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Hindi horror stories

                                          भिखारन् चुड़ैल की काली रात

   


आप देख रहे है भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते  हैं। आज की कहानी की ओर दोस्तो दिसंबर का वह महीना था। जब कड़ाके की ठंड पड़ रही।थी तब मैं अपने दोस्त निखिल के गांव गया हुआ था। उस गांव का नाम प्रीतमपुर था। दर्शल् निखिल की बहन की इसी हफ्ते में शादी थी। जिस वजह से उसने हमें पहली बार बुलाया था। निखिल का गांव दिखने में सुंदर लगता था तो रात होते ही वह उतना ही डरावना दर्शल् उस गांव में रात के 9:00 बजते हि  घर के सभी दरवाजे बंद हो जाते थे। अगर गलती से भी किसी घर का दरवाजा खुल गया तो फिर जो आगे होता उसे सुनकर आपकी भी रूह कप् कप् आ जाएगी तो चलिए जानते गांव की पूरी सच्चाई और भी विस्तार से दोस्तों मेरा नाम सिद्धार्थ है। 12 घंटे ट्रेन का सफर करने के बाद जब मैं जिगनी रेलवे स्टेशन पर उतरा तो मैंने देखा कि स्टेशन पर गिने चुने लोग् हि थे और इस सर्द हवाएं है। मेरे रोंगटे खड़े कर दे रहे थे। तो मैंने बैग में रखे चाय के को निकालकर पहन लिया और मैं स्टेशन से बाहर निकल आया। स्टेशन से बाहर आने पर मैं निखिल का वेट करने लगा क्योंकि जब मैंने उसे कॉल किया था तो उसने कहा था कि तुम्हारे स्टेशन पहुंचने से पहले मैं स्टेशन पर पहुंच जाऊंगा। जिस वजह से मेरे स्टेशन से बाहर आ कर निखिल का इंतजार करने लगा। स्टेशन के बाहर एक चाय की दुकान थी। उसी दुकान के पास आग् बार कर कुछ लोग बैठे हुए थे। उन्हें आपके पास देख कर मैं भी उनके पास जाकर खड़ा हो गया और मैं अपने हाथ पैर को देखने लगा और साथ ही साथ उस दुकानदार से कहा की काका एक चाय हमें भी दे दो। मेरे इतना कहने पर उस बूढ़े आदमी ने मुझे केतली में से चाय  निकाल कर दे दी और मैंने अभी चाय की एक ही चुस्की मारी थी कि तभी वहां पर निखिल आ गया। निखिल को देखकर मैंने उस दुकानदार से एक चाय और मांगि और जैसे निखिल मेरे पास आया तो वैसे उस दुकान दार् ने निखिल को चाय थमा दी और फिर हम दोनों चाय की चुस्की लेते हुए।हम दोनों स्टेशन से निकलकर घर की ओर बढ़ने लगे। निखिल बाइक को चलाते हो जा रहा था तो उसने कहा कि और भाई सफर कैसा रहा जिस पर मैंने कहा कि मैं जिस सीट पर बैठा हुआ था, उसि सीट के सामने एक लड़की बैठी थी तो उसी से बातें करते हुए कब मैं यहां पर पहुंच गया पता ही नहीं चला और हां मजे की बात तो यह है कि मैं बातों-बातों में उस लड़की का नंबर ले आया हूं। अभी घर पहुंचकर कॉल करूंगा। मैंरि ये बात सुनकर निखिल ने कहा, क्या है भाई मुझे भी वो ट्रिक बता दे जो एक बार लड़की लाइन में आ जाए। फिर हम दोनों आपस में बातें करते हुए जब निखिल के गांव पहुंचे तो मैंने देखा कि ठंड से बचने के लिए सभी आग् बार कर बैठे हुए थे और जब निखिल ने घर के सामने बाइक रोकि तो बाईक के रुकते हि। हम दोनों बाइक से उतर कर घर के अंदर चले गए। घर के अंदर जाते मेने निखिल के मम्मी पापा के।पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया और फिर उन्होंने कहा कि सफर करके तुम काफी थक गए होगे जाओ आराम कर लो। उनके इतना कहने पर निखिल मुझे रूम के अंदर ले आया और मुझे आराम करने के लिए कहा। इतना बोल कर निखिल  घर से बाहर निकल गया और निखिल के घर से बाहर जाते हि। जब मैंने मम्मी के पास फोन करके यह बताने के लिए कॉल किया कि मैं निखिल के घर पहुंच गया हूं। जैसे मेने मम्मी के पास कॉल किया तो मोबाइल में नेटवर्क ही नहीं थे तो मैं नेटवर्क की तलाश करते करते। मैं उस रूम से बाहर निकल आया। पर अभी भी मोबाइल में नेटवर्क आया नहीं था। जिस वजह से मैं घर से बाहर निकला आया घर से बाहर आते हि मोबाइल में नेटवर्क आ गए और फिर मेरे मम्मी के पास कॉल किया। कॉल करते मम्मी ने फोन उठाया तो मैंने मम्मी को कहा कि मैं सही सलामत यहां पर पहुंच गया हूं। अभी मैं फोन पर बात ही कर रहा था कि तभी मैंने देखा कि गांव में चारों तरफ सन्नाटा पसर गया था। जहां पर कुछ समय पहले गांव में चहल-पहल हो रहि थी तो वहीं घरों के आगे। कोई भी मुझे नजर नहीं आ रहा था। अभी मैं यह सब नजारा देख ही रहा था कि तभी निखिल अचानक से मुझे घर के अंदर खींच लाया। घर के अंदर खींचते उसने घर का दरवाजा बंद कर दिया। निखिल ने मुझे इस तरह से खींचा है कि मुझे उसका यह बर्ताव  मुझे। बहुत ही बुरा लगा और जब मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो वह बहुत ही घबराए हुआ था। निखिल को इस तरह देखकर मैंने उससे कहा भाई क्या हुआ मेरे इतना कहते हि निखिल के मम्मी पापा और उसकी बहन आ गई। निखिल को इस तरह घबरा हुआ देखकर निखिल के पापा ने पूछा क्या हुआ बेटा जिस पर निखिल ने बताया कि संतोष घर के बाहर था और का दरवाजा खुला हुआ था। अगर मैं थोड़ा सा भी लेट कर देता है तो फिर पता नहीं क्या हो जाता है। निखिल की यह बात सुनकर उन सभी के चेहरे का रंग उड़ गया। उन सभी को देखकर मुझे भी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। पर कुछ तो था जिससे मैं अनजान था कि तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी और दरवाजे की छटपटाहट सुनकर उन सभी के भी होश उड़ गए और वहीं खड़ी निखिल की।बहन डर से पूरी तरह से कांप रहि थि कि तभी उस दरवाजे से किसी के रोने की आवाज आए और रोते हुए खाना मांग रहि थी और बिलक बिलक कर रो रहि थी। उस आवाज को सुनकर मानो सभी जम् से गये थे और उनका डर उनकी आंखों में साफ साफ नजर आ रहा था। उन सभी को इस तरह देखकर जब मे उस दरवाजे को खोलने के लिए गया है कि आखिर दरवाजे के पास रो कौन रहा है जैसे मे दरवाजा खोलने वाला था कि तभी निखिल ने मुझे उस दरवाजे से दूर कर दिया और कहा, अगर घर का दरवाजा खुला तो हम सभी मर जाएंगे। अब निखिल की बात सुनकर मैं हैरान हो गया तो उसने बताया कि यह कोई औरत नहीं जो खाना मांग रहि हैं, बल्कि एक भिखारन की आत्मा है जो भूख से तड़प तड़प कर मर गए थी और तभी से इस गांव में रात के 9:00 बजते हि। सब अपने घर के अंदर सो जाते हैं और अगर गलती से भी 9:00 बजे के बाद घर का दरवाजा खुला तो सुबह उन सभी की लाश मिलती है और इसी वजह से मैंने तुम्हें घर के अंदर खींच लिया, क्योंकि 9:00 बजने में कुछ ही मिनट बाकी थे। अगर मेरी नजर तुम पर नहीं पड़ी होती तो तुम घर के बाहर ही रह जाते और फिर वह भिखारन आ जाति तो फिर हम सभी का मरना तय् था वह तो। अच्छा हुआ कि मैं समय पर आ गया जो हम सभी जीन्दा है नहीं तो अगले दिन हम सभी की लाशें मिलति दोसतो निखिल की बात सुनकर मैं घबरा गया और तभी अचानक कि वह रोने की आवाज आनी बंद हो गए। अब उस आवाज के बंद होते हि हम सभी को थोड़ी राहत मिली और फिर हम सभी लोग खाना खाकर लेट गए। पर अब मुझे नींद नहीं आ रही थी। आंख बंद करके मुझे उस औरत की रोने की आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी और वह साथ ही साथ भूख से तड़प रहि थी । यह सब सवाल चल रहा था और मैं पूरी रात इधर से उधर अपनी करवटें बदलता रहा पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। इसी तरह पूरी रात बीत गई और सुबह के 4:00 बजे मेरी आंख लगि। फिर जब मेरी याद खुलि तो मे उठकर रूम से बाहर गया तो मैंने देखा कि निखिल कहीं पर जाने के लिए तैयार हो रहा था। उसे तैयार होता हुआ देखकर मैंने निखिल से कहा, अरे भाई इतना सज् सवरकर कहां पर जा रहे हो तो उसने बताया कि यहां कुछ ही दूरी पर मेरे मामा का घर है और।मे उन्ही के पास जा रहा हूं। उनसे मुझे कुछ जरूरी काम है। अगर तुम्हें भी मेरे साथ चलना है तो तुम तैयार हो जाओ। अब निखिल के इतना कहते मैं तैयार हो क्र्र्। हम दोनों घर से बाहर निकले बाहर निकलते जो मैंने देखा उसे देखकर मैं हैरान हो गया। दरअसल मैंने देखा कि गांव की हरियाली और गांव की खूबसूरती देखकर मैं बहुत ही हैरान था। ऐसा खूबसूरत गाव आज तक नहीं देखा था जहां पर तरह-तरह के फूल और उन फूलों पर तितलियों का मडर आने और कोयल की कूक कूक करने की आवाज और बच्चों का किल्ली डंडा खेलना। यह सब एक अलग सुकून दे रहा था। फिर हम दोनों निखिल के मामा के घर जाने के लिए निकल गए। अब हम कुछ दूरी पर गये होंगे कि निखिल इशारा करते हुए सामने पीपल के पेड़ की तरफ देखने को कहा कि वह भिखारन इसी पीपल के पेड़ के पास रहा करति थी और उसकी मौत यहीं पर हुई थी और फिर जब बन उस पीपल के पेड़ की तरफ देखा तो उस पेड़ के चारों तरफ।बास् गाड़ा हुआ था। उस पास में चारों तरफ से धागे बंद हुए थे। अब उसे देखकर हब मेने निखिल से पूछा कि पेड़ के चारों तरफ बांदा क्यों गया है तो उसने बताया कि उस भिखारन  की आत्मा को यहीं पर कैद करने के लिए उस भिखरी की आत्मा को यहीं पर कैद करने के लिए पर उस भिखारिन की आत्मा को कैद नहीं कर पाए। निखिल। यही सब बता रहा था कि तभी मेरे फोन की घंटी बजी और जब मैंने पॉकेट में से फोन निकालकर देखा तो वह फोन उसी लड़की का था जो मेरे साथ ट्रेन में थी उस लड़की का फोन आता हूंआ। देख कर मैंने निखिल को कहा भाई ट्रेन वाली लड़की का फोन आ रहा है। इतना बोल कर अपने फोन उठाकर उस लड़की से बात की तो बात करते-करते कब निखील के मामा के घर पहुंच गए। हमें कुछ पता ही नहीं चला। निखील के मामा के घर पहुंचते।हि मैंने उस लड़की से कहा कि मैं कुछ समय के बाद कॉल करता हूं। इतना बोल कर मैंने फोन काट दिया और फोन के काटते जैसे निकलकर मामा के घर पर बाइक रोकी तो वैसे ही निखिल के मामा खेत से घास लेकर आ रहे थे। फिर हम दोनों बाइक से उतर कर वही पर पड़ी चारपाई पर बैठ गए। चारपाई पर बैठते निखिल के मामा हमारे पास आए और निखिल की बहन की शादी के बारे में बात करने लगे। बात करते-करते अब शाम होने को थी। फिर हम दोनों वहां से निकलकर घर आ गए। फिर कुछ समय के बाद हम सभी खाना खाकर सो गए हैं और जब रात को मेरी नींद खुलि तो मैंने घड़ी में समय देखा तो अभी रात के 12:00 बज रहे थे। अभी मैं करवटें बदल रहा था कि तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी और जब मैंने गोर किया तो वह वही औरतें थी जो भूख से बिलबिला रही थी और बार-बार खाना मांग रहि थी। पर पता नहीं क्यों उस औरत को रोता हुआ सुनकर मैं उस रूम से निकलकर किचन में आ गया और उस औरत के लिए खाना लेकर दरवाजे के पास पहुंचा और फिर जब मेरे दरवाजे को खोला  तो दरवाजे खुलते ही फिर जो मैंने देखा उसे देखकर तो मैं हैरान हो गया। दरअसल जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरी मां थी जिसे देखकर मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। और फिर मैं घर से बाहर आ गया। घर से बाहर आते मम्मी मेरे हाथों से खाना लेकर खाने लगी।मेरी मम्मी को इस तरह खाना खाता हुआ देख कर मुझे लग रहा था कि बहुत दिन से वह भूखी है। अभी मैं मम्मी की और ही देख रहा था कि तभी अचानक से मम्मी की शक्ल एक भयानक रूप में बदल गई, जिसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और डर से मेरे हाथ पैर कांपने लगे। अब मेरी आवाज भी नहीं निकल रहि थी और ना ही मैं इधर से उधर हो पा रहा था। जैसे मानो मैं वहां पर जम सा गया था में बहुत ही कोशिश कर रहा था। पर मैं टस से मस नहीं हो रहा था और वह चुड़ैल अभी भी खाना खा रहि थी और जैसे उस चुड़ैल ने खाना खाया कि वह पूरी तरह से अपने असली रूप में आ ग्यि उसके असली रूप में आते ही उस औरत ने कहा कि डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगी। इतना बोल कर उस औरत ने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा। उस औरत की बात सुनकर में और भी ज्यादा डर गया और वह औरत मुझे अपने साथ लेकर जाने लगि। पर उस वक्त में अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश कर रहा था। पर पता नहीं क्यों मेरे पावर रुकी नहीं रहे थे उस औरत के पीछे। मे उस पीपल के पेड़ के पास पहुंच गया और जब् मेने पीपल के पेड़ की डाल पर देखा तो उसे देखकर मेरी रूह। कप् कप् आ गयि। दरअसल मैंने देखा की डाल पर बहुत ही सारी डेडबॉडी थी पर उन सभी का सर नहीं था जिसे देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। अभी मैं डरा सेहमा वही देख रहा था कि तभी उस औरत ने कहा, डरो मत यह मैंने नहीं उस तांत्रिक ने किया है जिसने मुझे कैद कर रखा है। उस औरत के इतना कहते हि। मैंने डरते हुए उस। औरत से पूछा। कौन तांत्रिक मेरे इतना कहने पर उस औरत ने बताया कि कुछ महीने पहले की बात है। जब मैं भीख मांगते मांगते उस तांत्रिक के पास जा पहुंचे तो मेरे उस तांत्रिक से कुछ खाने के लिए मांगा जिस पर उस तांत्रिक ने खाने के लिए मुझे खिचड़ी दी और मुझे भूख बहुत लगी थी। जिस वजह से टान्तरिक के हाथ से खिचड़ी लेकर खाने लगी।खिचड़ी खाते-खाते मेरा सर घूमने लगा और मैं वहीं पर गिर पदि और जब मेरी आंख खुलि तो उसे देखकर मेरे होश उड़ गए दर्शल् मैंने देखा कि।मेरे ही सामने मेरा ही शरीर पड़ा था जिसे देखकर मेरी रूह कांप गई। अब यह सब देखकर मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि तभी मैंने उस तांत्रिक से कहा कि यह सब क्या है जिस पर उस तांत्रिक ने बताया कि मेरी बरसों की साधना सफल हो गए और हंसते बोला, मैंने तुम्हारी बॉडी से तुम्हारी आत्मा को निकाल दिया है। अब उस तंत्रिक  की बात सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गए तो मैंने उस तांत्रिक से कहा कि बाबा मेरे आत्मा को मेरे शरीर में वापस कर दो। मेरे इतना कहने पर उस तांत्रिक ने कहा कि तुम्हें मेरे लिए एक काम करना होगा तो उस तांत्रिक यह बात सुनकर मैंने कहा क्या कर सकती हूं। मैं जिस पर उस तांत्रिक ने कहा कि तुम्हें गांव के लोगों को डरा कर लाना होगा और अभी जो साधना में कर रहा हूं, यह साधना जब पूरी हो जाएगी तब मैं तुम्हारी आत्मा को तुम्हारे शरीर में भेज दूंगा। इतना बोलते ही जब उस तांत्रिक ने मेरे सामने आईना किया।तो उसे देखकर में और भी ज्यादा डर गए। दरअसल मैंने देखा कि उस आईने में मेरा चेहरा बहुत ही ज्यादा भयानक दिख रहा था। तभी उस तन्त्रिक् ने मुझे गांव में जाने के लिए कहा और किसी को अपने साथ लेकर आने के लिए कहा। उस तांत्रिक इतना कहते ही मैंने उसे जाने से मना कर दिया तो उसने मेरी डेड बॉडी पर कुछ छिड़काव किया। उसके छिड़कते हि मेरा शरीर जलने लगा। उसकी जलन इतनी ज्यादा तेज थी कि मुझसे वो जलन बरदास ही नहीं हो रहि थी। जिस वजह से मैं उस तंत्रकी बात मान गए और गांव के एक आदमी को लाकर उस तांत्रिक के पास पहुंच गए और मेरे ही सामने उस तांत्रिक ने उस आदमी की बली दें दी और मैं कुछ भी नहीं कर पाए और गांव में यह हालात पैदा हो गया है कि गांव की भिखारिन की आत्मा गांव के आदमियों को मार रहि है  और इसी वजह से गांव में 9 बजते हि सभी घरों के दरवाजे बंद हो जाते हैं और मुझे वह तांत्रिक रात 9:00 बजे के बाद आजाद करता है और वह दिन में मुझे कैद करके रखता है। मैंने कई लोगों से मदद भी मांगी। पर जो भी मेरा भयानक रूप  देखता है वो दर से मर जाता और जो गांव के लोग गायब होते हैं, यह सब वो तांत्रिक हि करवाता है। दोस्तों उस औरत की यह बात सुनकर मैंने उससे कहा कि तुम्हारी बॉडी कहां पर है। मेरे इतना कहने पर उस औरत ने बताया कि मेरे डैडबोदि उसी घर के अंदर सही सलामत है और अभी भी मेरी सांसे चल रहे हैं, पर उस तांत्रिक के पास एक अंगूठी है। अगर वह अंगूठी अपने हाथों में घिसेगा तो वह मुझे अपने काबू में कर लेगा और फिर मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी। अब तुम ही हो जो उस तांत्रिक से गांव वालों को और मुझे बचा सकते हो और ऐसा चलता रहा तो गांव में कोई भी जिन्दा नही  बचेगा। वह तांत्रिक सभी को बलि चढ़ा देगा। इतना बोल कर वो औरत वहां से गायब हो गए कि तभी किसी ने मुझे आवाज दि उस आवाज को सुनकर जब मैंने उसको देखा। तो निखिल मुझे आवाज देते हुए मेरी तरफ आ रहा था। निखिल को देख कर मैं उसके पास गया और मुझे देख कर वो खुश हो गया। तभी उसने कहा कि तुम.यहां पर कैसे आ गये फिर मैंने उसे सारी बात बताई तो मेरी बात सुन कर उस के होश उड़ गए। फिर हम दोनों घर लौट आए और घर में आते निखिल ने। सारी बात अपने मम्मी पापा को बताएं। हमारी बात सुनकर बहुत चौक गए।फिर जैसे हि सुबह के 6:00 बजे तो हम लोगों ने सभी गांव वालों को यह बात बताइए। हमारी बात सुनकर गांव वाले बहुत ही ज्यादा गुस्से में आ गए और फिर हमें एक साथ उस तंत्र के घर जा पहुंचे तो हमने देखा कि वह तांत्रिक सो रहा था। उस तांत्रिक को सोता हूंआ। देख कर मैं चुपके से खिड़की के सहारे उस तंत्र के घर में घुस गया। घर में घुसते हि मेरी नजर उस अंगूठी पर पदि जिसके बारे में उस औरत ने बताया था। उसे देखकर में आइस्था से उसकी उंगली से वह अंगूठी निकाल ली और उसे अपने जेब में रख लिया और फिर मैंने घर का दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खोलते हि गांव के लोग घर के अंदर खड़े हो गए की तबी उस तांत्रिक की आंख खुलि तो उस तांत्रिक ने कहा कि क्या हुआ इस निकल कहते हि। गांव वाले उस तांत्रिक को मारने लगे। मारते मारते हैं, उसे बेहोश कर दिया। और जब उस तांत्रिक को होश आया तो उसके सामने उस भिकार न की डेड बॉडी थी तो मैंने उस तांत्रिक उसकी आत्मा उसके शरीर में करने को कहा। मेरे इतना कहते हि उस तांत्रिक ने कुछ मंत्र पढ़ा और उस तांत्रिक मंत्र पढ़ते हि। उस औरत की आत्मा उस औरत के शरीर में आ गए। वह औरत वहां से उठ कर खड़ी हो गई। अब यह देख कर गांव वाले सभी हैरान हो गए क्योंकि कोई पहली बार मर के जिंदा हुआ था। फिर सभी गांव वालों ने उस तंत्रिक  के हाथ-पांव काट कर उसे गांव में भीख मांगने के लिए छोड़ दिया और फिर कुछ दिनों के बाद तड़प तड़प कर उस तंत्रिक  की मौत हो गई तो दोस्तों यह तो था मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक किस्सा जिसे में आज तक नहीं भूल पाया हूं तो दोस्तों इस कहानी में बस इतना है तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर।

खुनी अपार्टमेंट | Horror story in hindi

                                        Khooni apartment 


                                 



आप् देख रहे हैं भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते  हैं आज की कहानी के और दोस्तों अनिश्चित जगहो से भरी इस दुनिया में कभी भी कुछ भी हो सकता है। चाहे आप लाख जतन करें। सुरक्षित रहने की लेकिन आपका हर दांव उलटा ही पड़ेगा। शायद आपको मेरी यह बात अभी बेतुके या फिर बेवकूफ आना लगे। पर मेरा यह ख्याल यूं ही नहीं बन गया। आज से लगभग 7 साल पहले मेरा एक छोटा सा चार जनका हंसता खेलता परिवार था जो महज महीने भर में तबाह हो गया। 4 जन का परिवार वह परिवार अब सिमट कर दो। जन का ही रह गया है। मैं और मेरी धर्मपत्नी संध्या जिसे जिंदा रखने के लिए मुझे हर रात खून की खुराक का इंतजाम करना पड़ता है। दर्शल् मेरे बुरे वक्त की शुरुआत हुई। आज से लगभग 7 साल पहले सन् 2016 में जब मैं अपने परिवार के साथ मेघालय के सुवंशक् कालोनी में शिफ्ट हुआ। भारत का यहब बादल से घिरे रहने वाला राज्य है। अपनी खूबसूरती पारियों के लिए दुनिया भर में चर्चित है और इसी खूबसूरत वादियों के बीच मौजूद था। हमारा अपार्टमेंट पूर्णिमा इसके तीसरे माले पर था। हमारा अपना फ्लैट 013 पूर्णिमा अपार्टमेंट की सबसे जो अच्छी बातें  थी कि यहां पर बहुत ही शांति थी। मसलन यहा किसी भी प्रकार का कोई भी शोर शराबा नहीं था। ऊपर से सिक्योरिटी भी बहुत ही ज्यादा टाइट थी यानी कि कुल मिलाकर सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था। पर मैंहेस् तीन से चार दिनों में है। अपार्टमेंट के सुकून भरी शांति रात होते ही डरावनी खामोशी में बदलने लगि। दर्शल् हमें कुछ ही दिनों में यह एहसास हो गया कि दिन में भी पूरे अपार्टमेंट में ना के बराबर ही चहल-पहल रहती थी और यही शांति रात के अंधेरे के साथ मिलकर एक डरावनी सूरत एक तैयार कर लेति थी खेर। अभी हम अपने नए घर को सजाने संवारने में ही मासूर्फ् थे।ईसी बीच कब हमारी दहलीज  पर एक बड़ी मुसीबत में दस्तक दे दि?दर्शल् पांचवी रात को जब हम लोग सोने जा रहे थे कि तभी मेरे बेटे पुलकित को एकाएक खून की उल्टियां होने लगी, जिसे देखकर जहां पुलकित की मां अपनी सुध बुध खो बैति तो वही मैं भी बेहद घबरा गया था। फिर जब मेरी बड़ी बेटी सुनैना ने जो  कहा, कुछ करो पापा। तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि यह वक्त ऐसे घबरआने का नहीं है। मैंने फॉरेन पुलकित को गोद में उठाया और बिना देरी किए। उसे नजदीकी हॉस्पिटल लेकर पहुंचा जहां आनन-फानन में पुलकित को इमरजेंसी में एडमिट तो कर लिया गया। पर जैसे मैंने पहले बिल् इनकाउंटर पर अपने घर का एड्रेस लिखवाया तो उसके अगले ही पल उन्होंने मुझे पुलकित को वहां से ले जाने को कह दिया। जिस पर मैं उन पर बहुत ही भड़का। मेरे भड़कते ही बोलोग् पुलकित को हॉस्पिटल के मेन गेट पर छोड़ कर चले गए। खून से लथपथ मेरा बेटा अब बेसुध हो चुका था।मेने एक बार फिर अपने बेटे को अपनी बांहों में उठाया और दूसरे अस्पताल की तरफ चल पड़ा और जब दूसरे अस्पताल में भी ठीक पहले अस्पताल वाला बर्ताव किया गया तो मैं पूरी तरह से टूट गया। मैंने उस डॉक्टर के हाथ पैर भी जोड़ें। यहां तक कि उनके जूतों पर अपनी नाक् तक रगड़ी पर उन लोगो का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार मजबूरन मुझे अपनी बेसूद बेटे को लेकर वहां से भी निकलना पड़ा। अभी मैं उस अस्पताल से निकला ही था कि तभी किसी ने पीछे से आवाज देते हुए कहा, आपके बेटे को पूर्णिमा ही बचा सकती है। उसके अलावा कोई भी नहीं। यह सुनते में पीछे पलटा तो मैंने देखा कि उसि अस्पताल की एक नर्स खड़ी है। उस नर्स पर नजर पड़ते ही मैंने उससे पूछा, कौन से अस्पताल में मिलेगी पूर्णिमा जी जिस पर उसने नर्स ने कहा कि आपके घर पर आप जल्दी से अपने घर पहुंचे। उसके इतना कहते में पागल बिना कुछ सोचे समझे अपने बेटे को लेकर अपने घर की तरफ चल पड़ा। वह नर्स से यह भी नहीं पूछा कि पूर्णिमा जी को मेरे घर का पता। मालूम भी है या फिर नहीं खेर घर पहुंचने के बाद अब मुझे इंतजार था तो पूर्णिमा जी के आने का कल रात से सुबह हो गई और सुबह से फिर रात पर अभी तक पूर्णिमा जी नहीं आए थी। वहीं पर मेरा बेटा अभी भी बेसुध पड़ा हुआ था। पर अच्छी बात तो यह थी कि उसकी सांसे अभी भी चल रही थी। संध्या और सुनैना भी गुमसुम पुलकित के सिरहाने किसी चमत्कार की आस में बैठे हुए थे कि इसी बीच घर की डोर बेल बजी डोर बेल के बजते मैं तुरंत ही दरवाजे की तरफ दौड़ा। इस उम्मीद में कि डॉ पूर्णिमा जी आई होगि। पर जब मैंने दरवाजा खोला तो मैं एक बार फिर मायूस हो गया, क्योंकि दरवाजे पर जीरो वन ज़ीरो फ्लैट की 1 मेद् खड़ी थी। इससे पहले मैं उस मेड से कुछ पूछता कि वह मेरे से बोले साहब मैंने सुना है कि पुलकित बाबा की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। जिस पर मैंने उसे जवाब देते हुए। कहां है तो पर चिंता वाली बात नहीं है। वह ठीक हो जाएगा। मेरे इतना कहती वह मेड बोली पुलकित बाबा की आज आखिरी रात है।अब उस मेड के यह कहते हि मेरे गुस्से का पारा एकदम से चडगया पर जब अग्ले ही पल् उस  मैंद् ने कहा पर आप फिकर मत करो। मुझे पता है कि पुलकित बाबा कैसे ठीक होंगे। आप बस मेम साहब से मेरी बात करा दो तो यह सुनकर मेरे गुस्से का पारा जो बस फटने हि वाला था। वह अब एकदम से ठंडा हो गया। जिसके बाद मैंने अपनी बीवी संध्या को आवाज दी संध्या के आते उस मेड ने मुझे अंदर जाने को कहा, जिसके बाद में घर के भीतर चला आया फिर कुछ देर के बाद संध्या हाथ में एक काले रंग का कटोरा लेकर आए और बोलि पूर्णिमा ने कहा है कि इस कटोरे में कच्चा दूध भर के घर के चौखट के बाहर रखना है। अगर सुबह कटोरा खाली मिला तो अपना पुलकित बिल्कुल ठीक हो जाएगा। दोस्तों वैसे तो मुझे इस बात पर जरा सा भी यकीन नहीं हो रहा था। पर उस नर्स ने जैसा कहा था कि पूर्णिमा ही मेरे पुलकित की जान बचा सकती है। ऐसे में हमने ठीक वैसा ही किया जैसा कि उस मेद् ने करने को कहा था संध्या नर रात को  तेरीमां पह्र्र  यानी कि। तीसरे पहर के शुरू होते ही संध्या ने उस काली। कटोरी में कच्चा दूध भरकर चौखट के बाहर रख दिया और मन ही मन यह दुआ करने लगे कि एक टोटका किसी तरह काम कर जाए। उस रात हमारी आंखें बेसुध पड़े। पुलकित पर ही  रात भर अटकी ही रहि और इसी बीच कब हम सब की आंख लग गई। पता ही नहीं चला। फिर जब सुबह मेरे कान में पुलकित की आवाज पदि तो मेरी आंखें खुली आंखें खुलती मेरी नजर पुलकित पर पदि जो संध्या को उठाते हुए कह रहा था। मां मुझे बहुत भूख लग रही है। कुछ खाने को दे दो। पुलकित को होश में देखकर संध्या भावुक् हो  होकर गले लगाकर चूमने लगी। आखिरकार ऊपर वाले की कृपा से बहुत ही बुरा वक्त तल चुका था और फिर इसी बिच सुनेना वह खाली कटोरी ले आए जो पिछली रात चौखट के बाहर रखी थी  जो कि अब खाली थी जैसा कि उस मेड ने कहा था, ठीक वैसा ही हुआ। पुलकित   अब काफी ठीक लग रहा था और महज कुछ ही दिनों में पुलकित पहले जैसा हो गया था।इसी बीच में और संध्या ने उस मेड को शुक्रिया करने की सोची पर वह फिर कभी भी नहीं दिखि। यहां तक कि जब संन्ध्या फ्लैट नंबर 010 वाले से बात करने गई तो उन्होंने दरवाजा ही नहीं खोला। कुछ दिनों तक तो यह बात हमें भी खटकि पर बीते वक्त के साथ यह बात जहन के किसी कोने में दफन से हो गयि। हमारी लाइफ एक बार फिर से नॉर्मल हो चुकि थी। पर कभी-कभी ऐसा लगता था कि मुझे यह पूर्णिमा अपार्टमेंट छोड़ देना चाहिए। पर यह बस मेरा ख्याल भरी था जिस पर मैंने कभी इतना जोर हि नहीं दिया। बीते वक्त के साथ हमारी जिंदगी की गाड़ी फिर से शुरू  से चलने लगी। इस बात से बेखबर कि मेरा पूरा परिवार मुसीबत के उस भंवर में फंस गया है जिससे निकलने का एक ही जरिया है और वह है मौत!दरअसल पुलकित के ठीक होने के कुछ ही महीनों बाद पुलकित की मां यानी कि मेरी धर्मपत्नी संध्या को उसके पीहर वालों ने बुलवा लिया। पर अपने पीहर निकलने से पहले जब संध्या ने मुझसे उस खाली कटोरी में दूध भर का चौखट के बाहर रखने को कहा तो मैं यह जानकर हैरान हो गया कि संध्या अभी भी वह दूध से भरा कटोरा घर के चौखट से बाहर रख रहि हैं, जबकि पुलकित को ठीक हुए कई महीने हो चुके थे। इससे पहले में संध्या से इस बारे में कुछ पूछ ताछ् करता । इससे पहले संध्या मेरी बेटी सुनैना के साथ अपने पीहर के लिए निकल गए। संध्या और सुनैना के जाने के बाद मैं भी अपने कामकाज में इतना बिजी हो गया कि संध्या की बात दिमाग से निकल गए और जब सुबह में उठा तो मैंने नोटिस किया के पूरे कमरे में अजीब सी गंध फैली हुई है। फिर जब मैंने गौर किया तो मेने पाया की ये गंध पुलकित के कमरे से आ रहि हैं। मेरे फॉरेन पुलकित को आवाज देते हुए उसके कमरे की तरफ बढ़ा और जब मैं पुलकित के कमरे में दाखिल हुआ तो मेरी चीख्। निकल गए। दर्शल् पुलकित के बिस्तर पर बेहिसाब किडो का ढेर लगा हुआ था जिनसे वह अजीब सी गंध आ रही थी। पर जैसे मैं बिस्तर के करीब पहुंचा तो मैंने पाया कि वह सारे कीड़े पुलकित के मुह आँख और उसके कान् से बाहर निकल रहे हैं। उन सभी किडो  ने पुलकित को अंदर से खाकर खोखला कर दिया था। आपने बेटे का यह हाल देख कर मैं अपना शोध खो बैठा था। मैं तो यह भी नहीं समझ रहा था कि जो मैं देख रहा हूं, वह हकीकत भी है या फिर मेरा कोई बुरा सपना। फिर इसी बीच घर की डोर बेल बजी और जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने वही मेद् खड़ी थी, जिसने पुलकित की पिछली बार जान बचाई थी। इससे पहले उस मेड से कुछ कहता है कि वह बोलि अपनी मैडम जी को कॉल करो। शायद उसकी यह कहती मैं संध्या को कॉल करने वाला था कि इतने में ही संध्या का कॉल आ गया। मेरे कॉल रिसीव करते हि संध्या बोलि अरे तुमने दूध भर के वह काला कटोरा घर के बाहर रखा था कि नहीं संध्या ने जो उस काले कटोरी की बात कही। तब जाकर मुझे याद आया की मेरे से कितनी बड़ी भूल हो गई है। फिर जब आगे संन्ध्या रोते बोलि सुनेना सुबह से खून की उल्टियां किए जा रहि हैं तो यह सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गए मैं अपने बेटे को तो पहले ही खो चुका था और अब मैं अपनी बेटी सुनैना को किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे पता था कि सिर्फ मेड ही मेरी बेटी की जान बचा सकती है। फिर मे उस मेड के पैरों में गिर गया और अपनी बेटी की जान की भीख मांगने लगा। मुझे अपने पैरों पर रोता गिड़गिड़ाता  देख वह मेड बोलि साहब आप चिंता मत करो, बिटिया को कुछ नहीं होगा। अब इतना बोल कर वो वहां से चली गई। अभी मैं वहां से उठकर घर के भीतर ही आया था कि तभी पीछे से उसी मेड ने आवाज देते  कहा, यह लो साहब इस कपड़े में पुलकित बाबा की लाश को लपेट कर मुझे दे दो। उस मेड के इतना कहते हि मैंने उस पर भड़कते हुए कहा, तुम कहीं पागल तो नहीं हो गई हो भला मैं तुम्हें अपने बेटे की लाश क्यों दे दूंगा। जिस पर वह मुझे जवाब देते।हुये बोलि साहेब। अगर आप अपनी बेटी की जान की खैरियत चाहते हैं तो चुपचाप अपने बेटे की लाश मुझे दे दो नहीं तो आपकी बेटी भी जान से जाएगी। इस बार उस मेड के बोलने का अंदाज बिल्कुल बदल चुका था। उसके बदले तेवर से मुझे यह समझ्ते। देर नही लगी कि अगर इसकी बात ना मानने की गुस्ताखी की तो यकीनन मेरी बेटी भी नहीं बचेगी।लिहाजन ना चाहते हुए भी मैं अपने बेटे की लाश को उसके दीये गये काले कपड़े में लपेटा और उस मेड को थमाते हुए कहा, बस किसी भी तरह से मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए। जिस पर वह बोली कुछ नहीं होगा। तुम्हारे सुनैना को तुम बस यह बात किसी से मत कहना और ना ही यहां से भागने की सोच ना। अब यह बोलकर वह मेड मेरे बेटे की लाश को लेकर चले गए। वहीं मैं लाचारी और बेबसी के घूंट पीकर रह गया। पर अब यह तो जान चुका था कि जल्द ही यह पूर्णिमा अपार्टमेंट से जान छुड़ानी होगी। नहीं तो एक-एक करके सारे मारे जाएंगे। मुझे यह तो पता ही नहीं था कि आखरी यह सब हमारे साथ ही क्यों हो रहा है, पर इतना तो अंदाजा हो ही गया था कि हो ना हो, वह मेड इन सब की जिम्मेदार है। खेर पर यह वक्त जल्दबाजी दिखाने का नहीं बल्कि सूझबूझ से काम लेने का था। इसलिए सबसे पहले मैंने अपने अशांत मन को शांत किया और सोचने।लगा इस समस्या का समाधान और तभी मुझे उस नर्स का ख्याल आया जिसने कहा था कि पूर्णिमा ही मेरी मदद कर सकती है और हुआ भी वैसा ही यकीनन वह नर्स मेड पूर्णिमा के बारे में कुछ ना कुछ तो जरुर जानति होगि। यह जने सब सोच विचार के बाद मैं तुरंत उसे नर्स से मिलने उस अस्पताल में पहुंचा। जहां वह पिछली बार मिलि थी और संजोग से वह नर्स मुझे मिल गई और उस वक्त उसने पूर्णिमा के बारे में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। साथ ही यह भी हिदायत दी कि पूर्णिमा जैसा कहती है। वैसा ही करो नहीं तो अंजाम बहुत ही भयानक होगा। हर हाल में चुपचाप घर लौट आया और घर पहुंचने पर पता चला कि सुनैना और संध्या लौट आए हैं। सुनैना को ठीक देखकर जहां मुझे थोड़ी राहत मिली तो वही संध्या की नजर पुलकित को खोज रहि थी। उस वक्त मैंने संध्या को पुलकित के बारे में सच ना बता कर यह बता दिया कि वह अपने दोस्त रविंद्र के घर गया हुआ है। इसी बीच सुनैना ने मुझसे कहा।पापा वह मेद् आयी थी और फिर से एक और काला कटोरा दे गई। सुनैना की बात सुनते ही मैं समझ गया कि अब आगे क्या होने वाला है। अभी मैं इन्हीं सब उलझनों में उलझा हुआ था कि इसी बीच एक अननोन नंबर से कॉल आया। फिर जब मैंने कॉल उठाया तो कॉल पर वही नर्स थी जिससे मैं मिलने गया था। फिर जब मेरी उससे बात हुई तो उसने मुझसे कहा कि अगले 7 दिनों तक यह पता लगाएं कि कच्चे दूध से भरे उस काले कटोरे का दूध कौन पीता है। यह पता चलने के बाद हि बो नर्स हमारी कोई मदद कर पाएंगि उस नर्स की कॉल की वजह से मेरी थोड़ी आस् बन तो गई थी पर सब कुछ अंधेरे में ही लटका हुआ था। खैर नर्स से बात करने के बाद अब मेरा पूरा ध्यान उस कटोरी पर ही टिक गया था। फिर जैसे तीसरे पहर के शुरू होते ही संध्या ने वह दूध से भरा वह काला कटोरा घर के चौखट के बाहर रखा तो उसके फौरन बाद ही मैंने अपने मोबाइल में वीडियो रिकॉर्डिंग मोड स्टार्ट कर के बाहर वाले कमरे में ईस्तरह् छिपा। दिया की उस काले कटोरी की रिकॉर्डिंग होती रहे। मोबाइल फोन को सेट करने के बाद मे इंतजार करने लगा।फिर् सुबह के होने का बाद सुबह मैंने अपने मोबाइल फोन की वीडियो रिकॉर्डिंग देखी तो मे दंग रह गया। दरअसल वीडियो में जिसने उस काले कटोरी से दूध पिया, वह कोई और नहीं बल्कि मेरी बेटी सुनेन ही थि जबकि सुनैना तो कमरे से बाहर निकली भी नहीं थी। पर ऐसा कैसे हो सकता था। मैंने फोन ही नहीं उसे नर्स को कॉल किया और यह बात बता दी। मेरी पूरी बात सुनते। उसने उसने कहा, आप अपना जिगरा थोड़ा मजबूत कर लो सर, क्योंकि जो मैं आपको करने को कहूँगी उसे करने से अच्छा आप मर जाना पसंद करेंगे। इसके बाद उस नर्स ने कहा, आज आप सब की आखिरी रात है पर अभी भी एक मौका है। आपको आज रात उस काले कठोर में कच्चे दूध की जगह अपनी बेटी का खून भरके रखना होगा। साथ ही अपनी बेटी को आपको जंजीरों से बांधकर घर का एक एक रूम बंद करना होगा। इसके बाद अपनी बीवी के साथ पूर्णिमा अपार्टमेंट छोड़कर मेरे घर आ जाना। अगर आप मेरे घर सही सलामत पहुंच जाते। तो फिर मैं आपको?बताओगि कि आगे क्या करना है। इतना बोल कर उस नर्स  ने फोन काट दिया और उससे बात करने के बाद मैं बढ़ ही दुविधा में पड़ गया। आखिर में अपनी खुद की बेटी के साथ भला ऐसा कैसे कर सकता था क्योंकि वही तो ले देकर वो मेरी एक ही दुनिया थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं कि तभी मेरे बदहवास पड़े। चेहरे ने सुनैना का ध्यान खींच लिया और जब सुनैना ने मुझे अपनी कसम देते हुए सब कुछ सच सच बताने को कहा तो मैंने उसे सारी बात बता दी। मेरी बात सुनने के बाद सुनैना के आंखों में आंसू छलक आए। सुनैना मुझसे लिपटे हुए बोली आप लोग अपनी जान बचा लो, पापा सुनैना के इतना कहते हि। मैं भी रो पड़ा। वहीं संध्या के कानों में हम दोनों बाप बेटे की रोने की आवाज पहुंचि तो वह बोली क्या हुआ आप् सब को अभी संध्या ने इतना कहा ही था कि तभी सुनैना ने कहा, कुछ नहीं।मा  वह पुलकित  तुम्हें रविंद्र के घर पर बुला रहा है। वह भी अभी तुम जल्दी से जल्दी जाकर देखो। पता नहीं पुलकित को क्या हुआ है?सुनैना को अच्छे से पता था कि पुलकित का नाम सुनते ही संध्या का ध्यान पुलकित पर चला जाएगा और हुआ भी कुछ वैसा ही संध्या फौरन रविंद्र के घर के लिए निकल गई। संध्या के घर के जाने के बाद मैंने रविंद्र के परिवार वालों को कॉल करके संध्या को किसी भी तरह अपने पास ही रोके रखने को कहा। जब तक कि मैं खुद ना आ जाओ। संध्या को लेने अभी मैं फोन पर बात ही कर रहा था। कि इतने मे सुनैना ने उस काले कटोरे को खून से भर दिया और मुझे थमाते बोलि, यह लो पापा जिसके बाद मैंने सुनैना को जंजीरों से बांधकर उसके कमरे में बंद कर दिया और रात के तीसरे पहर के शुरू होते ही मैं वह खून से भरा। काला कटोरा अपने घर की चौखट के बाहर रख् के सीधे रविंद्र के घर पर पहुंचा। जहां पर संध्या थी संध्या को वहां से लेने के बाद मैं पहुंचा उस नर्स के घर जहां पर उसने बताया कि अगले 13 महीनों के लिए हम तीनों ही सेफ् है मतलब कि सुनैना भी अब बस इन 13 महीनों में सुनैना को।उस पूर्णिमा अपार्टमेंट से निकालना होगा। दोस्तों इसके बाद क्या हुआ इस परिवार के साथ आखिर क्या राज है। मेघालय के पूर्णिमा अपार्टमेंट की इसका खुलासा करेंगे। इस कहानी के अंतिम भाग में तब तक के लिए बने रहिए हमारे साथ।

यहा पर चाय पीना मना है

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