Darawni Horror stories in hindi kahaniya

            NH 112 पर आज भी इस तांगेवाली का आतंक सर चढ़कर बोलता है 

                    




देख रहे हैं भूतिया एहसाह् दिवाकर के साथ तो चलिए बढ़ते  हैं। आज की कहानी की और दोस्तों मुझे ठीक से तो याद नहीं है, लेकिन उस वक्त रात के तकरीबन 8:15 बज रहे थे। चारों तरफ पूरी तरह से अंधेरा हो गया था। इस समय में मुकुंदगढ़ की एक छोटी सी गली में खड़ा था। हुआ कुछ यूं था कि उस दिन मैं अपनी आर्मी की भर्ती में जाकर वापस से घर लौट रहा था और मेरे सारे साथ ही लोग पहले ही निकल चुके थे। ऐसे में मैं अकेला ही रह गया था। मैं चाहता तो पहले ही निकल जाता लेकिन किसी पर्सनल कारण के चलते मुझे बगल वाले गांव में जाना पड़ गया था। उसके बाद में रात के करीबन 8:15 बजे के आसपास टैक्सी स्टैंड पर आ गया। दरअसल मैंने देखा कि उस टैक्सी स्टैंड के पास मुझे एक भी ऑटो नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में मैं वहीं पर रखी हुई एक टेबल पर जाकर बैठ गया और किसी साधन के आने का वेट करने लगा। टाइम बितता गया?उसके साथ ही मेरी उम्मीद  अब कम होती जा रही थी क्योंकि मुझे कोई भी टैक्सी वाला वहां पर दिखाई नहीं पड़ रहा था। ऊपर से बारिश ने भी मुसीबत में बाधा बनना शुरू कर दिया था। हल्की हल्की बारिश के चलते अब मेरे कपड़े भी गिले होने लगे थे। अब समय लगभग 9:30 बजे के आसपास हो गया था और हैरानी तो इस बात की थी। इस टैक्सी स्टैंड पर मैंने अभी तक कोई भी टैक्सी  नहीं देखी थी। तभी मैंने देखा कि मुझे उस टैक्सी स्टैंड के पास एक आदमी छाता लिए हुए अपनी तरफ आता हुआ  नजर आने लगा। उस आदमी ने पूरी की पूरी ड्रेस सफेद रंग की पहन रखी थी। उस आदमी को देखकर मेरी जान में जान आई क्योंकि इस टैक्सी स्टैंड पर बैठे-बैठे मुझे तो यही लग रहा था कि ये टैक्सी स्टैंड टैक्सी स्टैंड से कम और खामोशी का मोहल्ला ज्यादा लग रहा है। फिर वह आदमी मेरे पास आ गया। जैसे ही वह मेरे पास आया तो मैंने देखा कि उसने अपना चेहरा अपने ही सफेद रुमाल से ढक के रखा हुआ था वह।मेरे पास आया और उसने कहा भाई साहब, यहां पर अभी कोई टैक्स आएगी। क्या तो इस पर मैंने उसे बताया कि मैं भी खुद ही यहां पर टैक्सी को ढूंढ ढूंढ के परेशान हो गया हूं, लेकिन मुझे भी कोई टेक्सी  नहीं मिल रही है। जैसे उसने यह सुना है तो उसने अपनी गर्दन हिलाई और उसके बाद वह बोल पड़ा। यहां से 2 किलोमीटर आगे सस्ता बाजार पड़ता है और सस्ते बाजार में हमें कोई ना कोई टैक्सी तो मिल ही जाएगी। लेकिन वहां तक हमें पैदल ही निकलना होगा। अब उस आदमी की बात सुनकर मैं पहले तो दो पल के लिए सोचता रहा है। फिर जब मैंने उसे स्टैंड की खामोशी को महसूस किया तो मुझे लगा कि मुझे उस आदमी के साथ उसी तरफ निकल जाना चाहिए क्योंकि अब बारिश ने सफर के अंदर बाधा डालना शुरू कर दिया था। उसके बाद में उस आदमी के साथ निकल पड़ा। अब हम दोनों सबसे पहले उस टैक्सी स्टैंड से बाहर आए।तो तो मैंने देखा कि हम एक सुनसान रोड पर आ गए थे। उसके बाद उस आदमी ने मुझे अपने पीछे पीछे आने का इशारा किया। मैं उस आदमी से बात करना चाहता था, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वह मुझसे बात करने के मूड में नहीं था। उसने अपनी छाती को बंद कर लिया था। लगभग 15 मिनट बीतने के बाद अब हम दोनों एक इलाके में पहुंच गए। वहां पर मुझे कुछ टूटे-फूटे मकान नजर आ रहे थे और ब्न्जर् सी पड़ी हुई जमीन भी दिखाई दे रहि थी। सच कहूं तो यहां तो उस टैक्सी स्टैंड से भी ज्यादा सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन जैसे ही हम दोनों ने एक दरवाजे पर दस्तक दी तो मैंने देखा कि उसके अंदर बहुत सारी दुकानें खुली हुई थी और उनके सामने कुछ लोग बैठे हुए थे और अपने सामान की बिक्री कर रहे थे। उन लोगों को देखकर मुझे काफी अजीब सा लग रहा था। इतने लोग होने के बावजूद भी उस जगह पर इतना ज्यादा शोर शराबा नहीं था और ऊपर से ऐसा ही लग रहा था कि यहां पर किसी आदमी की मौत हो गई है जिसकी वजह। वैसे यह लोग यहां पर शोक मना रहे हैं। फिर वह आदमी मुझे वहां से बाहर ले गया और फिर हम दोनों एक रेड़ी के सामने पहुंचे तो मैंने देखा कि वहां पर उसे रेडी के ऊपर मुझे कुछ काजु पड़े हुए नजर आ रहे थे। सामान को देखकर मुझे लगा कि यहां का सस्ता सामान मुझे भी खरीद लेना चाहिए। इसलिए मैं सीधा उस रेडी वाले के पास गया तो मेरे साथ साथ वह आदमी भी उस रेडी के सामने आ गया था। जैसे ही मैंने उस आदमी से पूछा कि की आखिरी एक काजु तुमने कैसे दिया है तो उसने मुझे बहुत ही कम पैसे बताए। लेकिन इसी बीच में कुछ ऐसा देखा जिसे देखने के बाद मेरे पूरे शरीर में झुनझुनी सी महसूस हुई। दरअसल मैंने देखा कि जो आदमी काजू बेच रहा था, वह कोई नॉर्मल आदमी नहीं था। उसके पांव पीछे की तरफ घूम हुए थे। अब एक पल के लिए तो मैं घबरा गया था लेकिन इस समय में उस आदमी को जताना नहीं चाहता था कि मैं उसकी वास्तविकता को पहचान गया हूं। इसलिए मैंने अपने आप को शांत रखा  और उसके बाद में वहां से पीछे। की तरफ पलटने लगा। दर्शल् मेने उस रेडी वाले आदमी को यह बोल दिया था कि इस समय मेरे पास पैसे नहीं है और मैं इस सामान को बाद में खरीद लूंगा और फिर जैसे में पीछे कि तरफ आया तब उस सफेद रंग की ड्रेस पहने आदमी मेरे बगल में आकर बोला, मुझे तो लगा था। तुम सामान खरीदने वाले हो लेकिन कोई बात नहीं। तुमने अच्छा किया ना जाने वह सफेद कपड़े वाला आदमी बार-बार मुझे ऐसी कौन सी बात कह देता था जिसकी गहराई तक जाने के लिए मुझे बहुत समय लगता था। साथ ही उसकी हर एक बात के अंदर एक अजीब सा रहस्य छुपा हुआ होता था। तभी उस आदमी ने कहा वो सामने देखो एक तांगे वाला खड़ा है। अभी ये सुनते ही जब मैंने सामने की ओर देखा तो मैंने पाया कि वहां पर एक तांगे वाला था, लेकिन मेरी नजर बार-बार उसी रेडी वाले की तरफ जा रहि थी उस लेडी वाले से इस कदर डर गया था कि मेरी नजर उसके ऊपर से हटने का नाम ही नहीं ले रहि थी। तभी उस सफेद रंग के कपड़े पहने।हुये उस आदमी ने मुझसे कहा कि चिंता मत करो। यहां पर इस तरह की चीजों का देखना हम बात है और अभी तो तुम्हारा सफर शुरू हुआ है। इतना कहने के बाद वह फिर से अपनी खामोशी वाले अंदाज में रास्ते पर् तेज तेज चलने लगा अब तक मेरी धड़कनें भी तेज गति से धडकने  लगी थी लेकिन जब मैं उसे रेडी से थोड़ी दूर आ गया था तब जाकर मुझे काफी हद तक थोड़ी राहत मिली। इसी बीच हम दोनों उस स्तांगे के पास पहुंच गए और जैसे हि हम वहां पर पहुंचे तो हमने देखा कि हमे वहां पर एक तांगा खंडा हुआ नजर आ रहा था और उसके ऊपर कोई बैठा हुआ था। जो गाने गुनगुना रहा था। फिर मैं सीधा उसके पास गया तो मैंने देखा कि वह एक महिला थी। अंधेरी रात होने की वजह से मुझे उसका चेहरा ठीक से नजर तो नहीं आ रहा था, लेकिन मैं इस बात का अंदाजा अच्छी तरह से लगा सकता था कि वह एक महिला ही थी। हालांकि उस समय मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि एक महिला इतनी रात को यहां पर टांगा कैसे चला सकति थी। खेर मुझे भी इस चीज से कुछ ज्यादा मतलब नहीं था। इसलिए मैंने मतलब की बातें रखते हुए कहा, क्या आप हमें आगे पिपराली स्टैंड तक छोड़ देंगि। मेरी बात सुनते हैं। उसने हम दोनो को पीछे बैठने का इशारा किया और जैसी में पीछे की तरफ घुमा तो मैंने देखा कि वह आदमी तो पहले।हि उस टांगे के अंदर बैठ चुका था। यह मेरे लिए थोड़ा अजीब था, मगर मैंने इसके ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर मैं भी उसी के अंदर जाकर बैठ गया। उसके अंदर बैठने के बाद जब मैं उस आदमी से उसका नाम और उसके काम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह एक तांगा चलाने का काम करता है और उसका नाम निलेश है। पर मैं और भी बहुत सारी बातें उस आदमी से करना चाहता था। लेकिन तभी उस आदमी ने मुझसे कहा कि कि तुम उसका काजू वाले से यु घबराए हुए क्यू थे और जैसे उस आदमी ने मुझे यह बात याद दिलाई तो फिर से मेरे पूरे बदन में एक सनसनी से मच गयि तभी उसने कहा कि वह देखो वह काजूवाला अभी भी तुम्हारे पीछे ही आ रहा है। जैसे मैंने उस तरफ देखा तो मेरे हाथ पैर थर थर कांपने लगे थे। दरअसल मैंने देखा कि वह कांजु वाला आदमी अपने सर पर एक टोकरी लिए मेरे पीछे आ रहा था। दिखने में तो ऐसा लग रहा था जैसे कि वह सड़क पर बड़े आराम से चल रहा था लेकिन जब मैंने तांगे की स्पीड को देखा।तो मैंने पाया कि वह बहुत ही रफ्तार से भाग रहा था। एक तरफ काजूवाला भूत बड़े आराम से चलकर भी हमारे पीछे पीछे आ रहा था और उसके और टांगे के बीच में अब ज्यादा कुछ दूर ही नहीं थी। तभी मैंने सामने की तरफ बैठे। उस महिला से कहा, आप तांगा थोड़ा तेज चलाइए। मैंने इतना कहा ही था कि इतने में मैंने देखा कि उस टांगे को चलाने वाला तो वहां पर कोई बैठा ही नहीं था। अब यह देखकर मैं तो सद्  में मैं आ गया था। मैं हैरानी भरी नजरों से इधर-उधर देखने की कोशिश कर रहा था। पहले तो मुझे लगा की शायद अंधेरे में मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन फिर यह बात बिल्कुल साफ हो गई थी। की इस समय तांगा बिना ड्राइवर के चल रहा था और तभी मेरी नजर पीछे की तरफ गई  तो मैंने देखा कि पीछे की तरफ से किसी की बात करने की आवाज आ रही थी और जैसे मैं पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि यह कोई और नहीं बल्कि वह इस सफेद रंग की ड्रेस पहने आदमी था और उस तांगे को चलाने वाली  महिला थी और वह दोनों पीछे की तरफ बैठे हुए थे और वह आपस में कुछ बातें भी कर रहे।थे उन दोनों के एक साथ देकर मेरी तो रूह काप् उठी थी तभी मैंने देखा कि वह काजूवाला प्रेत भी अब बहुत ही पास आ गया था और वह उन दोनों को मुस्कुराते हुए देख रहा था। अब यह सब देखकर मैं तो सदमे में आ गया था और अब मुझे पूरी तरह से विश्वास हो गया था कि मैं भूतों की बस्ती के बीच में फस गया हूं और यह लोग मुझे अब इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाले तभी मैंने उस आदमी से कहा कौन हो। तुम और मुझे यहां पर क्यों लेकर आए हो, लेकिन उस आदमी ने मेरी बात का कोई भी जवाब नहीं दिया। वह उस महिला से बात किये जा रहा था। तभी मैंने देखा कि वहां से थोड़ी दूर आगे सड़क से सटा हुआ। मुझे मिट्टी का एक छोटा सा टीला नजर आ रहा था। फिर मैं मौका पाते ही तुरंत उस तांगे से नीचे कूद गया और जैसे मैं नीचे कूदा तो मैंने देखा कि उन दोनों के पांव भी बिल्कुल उसी काजु वाले भूत की तरह पीछे की तरफ मुड़े हुए थे और यह देखकर मेरे तो पसीने छूटने लगे। वहां से मुझे एक कच्चा रास्ता दिखाई पड़ रहा था बस फिर।क्या था मैं उसी रास्ते की तरफ सत्पत्।भागना शुरू कर दिया क्योंकि यहां तो मैं पूरी तरह भूतो के बीच में फस गया था। उस रास्ते पर भागते भागते। अब मैं खेतों के बीच में आ गया था और वहां पर मुझे सिंचाई नल के चलने की आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी। फिर भी मैं बार-बार पीछे की तरफ घूम कर देख लेता। लेकिन अब मुझे पीछे की ओर कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। फिर थोड़ी दूर आकर मुझे एक आदमी एक खेत के सामने लकड़ी का दरवाजा बंद करते हुए दिखा। ओर मे उस आदमी को देखकर मैं सीधा उसके पास चला गया और जब उसने मेरी हालत देखी तो कहीं ना कहीं वह इस बात को समझ गया था कि मैं बहुत ही बड़ी मुसीबत से बचकर आया। तभी उस आदमी ने कहा भाई साहब, इस तरह से क्यों डरे हुए हो उसके बाद में उस आदमी को विस्तार से पूरी बात बताई। मेरी बात सुनते उस आदमी ने कहा, अरे वाह साहब आप तो फालतू में डर रहे हो। दर्शल् वो को एक परिवार है और वह किसी को नुकसान नही पहुंचाता है। वह जो सफेद रंग के कपड़े पहने वाला आदमी जो आपको यहां पर लेकर आया था, वह आपको आप के भले के लिए लेकर आया था और वह काजु वाला आदमी भी उसी की फैमिली का मेंबर है।जो अपने काजू को बेचने के लिए आपके पीछे चलाया था और आप जिस महिला की बात कर रहे हो, वह भी सफेद कपड़े वाले भूत की वाइफ है। दोस्तों आज तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुझे पहेलियों में फंसा दिया था। उसके बाद उसने बताया कि वह लोग तांगा चलाने का और साथ ही खेती का भी काम किया करते थे, लेकिन पर एक दिन उसके पूरे परिवार के साथ एक रोड हादसा हो गया। जिसके अंदर उन चारों लोगों की मौत हो गई थी और फिर उसने आगे बताया कि मैं जिस टैक्सी से चलकर आया हूं वहीं से थोड़ा आगे उनका घर है और वह आदमी रात को रोजाना उस टैक्सी स्टैंड से यहां तक आता है पर उन लोगों ने आज तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन उनका डर इस कदर हावी है कि लोग उस टैक्सी स्टैंड पर नजर भी नहीं आते। फिर उसके बाद वह आदमी मुझे वहां से अपने खेत में मौजूद झोपड़ी में ले गया और वहां पर ले जाने के बाद उसने मुझे रात में आराम करने का सुझाव दिया। मैं आराम से लेट तो गया था, लेकिन अभी भी मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर उसके परिवार में वह चार मेँब्र्र्। कौन थे इस बीच कब् मेरी आंख लग गई, मुझे पता ही नहीं चला और फिर जब सुबह मेरी आंख खुलि तो मैंने देखा कि मैं सड़क के बगल में मौजूद कोई जगह पर लेटा हुआ था। यह सब देख कर मैं तो सदमे में आ गया था क्योंकि मैंने यह नहीं सोचा था कि मेरे साथ भी कभी भी ऐसी कोई घटना हो जाएगी। दोस्तों फिर उसके बाद मैं सीधा अपने घर के लिए निकल गया तभी मुझे एहसास होने लगा कि।चौथे मेंबर के बारे में जिसने मुझे बताया था वह कोई और नहीं बल्कि वह आदमी खुद ही था, जिसने मुझे झोपड़ी में रोका था और फिर वह झोपड़ी और वह आदमी सारी चीजें वहां से गायब हो गए। फिर उसके बाद में अपने घर तो आ गया। मगर मुझे करीब 4 दिन तक तेज बुखार रहा था। जब मैं एकदम ठीक-ठाक हूं और कभी किसी गलत स्थान से गुजरने की हिम्मत नहीं करता तो दोस्तों इस कहानी में बस इतना ही कहानी आपको पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक शेयर कमेंट जरूर् कर दें और साथ ही चैनल को भी सब्सक्राइब जरूजरूर्दें तो मैं जल्द ही मिलूंगा। ऐसी एक और डरावनी कहानी के साथ तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर

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