यहां पर चाय पीना मना है लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
यहां पर चाय पीना मना है लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

यहा पर चाय पीना मना है

                             Horror story hindi 


                     



  आप देख रहे है भूतिया ऐहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते है आज की काहनी की ओर दोस्तो ट्रेन के लंबे सफर के दौरान मेरे लिए एक चीज बड़े ही मायने रखती थी। उसके बिना ट्रेन का सफर नामुमकिन था। मेरे लिए और वह चीज थी। चाय् मैंने पहले भी बहुत से सफर् चाय  के सहारे ही तय किए थे। मगर पता नहीं उस रोज जब मैं ट्रेन में बैठा तो मुझे लगा कि कोई ना कोई चाय वाला मिल ही जाएगा। मगर अगले 1 घंटे बीतने के बाद उस बोगी में कोई भी चाय वाला नहीं दिखा। फिर कुछ और देर तक राहत के बाद मुझे एक आवाज सुनाई दी। चाय बोलो चाय भाई चाय दो शब्द सुनते हैं। मेरे कान खुशी से एकदम से झूम उठे और मैंने तुरंत उस चाय वाले को आवाज देते हुए कहा अरे भईया एक चाय मेरे, इतना कहते हैं। वह चाय वाला सीधे मेरे पास आया और एक कप चाय थमा ते हुए। मुझसे बोला ₹10 वैसे तो चाय की क्वांटिटी देखकर मुझे लगा नहीं। की ये चाय 4 से ₹5 से ज्यादा की होगी मगर मैं कर भी क्या सकता था। भला शिवाय 10 का नोट ढीले करने के वह चाय वाला चाय थमा कर चाय  बोलो चाय  बोलो, बोलते हुए आगे निकल गया और इधर जैसे ही मैंने उस चाय की पहलि चुस्की ली तो मानो मेरी जुबान और मेरा चेहरा ऐसा बन गया कि पता नहीं कौन सा जहर उसने चाय के नाम पर पिला दिया हो। फिर चाय पीने का सिलसिला चलता रहा और तकरीबन 10 से 12 कप् अलग-अलग जगहों की चाय् टेस्ट करने के बाद अब मुझे चाय से जैसे नफरत सी होने लगी थी। फिर जब देर  रात तिरेन् एक जगह पर रुकि तो मेरी नजर टिरेन की खिड़की से सीधे प्लेट फार्म के अंतिम छोर पर बैठे एक आदमी पर पड़ी जिसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह चाय बना रहा हो क्योंकि एक बड़ी सी चाय की केतली स्टोप् पर चढ़ी हुई थी। पता नहीं क्यों मैं उस चाय की केतली को देखकर?अपने आप को रोक नहीं पाया और मैं तुरंत ट्रेन से नीचे उतरा और उस चाय वाले के पास जाकर बोला, अरे भैया एक अच्छि वालि गर्म सी चाय देना। मुझे मेरे इतना कहते हि उस। चाय वाले ने पहले तो मुझे सर से पैर तक एक नजर गोरा और फिर उसने मुझे बैठने को कहा। इस पर मैं उस आदमी को जवाब देते हुए। कहा अरे नहीं मेरे पास इतना टाइम नहीं है मेरी ट्रेन कभी भी खुल जाएगी। आप चाय दे दो, बस मैं ट्रेन में ही पी लूंगा। मेरे इतना कहते हि वो आदमी मेरे लिए कुल्लड़ में चाय  निकालने लगा। वह अभी चाय् ही निकाल रहा था कि तभी एक आवाज आई अरे कौन है वहां पर और यह सुनते हि। वह चाय वाला इतना जायदा डर गया कि वह अपना सामान छोड़कर हि उसी वक्त वहां से भाग गया। चाय वालों को ऐसे भागते देख । मैं भी डर सा गया। फिर जब मैं उसकी ओर देखा जो आवाज दे रहा था तो पाया कि वह कोई गार्ड है।जो लगड़ाते हुए मेरे तर्फ् बढ़े आ रहा था, पता नहीं क्यों वह आदमी मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था।  उसके कहने के बावजूद मैं वापस अपनी बोगी की तरफ जाने लगा। मुझे जाता देख वह गार्ड बोला, अरे तुम कहां जा रहे हो, रुको भाई रुको मगर में रुकने की जगह और तेज तेज चलने लगा। मैं अब बस किसी तरह वापस अपनी ट्रेन में चले जाना चाहता था। मैं अभी अपनी ट्रेन की तरफ बढ़ ही रहा था कि तभी किसी ने पीछे से मेरा कंधा पकड़ते हुए कहा, अरे मैं रुकने के लिए कह रहा हूं और तुम  रुकने के लिए कहे  जा रहा हु ओर जब मैंने पीछे पलट कर देखा तो पाया कि वही लंगड़ा आदमी मेरा बाजू पकड़े हुए हैं। फिर मैं नकली मुस्कान अपने चेहरे पर लाता हुआ उस आदमी से बोला, अच्छा तो आप मुझे आवाज दे रहे थे। मुझे लगा कि आप किसी और को आवाज दे रहे हैं। कहिए क्या बात है तो उस पर आदमी मेरा बाजू पकड़े हुए बोला, तुम यह बताओ। कि तुम वहां उस जगह पर क्यों खड़े थे। इस पर मैं अपने बाजु को उससे छोड़ाते हुए बोला, वह मुझे चाय की तलब लगी थी तो बस चाय पीने के लिए चाय वाले के पास खड़ा था। मगर पता नहीं क्यों वह आपकी आवाज सुनते ही नौ दो ग्यारह हो गया। मैं अभी उस आदमी को यह सारी बातें बता ही रहा था कि तभी वह आदमी मुझे सुघने लगा जो कि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया तो फिर मैंने उसे अपने से दूर करने की पूरी कोशिश की। मगर वह मेरा बाजु छोड़ने को तैयार ही नहीं था। इस बीच में ट्रेन में चलने का होरन दे दिया और हॉर्न  सुनते हि और जोर् लगाना शुरू कर दिया था पर कुछ फायदा नहीं हो रहा था। फिर मैंने उस आदमी से कहा कि अरे बाबा प्लीज छोड़ो मुझे नहीं तो मेरी ट्रेन छूट जाएगी। मुझसे अगर जाने अनजाने में कोई गलती हो गई हो तो मैं माफी चाहता हूं। आपसे पर मेरे लाड गिड़गिड़ाने के बावजूद भी उसने मेरे को नहीं छोड़ा और मेरे आंखों के सामने से ट्रेन निकल गई। ट्रेन को जाता देख। मुझे इतना गुस्सा आ गया कि मैं?उस आदमी पर चिल्लाते टूट पड़ा। मैंने अभी उसे एक तो चमाते  लगाए थे कि उसने मुझे उठा कर किसी बोल की तरह जोर से फेंक दिया। नीचे गिरते ही मुझे इतनी जोर से चोट लगी। मेरी आंखों में आंसू भर आए। मैं अभी किसी तरह उठा ही था कि वह लंगड़ा आदमी बेहद गुस्से में मेरी तरफ आने लगा। मैं यह तो समझ गया था कि अगर दोबारा उसके हाथ लगा तो वो आदमी मेरी हड्डियों का चूरमा बना देगा। मैं उठा और उससे दूर भागने लगा और तभी भागते वक्त रेलवे मास्टर के रूम की तरफ मेरी नजर गयी  जहां पर कोई खड़ा था। मैंने उसे आवाज् देते हुए कहा, अरे भैया मुझे बचा लो। मुझे वह आदमी बिना मतलब के मेरे पीछे पड़ा है। इस पर गेट पर खड़े आदमी ने मुझे अंदर आने का इशारा किया और इशारा पाते ही मे और तेज दौड़ा और फिर मैं उस रूम के भीतर चला गया। रूम के अंदर जाते ही उस आदमी ने दरवाजा बंद कर लिया उस वक्त में।इत्ना डरा हुआ था कि मैं ना तो कुछ सोच पा रहा था और ना ही कुछ बोल पा रहा था। तभी स्टेशन मास्टर ने कहा, तुम शांत हो जाओ। थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा। अभी उसने इतना कहा ही था तो उसकी फोन कि एकदम से रिंग बजी फोन पर बात करते ही स्टेशन मास्टर का चेहरा एकदम से उतर गया और उसी वक्त दरवाजा खोलकर बाहर चला गया। मगर जाते-जाते यह बोल कर गया कि कि मेरे लौटने तक अंदर ही रहना उसके बाहर जाते हि। मेने दरवाजा तक बंद करके भाई कौन में बैठ गया। अभी मैं कॉने में बैठे मन ही मन भगवान को याद ही कर रहा था कि तभी दरवाजे पर जोरों से ड्सतक होने लगी। दरवाजे पर होती दस्तक से मैं यह तो समझ गया था कि मेरी मौत ही दरवाजे पर दस्तक दे रही है। फिर जब मुझे स्टेशन मास्टर की आवाज सुनाई पड़ी तो मुझे थोड़ा सुकून मिला और मैं दरवाजा खोलने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ा।इससे पहले मैं दरवाजा खोलता कि मेरी नजर कमरे के उस खिड़की पर गयी, जिससे दरवाजे के बाहर का हिस्सा। मुझे दिखाई दे रहा था। मतलब कि अब मैं उस खिड़की से यह देख पा रहा था कि कौन दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। फिर जो मैंने देखा तो देखते ही मेरे दिल की धड़कनों के साथ मेरी सांसे भी बैठ गयी दर्शल् दरवाजे पर कोई भी नहीं था। मगर अभी भी दरवाजा जोरो से हील् रहा था। साथ ही मुझे स्टेशन मास्टर की आवाज भी लगातार सुनाई दे रही थी। मैं उसी वक्त कमरे में मौजूद मेज के नीचे जाकर बैठ गया और आंखें बंद कर ली। फिर कुछ देर के बाद दरवाजे पर बहुत दस्तक  होनी बंद हो गए। मगर मैं फिर भी जोका तो वहीं मेज के नीचे बैठा रहा। फिर कुछ देर बाद मुझे एक आवाज सुनाई पदि जो कि कुछ जानी पहचानी सी लगि। फिर जब मैं एक नजर उठाकर उसे खिड़की के बाहर देखा तो पाया कि।वही चाय वाला चाय लिए गेट पर खड़ा मुझे आवाज दे रहा था। उसे देखकर मुझे थोड़ा अच्छा लगा, क्योंकि अब मैं अकेला नहीं था और फिर मैं अपनी जगह से उठा और खिड़की की तरफ जाते हुए मैं उस चाय वाले से बोला, अरे भाई साहब, आप क्यों भाग गए थे और वह कौन था, मेरे इतना कहते हि। वह भी खिड़की की तरफ पलटा और खिड़की के करीब आते हुए मुझसे कहा, अरे वह तो एक नंबर का बदमाश है। हम जैसे गरीबों का जीना हराम कर रखा है। उसने इसी बीच उसने एक कप चाय की प्याली भी मुझे खिड़की से पकड़ा दी और कहा आप चाय पियो अब डरने की कोई बात नहीं है। उसके इतना कहते हि। मैं भी थोड़ा निश्चिंत हो गया और फिर मैं चाय पीने लगा। अभी मैंने एक घुट लिया ही था कि मुझे चाय का स्वाद इतना अच्छा लगा कि अगले 3 से 6 गुटों में चाय खत्म हो गए और आप मुझे एक प्याली चाय और चाहिए थी। मगर जब मेने एक कप और मांगने के लिए सामने। खीड़की की तरफ अपनी निगाहें की तो वह चाय वाला अब वहां से जा चुका था। बड़ी हैरत की बात थी कि वह चाय वाला बिना पैसे लिए ही वहां से चला गया था। फिर उसके जाते हि। कुछ ही देर में स्टेशन मास्टर भी लौट आए। उनके आते ही मैंने उनसे पूछा। सर यह सब क्या है। अभी मुझे पता नहीं वाले थे कि स्टेशन मास्टर का ध्यान मेरे हाथों में रखे चाय की प्याली पर गया और चाय की प्याली पर नजर पड़ते ही उनके चेहरे का भाव एकदम से बदल गया और घबराते बोले, तुमने अब यह चाय पी तो नहीं है ना तो इस पर में हिचकते हुए बोला, हां, एक दो घुट मेरे इतना बोलते हि। पहले तो उन्होंने मेरे हाथ से चाय की प्याली छीनकर खिड़की से बाहर फेंक दी। इससे पहले स्टेशन मास्टर से कुछ पूछता कि उन्होंने मुझे बाहर खिड़की की तरफ देखने का इशारा किया। फिर जब मैंने खिड़की से बाहर की तरफ देखा तो पाया कि बाहर अचानक। काले धुएँ का गुबार्।आने लगा है फिर जब मैंने और गौर से देखा तो पाया कि वह काले धुये का गुब्बार उस चाय की प्याली से बाहर निकल रहा था, जिसे मैं उस वक्त पी रहा था। यह देखते ही मेरे हाथ और पैर फिर से एक बार कांप उठे। फिर स्टेशन मास्टर ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बड़े ही निराश स्वर में कहा, आखिरकार उस चाय वाले ने तुम्हें अपना शिकार बना ही लिया। अब तुम 13 घंटों में बड़े ही दर्दनाक मौत मरने वाले हो। उनकी बातों से यह तो साफ था कि मैंने सच में वो चाय पीकर बहुत ही बड़ी गलती कर दी है। मैं तुरंत उस स्टेशन मास्टर के पैरों में गिर पड़ा और रोते बोला, मुझे मुझे किसी भी तरह बचा लो। मैं जिंदगी भर आपका एहसानमंद रहूंगा। इतने में ही मेरे मुंह से खून निकलने लगा। मेरे मुंह से खून निकलता देख स्टेशन मास्टर ने तुरंत ही किसी को फोन लगाते हुए कहा, तुम जल्दी से स्टेशन पहुंच जाओ। मुझे लगा कि उन्होंने किसी डॉक्टर को फोन किया है मगर जब कुछ देर बाद।वो आदमी पहुंचा तो कोई डॉक्टर नहीं बल्कि एक अजीब आदमी था, जिसका पूरा शरीर दूध की तरह गोरा था। उस आदमी ने आते हि। मेरी ओर देखा और अपने छोले से एक सफेद कपड़ा निकालते हुए उस कपड़े को मेरे आंख पर बांध दिया। मेरे आंखों पर वह सफेद कपड़ा बांधते हि । उस आदमी ने मेरे कानों में कहा, अब जो तुम्हें दिखाई देगा, तुम्हें उसे पकड़ना है और अगर तुम मुझसे नहीं पकड़ पाए तो तुम्हारी मौत पक्की हो जाएगी तो किसी भी तरह से उस चीज को पकड़ लेना और उस चीज के हाथ में आने के बाद फिर मैं बताऊंगा कि आगे क्या करना है। इतना बोलने के बाद उसने मेरे सिर पर दो तीन बार किसी चीज से मारा और उसके मारते हि। मैं एकदम से बेहोश हो गया। फिर जब मुझे होश आया तो मैं किसी कब्रिस्तान में पड़ा हुआ था। अपने आप को एकदम से कब्रिस्तान में पाकर् मैं चौक तो गया था, मगर मेरी आंख उस चीज को ढूंढ रहि थी जिससे मुझे किसी भी कीमत पर हासिल करना था पर अभी वहा पर।दूर-दूर तक खामोशी और सन्नाटे के अलावा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे लगा शायद कब्रों में से कुछ भयानक से निकलेगा। जिस वजह से मैं वहां की कबरों पर आंखें गड़ाए हुए था ताकि कोई भी हलचल हो तो मुझे तुरंत ही पता चल जाए। अभी मेरी नजरें कब्रो पर ही थी कि तभी मेरी नजर एक दुबले पतले आदमी पर पदि क्योंकि एक पेड़ के पीछे से झांक रहा था। उसे पेड़ के पीछे से झकता देख। मैंने उसे आवाज से देते हुए कहा, अरे सुनो भाई। मैंने अभी इतना कहा ही था कि जो आदमी पेड़ के पीछे से मुस्कुराते हुए बाहर आया जब उस सामने आकर खड़ा हुआ तो पता चला कि उसका एक पाव नहीं है। वह एक लाठी के सहारे इसी तरह से खड़ा था। फिर मैंने उसे नीचे से ऊपर देखते हुए बोला, अरे तुम इतना मुस्कुरा क्यों रहे हो। मैंने अभी इतना कहा ही था कि वो लंगड़ाते हुए। वह मुझसे दूर जाने लगा।उसे दूर ज्यादा देख मुझे यह याद आ गया कि उस सफेद आदमी ने कहा था कि जो भी चीज दिखे उसे पकड़ना है और यह सब याद आते हि। मैं उस लंगड़े आदमी को पकड़ने के लिए एकदम से दोड़ा शुरू में मुझे लगा था कि मैं पलक झपकते ही उसे पकड़ लूंगा। मगर मैं गलत था और मेरी सांसे दौड़ते दौड़ते उखड़ने लगी थी। मगर वह आदमी अभी भी मेरी पकड़ से काफी दूर था। मानो कब्रिस्तान की जमीन मुझे उस तक पहुंचने ही नहीं दे रही थी। पर मैंने अभी हार नहीं मानी थी। मैंने एक बार और अपना पूरा दमखम जोखा और उसके करीब पहुंचते हि। मैंने छलांग लगा दी। मेरे छलांग लगाते ही वो आदमी एकदम से गायब हो गया। वह तो हाथ नहीं लगा। मगर उसकी लाठी आप मेरे एक हाथ में थी और जैसे ही मैंने उस लाठी को अपने दोनों हाथों से पकड़ा तो एक तेज रोशनी हुयी जिससे मेरी आंख एकदम से। चौंधया आ गई फिर जब वो रोशनी गई तो मैंने अपने आप को अपने ने ट्रेन के पथ पर बैठा पाया था। ट्रेन अभी भी उसी स्टेशन पर खड़ी थी। मानो कि समय पीछे गया हो तभी मेरी नजर । उसी चायवाले पर गए जिसने मुझे मौत की चाय पिलाई थी। जहां उस चाय वाले को देख कर मुझे अभी भी डर लग रहा था तो वही मुझे इस बात की भी खुशी थी की में ट्रेन के भीतर सही सलामत हु। मैंने उसी वक्त सोच लिया था कि अब चाहे जो हो जाए, ट्रेन से नहीं उतरूंगा। तभी मेरे हथेली में जलन सी होने लगी थी और जब मैंने अपनी हटेली में देखा तो उसमें एक द्हक्ता हुआ लाल रंग का सिक्का था। इससे पहले उसे सिक्के को नीचे फेंक था कि तभी मैंने देखा कि वह सफेद आदमी मेरी ट्रेन की खिड़की पर खड़ा। मेरी ओर देख रहा है। फिर जब मेरी नजर उस आदमी पर गए तो वो बोला देखो  यह से सिक्का उस गार्ड को देकर वापस ट्रेन में बैठ जाना। और फिर कभी यह जाने की कोशिश मत करना।की यहां तुम्हारे साथ क्या हुआ, तुम चुपचाप यहां से निकल जाना और इतना बोलते हि। वह आदमी गायब हो गया और उसके गायब होते ही मैं ट्रेन से उतरा और उस गार्ड को ढूंढने लगा। काफी ढूंढने के बाद वह मुझे ट्रेन की सबसे पिछली बोगी के पास खिड़कियों में झकता हुआ  दिखा। मैं उसे देखते ही उसकी तरफ दौड़ा और उसके हाथ में सिक्का थमा आते ही मैं बिना उसका चेहरा देखे वापस अपने बोगी में जाकर बैठ गया। फिर कुछ ही देर में ट्रेन वहां से निकल गई और ट्रेन के निकलते ही मुझे बहुत राहत मिलि। उस रात का सफर काफी खौफनाक रहा। आज भी मेरे हाथ की हथेली पर उस सिक्के का निशान बना हुआ है जिस पर कुछ अलग सी भाषा में कुछ लिखा हुआ है। मैं अक्सर उस इंसान को देखकर यही सोचता हूं कि अगर बचाए वाला और वो गार्ड और वह सफेद आदमी कौन थे। उनकी क्या कहानी है मगर मैं यह जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता क्योंकि मैं फिर से मुसीबत में। आना नहीं चाहता हूं तो दोस्तों इस कहानी में बस इतना है तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर

यहा पर चाय पीना मना है

                              Horror story hindi                          आप देख रहे है भूतिया ऐहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते है आज की काहनी...

Popular Posts