिली और फिर हम सभी लोग खाना खाकर लेट गए। पर अब मुझे नींद नहीं आ रही थी। आंख बंद करके मुझे उस औरत की रोने की आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी और वह साथ ही साथ भूख से तड़प रहि थी । यह सब सवाल चल रहा था और मैं पूरी रात इधर से उधर अपनी करवटें बदलता रहा पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। इसी तरह पूरी रात बीत गई और सुबह के 4:00 बजे मेरी आंख लगि। फिर जब मेरी याद खुलि तो मे उठकर रूम से बाहर गया तो मैंने देखा कि निखिल कहीं पर जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसे तैयार होता हुआ देखकर मैंने निखिल से कहा, अरे भाई इतना सज् सवरकर कहां पर जा रहे हो तो उसने बताया कि यहां कुछ ही दूरी पर मेरे मामा का घर है और।मे उन्ही के पास जा रहा हूं। उनसे मुझे कुछ जरूरी काम है। अगर तुम्हें भी मेरे साथ चलना है तो तुम तैयार हो जाओ। अब निखिल के इतना कहते मैं तैयार हो क्र्र्। हम दोनों घर से बाहर निकले बाहर निकलते जो मैंने देखा उसे देखकर मैं हैरान हो गया। दरअसल मैंने देखा कि गांव की हरियाली और गांव की खूबसूरती देखकर मैं बहुत ही हैरान था। ऐसा खूबसूरत गाव आज तक नहीं देखा था जहां पर तरह-तरह के फूल और उन फूलों पर तितलियों का मडर आने और कोयल की कूक कूक करने की आवाज और बच्चों का किल्ली डंडा खेलना। यह सब एक अलग सुकून दे रहा था। फिर हम दोनों निखिल के मामा के घर जाने के लिए निकल गए। अब हम कुछ दूरी पर गये होंगे कि निखिल इशारा करते हुए सामने पीपल के पेड़ की तरफ देखने को कहा कि वह भिखारन इसी पीपल के पेड़ के पास रहा करति थी और उसकी मौत यहीं पर हुई थी और फिर जब बन उस पीपल के पेड़ की तरफ देखा तो उस पेड़ के चारों तरफ।बास् गाड़ा हुआ था। उस पास में चारों तरफ से धागे बंद हुए थे। अब उसे देखकर हब मेने निखिल से पूछा कि पेड़ के चारों तरफ बांदा क्यों गया है तो उसने बताया कि उस भिखारन  की आत्मा को यहीं पर कैद करने के लिए उस भिखरी की आत्मा को यहीं पर कैद करने के लिए पर उस भिखारिन की आत्मा को कैद नहीं कर पाए। निखिल। यही सब बता रहा था कि तभी मेरे फोन की घंटी बजी और जब मैंने पॉकेट में से फोन निकालकर देखा तो वह फोन उसी लड़की का था जो मेरे साथ ट्रेन में थी उस लड़की का फोन आता हूंआ। देख कर मैंने निखिल को कहा भाई ट्रेन वाली लड़की का फोन आ रहा है। इतना बोल कर अपने फोन उठाकर उस लड़की से बात की तो बात करते-करते कब निखील के मामा के घर पहुंच गए। हमें कुछ पता ही नहीं चला। निखील के मामा के घर पहुंचते।हि मैंने उस लड़की से कहा कि मैं कुछ समय के बाद कॉल करता हूं। इतना बोल कर मैंने फोन काट दिया और फोन के काटते जैसे निकलकर मामा के घर पर बाइक रोकी तो वैसे ही निखिल के मामा खेत से घास लेकर आ रहे थे। फिर हम दोनों बाइक से उतर कर वही पर पड़ी चारपाई पर बैठ गए। चारपाई पर बैठते निखिल के मामा हमारे पास आए और निखिल की बहन की शादी के बारे में बात करने लगे। बात करते-करते अब शाम होने को थी। फिर हम दोनों वहां से निकलकर घर आ गए। फिर कुछ समय के बाद हम सभी खाना खाकर सो गए हैं और जब रात को मेरी नींद खुलि तो मैंने घड़ी में समय देखा तो अभी रात के 12:00 बज रहे थे। अभी मैं करवटें बदल रहा था कि तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी और जब मैंने गोर किया तो वह वही औरतें थी जो भूख से बिलबिला रही थी और बार-बार खाना मांग रहि थी। पर पता नहीं क्यों उस औरत को रोता हुआ सुनकर मैं उस रूम से निकलकर किचन में आ गया और उस औरत के लिए खाना लेकर दरवाजे के पास पहुंचा और फिर जब मेरे दरवाजे को खोला  तो दरवाजे खुलते ही फिर जो मैंने देखा उसे देखकर तो मैं हैरान हो गया। दरअसल जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरी मां थी जिसे देखकर मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। और फिर मैं घर से बाहर आ गया। घर से बाहर आते मम्मी मेरे हाथों से खाना लेकर खाने लगी।मेरी मम्मी को इस तरह खाना खाता हुआ देख कर मुझे लग रहा था कि बहुत दिन से वह भूखी है। अभी मैं मम्मी की और ही देख रहा था कि तभी अचानक से मम्मी की शक्ल एक भयानक रूप में बदल गई, जिसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और डर से मेरे हाथ पैर कांपने लगे। अब मेरी आवाज भी नहीं निकल रहि थी और ना ही मैं इधर से उधर हो पा रहा था। जैसे मानो मैं वहां पर जम सा गया था में बहुत ही कोशिश कर रहा था। पर मैं टस से मस नहीं हो रहा था और वह चुड़ैल अभी भी खाना खा रहि थी और जैसे उस चुड़ैल ने खाना खाया कि वह पूरी तरह से अपने असली रूप में आ ग्यि उसके असली रूप में आते ही उस औरत ने कहा कि डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगी। इतना बोल कर उस औरत ने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा। उस औरत की बात सुनकर में और भी ज्यादा डर गया और वह औरत मुझे अपने साथ लेकर जाने लगि। पर उस वक्त में अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश कर रहा था। पर पता नहीं क्यों मेरे पावर रुकी नहीं रहे थे उस औरत के पीछे। मे उस पीपल के पेड़ के पास पहुंच गया और जब् मेने पीपल के पेड़ की डाल पर देखा तो उसे देखकर मेरी रूह। कप् कप् आ गयि। दरअसल मैंने देखा की डाल पर बहुत ही सारी डेडबॉडी थी पर उन सभी का सर नहीं था जिसे देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। अभी मैं डरा सेहमा वही देख रहा था कि तभी उस औरत ने कहा, डरो मत यह मैंने नहीं उस तांत्रिक ने किया है जिसने मुझे कैद कर रखा है। उस औरत के इतना कहते हि। मैंने डरते हुए उस। औरत से पूछा। कौन तांत्रिक मेरे इतना कहने पर उस औरत ने बताया कि कुछ महीने पहले की बात है। जब मैं भीख मांगते मांगते उस तांत्रिक के पास जा पहुंचे तो मेरे उस तांत्रिक से कुछ खाने के लिए मांगा जिस पर उस तांत्रिक ने खाने के लिए मुझे खिचड़ी दी और मुझे भूख बहुत लगी थी। जिस वजह से टान्तरिक के हाथ से खिचड़ी लेकर खाने लगी।खिचड़ी खाते-खाते मेरा सर घूमने लगा और मैं वहीं पर गिर पदि और जब मेरी आंख खुलि तो उसे देखकर मेरे होश उड़ गए दर्शल् मैंने देखा कि।मेरे ही सामने मेरा ही शरीर पड़ा था जिसे देखकर मेरी रूह कांप गई। अब यह सब देखकर मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि तभी मैंने उस तांत्रिक से कहा कि यह सब क्या है जिस पर उस तांत्रिक ने बताया कि मेरी बरसों की साधना सफल हो गए और हंसते बोला, मैंने तुम्हारी बॉडी से तुम्हारी आत्मा को निकाल दिया है। अब उस तंत्रिक  की बात सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गए तो मैंने उस तांत्रिक से कहा कि बाबा मेरे आत्मा को मेरे शरीर में वापस कर दो। मेरे इतना कहने पर उस तांत्रिक ने कहा कि तुम्हें मेरे लिए एक काम करना होगा तो उस तांत्रिक यह बात सुनकर मैंने कहा क्या कर सकती हूं। मैं जिस पर उस तांत्रिक ने कहा कि तुम्हें गांव के लोगों को डरा कर लाना होगा और अभी जो साधना में कर रहा हूं, यह साधना जब पूरी हो जाएगी तब मैं तुम्हारी आत्मा को तुम्हारे शरीर में भेज दूंगा। इतना बोलते ही जब उस तांत्रिक ने मेरे सामने आईना किया।तो उसे देखकर में और भी ज्यादा डर गए। दरअसल मैंने देखा कि उस आईने में मेरा चेहरा बहुत ही ज्यादा भयानक दिख रहा था। तभी उस तन्त्रिक् ने मुझे गांव में जाने के लिए कहा और किसी को अपने साथ लेकर आने के लिए कहा। उस तांत्रिक इतना कहते ही मैंने उसे जाने से मना कर दिया तो उसने मेरी डेड बॉडी पर कुछ छिड़काव किया। उसके छिड़कते हि मेरा शरीर जलने लगा। उसकी जलन इतनी ज्यादा तेज थी कि मुझसे वो जलन बरदास ही नहीं हो रहि थी। जिस वजह से मैं उस तंत्रकी बात मान गए और गांव के एक आदमी को लाकर उस तांत्रिक के पास पहुंच गए और मेरे ही सामने उस तांत्रिक ने उस आदमी की बली दें दी और मैं कुछ भी नहीं कर पाए और गांव में यह हालात पैदा हो गया है कि गांव की भिखारिन की आत्मा गांव के आदमियों को मार रहि है  और इसी वजह से गांव में 9 बजते हि सभी घरों के दरवाजे बंद हो जाते हैं और मुझे वह तांत्रिक रात 9:00 बजे के बाद आजाद करता है और वह दिन में मुझे कैद करके रखता है। मैंने कई लोगों से मदद भी मांगी। पर जो भी मेरा भयानक रूप  देखता है वो दर से मर जाता और जो गांव के लोग गायब होते हैं, यह सब वो तांत्रिक हि करवाता है। दोस्तों उस औरत की यह बात सुनकर मैंने उससे कहा कि तुम्हारी बॉडी कहां पर है। मेरे इतना कहने पर उस औरत ने बताया कि मेरे डैडबोदि उसी घर के अंदर सही सलामत है और अभी भी मेरी सांसे चल रहे हैं, पर उस तांत्रिक के पास एक अंगूठी है। अगर वह अंगूठी अपने हाथों में घिसेगा तो वह मुझे अपने काबू में कर लेगा और फिर मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी। अब तुम ही हो जो उस तांत्रिक से गांव वालों को और मुझे बचा सकते हो और ऐसा चलता रहा तो गांव में कोई भी जिन्दा नही  बचेगा। वह तांत्रिक सभी को बलि चढ़ा देगा। इतना बोल कर वो औरत वहां से गायब हो गए कि तभी किसी ने मुझे आवाज दि उस आवाज को सुनकर जब मैंने उसको देखा। तो निखिल मुझे आवाज देते हुए मेरी तरफ आ रहा था। निखिल को देख कर मैं उसके पास गया और मुझे देख कर वो खुश हो गया। तभी उसने कहा कि तुम.यहां पर कैसे आ गये फिर मैंने उसे सारी बात बताई तो मेरी बात सुन कर उस के होश उड़ गए। फिर हम दोनों घर लौट आए और घर में आते निखिल ने। सारी बात अपने मम्मी पापा को बताएं। हमारी बात सुनकर बहुत चौक गए।फिर जैसे हि सुबह के 6:00 बजे तो हम लोगों ने सभी गांव वालों को यह बात बताइए। हमारी बात सुनकर गांव वाले बहुत ही ज्यादा गुस्से में आ गए और फिर हमें एक साथ उस तंत्र के घर जा पहुंचे तो हमने देखा कि वह तांत्रिक सो रहा था। उस तांत्रिक को सोता हूंआ। देख कर मैं चुपके से खिड़की के सहारे उस तंत्र के घर में घुस गया। घर में घुसते हि मेरी नजर उस अंगूठी पर पदि जिसके बारे में उस औरत ने बताया था। उसे देखकर में आइस्था से उसकी उंगली से वह अंगूठी निकाल ली और उसे अपने जेब में रख लिया और फिर मैंने घर का दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खोलते हि गांव के लोग घर के अंदर खड़े हो गए की तबी उस तांत्रिक की आंख खुलि तो उस तांत्रिक ने कहा कि क्या हुआ इस निकल कहते हि। गांव वाले उस तांत्रिक को मारने लगे। मारते मारते हैं, उसे बेहोश कर दिया। और जब उस तांत्रिक को होश आया तो उसके सामने उस भिकार न की डेड बॉडी थी तो मैंने उस तांत्रिक उसकी आत्मा उसके शरीर में करने को कहा। मेरे इतना कहते हि उस तांत्रिक ने कुछ मंत्र पढ़ा और उस तांत्रिक मंत्र पढ़ते हि। उस औरत की आत्मा उस औरत के शरीर में आ गए। वह औरत वहां से उठ कर खड़ी हो गई। अब यह देख कर गांव वाले सभी हैरान हो गए क्योंकि कोई पहली बार मर के जिंदा हुआ था। फिर सभी गांव वालों ने उस तंत्रिक  के हाथ-पांव काट कर उसे गांव में भीख मांगने के लिए छोड़ दिया और फिर कुछ दिनों के बाद तड़प तड़प कर उस तंत्रिक  की मौत हो गई तो दोस्तों यह तो था मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक किस्सा जिसे में आज तक नहीं भूल पाया हूं तो दोस्तों इस कहानी में बस इतना है तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर।

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