NH 29 खौफनाक कहानी
आप देख रहे है भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बड़ते हैं। आज की कहानी की ओर दोस्तों गर्मियो का वह महीना था। जब मैं छत पर टांग पसारे सो रहा था कि तभी आसमान में काले बादल छा गए और जब बादल की गड़गड़ाहट की आवाज मेरे कानों में आए तो उस पागल की गड़गड़ाहट की आवाज सुनकर मेरी आंखे खुल गई तो आसमान में उस वक्त बिजली चमक रहि थी और हवाएं भी बहुत तेज चल रहि थी। अब यह देखकर मैं अपने बिस्तर को समेत्ने लगा। अभी मैं बिस्तर को समेट हि रहा था कि तभी मेरी नजर नीचे कुआं पर गए तो मैंने देखा कि उस कुएं के पास कोई बैठा हुआ है जिसे देखकर मैं हैरान हो गया कि इतनी रात को कौन उस कुएं के पास बैठा हुआ है। अभी मैं इसी सोच में ही था कि तभी आसमान से बिजली चमकि बिजली की चमक की रोशनी उस कुए की तरफ गए तो मैंने देखा कि वहां पर कोई औरत बैठी थी। अब यह देखकर मैं घबरा गया कि। इस तूफानी रात में वो औरत उस कुए के पास क्या कर रही है। अभी मैं यही सोचते हुए उस औरत की तरफ ही देख रहा था कि तभी वह औरत अचानक से गायब हो गए। अब उस औरत को गायब होता हुआ देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। अभी मैं डरा सहमा उस कुए की ही और ही देख रहा था कि तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा। कंधे पर हाथ देख कर अब मैं और भी ज्यादा डर गया था और जब डरते हो, मेने पीछे की तरफ पलट कर देखा तो उसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और अब मैं इधर से उधर नहीं हो पा रहा था। दर्शल् मैंने देखा कि वह वही औरत थी जिसे मैंने अभी उस कुए के पास देखा था। उस औरत का भयानक रूप देखकर मेरे हाथ पैर कांप रहे थे और अब मेरी आवाज भी नहीं निकल रही थी। अब मैं चीखने चिल्लाने की बहुत ही कोशिश करने लगा और मेरी आवाज ही नहीं निकल रहि थी कि तभी उस औरत ने मेरा गला पकड़ लिया और उस औरत के गला पकड़ते हि। मानो मेरी जान ही निकलने वाले थी कि तभी मेरी चीख निकल गई।मेरी चीख निकलती हि जब मेरी आंख खुलि तो मेरे सामने मेरे पापा खड़े थे और मैं खाट पर लेटा हुआ था और आसमान में तारे टमटम आ रहे थे। अब यह देखकर मैं हैरान हो गया कि अभी जो मैंने कुछ समय पहले देखा था, वह एक सपना था जिसे देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया था कि तभी पापा ने कहा कि क्या हुआ जो इस तरह सीख रहा था। पापा के इतना कहने पर मैंने कहा कि मैंने बहुत ही बुरा सपना देखा था। जिस वजह से मेरी चीख निकल गई। मेरी इतना कहने पर पापा ने मुझे नीचे चलने को कहा और साथ ही यह भी कहा कि मौसम भी खराब हो रहा है और शायद बारिश भी होने वाली है। अब पापा के इतना कहते हैं। मैं अपना बिस्तर समेटने लगा पर बार-बार मेरी नजर छत से उस कुएं की ओर जा रहि थी। पर उस कुएं के पास मुझे कोई भी नजर नहीं आया और फिर मैं बिस्तर समेटकर छत से नीचे आ गया।नीचे आते मैं भी बरामदे में खाट लगा कर लेट गया। पर बार-बार मेरे मन में वही चल रहा था जो मैंने कुछ समय पहले सपने में देखा था और अब मुझे नींद भी नहीं आ रही थी। अब देखते ही देखते बारिश की बूंदा बांदी भी होने लगी थी और उन बूंदाबांदी के साथ आसमान में बिजलियां भी कड़क रहि थी। जिस वजह से मुझे और भी ज्यादा डर लग रहा था। पर जैसे मैं अपनी आंखें बंद करता तो वैसे मुझे लगता कि वह औरत मेरे सर के पीछे खड़ी है। जिस वजह से मैं पूरी रात सो नहीं पाया और जब सुबह के 5:00 बजे तब जाकर मेरी आंख लगि और जब मेरी आंख खुलि तो सामने पापा खड़े थे। फिर जब मेरी नजर दीवाल पर लगी घड़ी पर गई तो मैंने देखा कि दोपहर के 12:00 बज रहे थे और फिर जब मेने पापा की ओर देखा तो उन्हें देखकर लग रहा था कि वो बहुत ही ज्यादा गुस्से में थे क्योंकि पापा ने मुझे कल राजेंद्र चाचा को पैसा देने को कहा था और मैं अभी तक सो रहा था। पापा का गुस्सा सातवें आसमान पर था और उनका गुस्सा। देख कर मैं उन पैसों को लेकर अपनी बाइक से राजेंद्र चाचा के घर की ओर जाने लगा। अभी मैं बाइक चलाते हुए जा ही रहा था कि दोपहर के समय गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था और धुप की वजह से कोई भी रोड पर नजर नहीं आ रहा था। धूप काफी होने की वजह से मैंने बाइक रोक दी और जब मैंने गले में गमछा लिया हुआ था, उस गमछे को चेहरे पर बांधने लगा। अभी मैं बाइक को रोक कर उस गमछे को चेहरे पर बांधी रहा था कि तभी मेरी नजर एक औरत पर गई जो मेरे ही तरफ आ रहि थी और उस औरत को देखकर मैं मन ही मन सोच रहा था कि इस कड़ाके की धूप में यह औरत कहां पर जा रही है कि तभी वह औरत अचानक से मेरे नजदीक आ गए और उस औरत को पास में देखकर मैं हैरान हो गया कि अभी तो यह औरत यहां से काफी दूर थी की अचानक से यह औरत यहां पर कैसे आ गए। अभी मैं ऐसी सोच में ही था कि तभी मेरी नजर उस औरत के पैर पर गए और उस औरत का पैर देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। डर से मेरे हाथ पेर काप रहे थे। दर्शल् मैंने देखा कि उस औरत के पैर पीछे मुड़े हुए थे जिसे देखकर मेरे दिल की।धडकने बहुत ही ज्यादा तेज हो गयी थी। तभी वह औरत मेरे पास आए और उस औरत को अपने पास देखकर मेरा शरीर सुन्न पड़ने लगा था और जब उस औरत ने अपने सर से पल्लू हटाया तो उसे देखकर मेरी रूह कप् कप आ गई । दरअसल मैंने देखा कि जिस औरत को मैंने सपने में देखा था वही औरत अब मेरे सामने खड़ी थी और जिसकी शक्ल बहुत ही ज्यादा भयानक थी जिसे मैं आप सभी को बयां भी नहीं कर सकता। उस औरत का भयानक रूप देखकर मैं वहीं पर बाइक से नीचे गिर पड़ा और नीचे गिरते हि मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और जब मुझे कुछ समय बाद होश आया तो मैं खाट पर लेटा हुआ था और मेरे चारों तरफ लोग खड़े थे। अभी वह सभी लोग मेरी तरफ ही देख रहे थे कि उन सभी को देखकर मैं खाट से उठ कर बैठ गया और मेरे पास बैठे हुए एक आदमी ने कहा, क्या हुआ था जो तुम वहां पर बेहोश हो गए थे। उस आदमी के इतना कहने पर मैंने उस आदमी को सारी बात बताई। मेरी बात सुनकर उन सभी के होश उड़ गए पर मेरी बात सुनकर वही पर खड़ी एक औरत् मुझे कुछ बताने वालि थी कि तभी मेरे पास बैठे। उस आदमी ने मुझे उस औरत को बताने से मना कर दिया। उस आदमी के मना करते हि। वह औरत चुप हो गए और फिर उस औरत ने कुछ नहीं बोला। फिर मैंने उस औरत से पूछा और उस औरत ने फिर भी कुछ नहीं बताया। पर उन सभी का चेहरा देखकर साफ जाहिर था कि कुछ तो था जो यह बता नहीं रहे थे। फिर मैं अपनी बाइक लेकर राजेंद्र चाचा के पास जाने के लिए अपनी बाइक स्टार्ट ही कर रहा था कि तभी उस आदमी ने कहा कि मझगवा जा रहे हो क्या उस आदमी के इतना कहते हि। मैंने सर हम हिलाते जवाब दिया। मेरे इतना कहते ही वह आदमी भी मेरे साथ जाने के लिए तैयार हो गया और फिर हम दोनों मझगवां की ओर निकल पड़े। पर बार-बार मेरे मन में वही सब सवाल घूम रहे थे कि वह औरत कौन थी। अब यही सब मेरे मन में चल रहा था और फिर कुछ समय के बाद हम मझगवां मार्केट में पहुंच गए। मार्केट में पहुंचते उस आदमी ने मुझे बाइक रोकने का इशारा किया।और उस आदमी का इशारा करते हि । मैंने बाइक को वहीं पर रोक दिया। बाइक के रुकते ही वह आदमी मुझे यह कह कर गया कि संभाल कर जाना इतना बोल कर वह आदमी वहां से चला गया और फिर मैं राजेंद्र चाचा के घर की ओर जाने लगा। फिर कुछ समय के बाद जब मैं राजेंद्र चाचा के घर पहुंचा तो मैंने देखा कि चाचा कुटी वाली मशीन चला रहे थे और चाची मशीन में घास लगा रहि थी। मुझे देख कर राजेंद्र चाचा ने मशीन को बंद कर दिया और मैं बाइक से उतर कर उनके पास गया तो उन्होंने मुझे खाट पर बैठने का इशारा किया। उनके इशारे करते हैं।मे उस खाट पर बैठ गया। खाट पर बैठते मैं वह पैसे निकालकर राजेंद्र चाचा को देने लगा।पर मुझे पैसा देता हूंआ। देखकर उन्होंने कहा कि मैंने जिस काम के लिए पैसा मंगाया था, वह काम ही नहीं हुआ है। अगर तुम्हें इन पैसों की जरूरत हो तो तुम ले जाओ और फिर जब जरूरत होगी तो मैं फिर से मांग लूंगा। अब चाचा के इतना कहने पर मैंने चाचा जी से कहा नहीं चाचा अभी आप इन पैसों को अपने पास रखो। मेरे इतना कहने पर चाचा ने वह पैसा चाची को रखने के लिए दे दिए और साथ ही चाय बनाने को कहा। चाचा के इतना कहते मैंने चाचा से कहा नहीं चाचा रहने दो, क्योंकि चाय पी चुके थे, काफी समय हो जाएगा और अब अंधेरा भी होने को है। मेरे इतना कहने पर चाचा ने कहा कि मैं भी साथ में चल रहा हो। मुझे सुनील भाई के घर जाना है। वहां पर तुम मुझे छोड़ देना और फिर तुम वहां से अपने घर चले जाना। अभी मैं और चाचा बातचीत ही कर रहे थे कि तभी चाची चाय बना कर ले आए और हम दोनों ने चाय पी और चाय पी कर फिर मैं चाचा हम दोनों साथ में निकल पड़े। अब अंधेरा भी काफी होने लगा था। जैसे मैं बाइक लेकर उसी जगह पर पहुंचा जहां पर मेने उस औरत्। को देखा था तो मैंने सोचा कि यह बात चाचा जी को बता देता हूं। अभी मैं चाचा को बताने हि जा रहा था कि चाचा ने कहा, यह तो सामने पेड़ दिखाई दे रहा है। उसी पेड़ पर एक औरत फांसी लगाकर मर गयि थी और गांव वालों का कहना है कि उस औरत की आत्मा आज भटकती रहती है। चाचा के इतना कहने पर फिर मैंने उन्हें सारी बात बताइ। मेरी बात सुनकर चाचा भी घबरा गए और उन्होंने मुझे बाइक सीधा घर लेकर चलने को कहा, चाचा के इतना कहने पर मैं बाइक लेकर सीधे घर जा पहुंचा और घर पहुंचते ही चाचा ने मुझे एक गिलास पानी लाने के लिए कहा। चाचा के इतना कहते हि मैं चाचा के लिए घर में से पानी लाने के लिए गया और जब मैं पानी लेकर आया तो चाचा मेरे साथ घटी घटना को मम्मी पापा को बता रहे थे। चाचा की यह बात सुनकर मम्मी पापा का भी चेहरा उतर गया कि तभी पापा ने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे गले में ताबीज को ढूंढने लगे। तभी मैंने पापा से कहा कि पापा वह लॉकेट तो अचानक ही कहीं गायब हो गया है या कहीं पर गिर गया है। मैने उस ताबीज को ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की पर वह कहीं नहीं मिला। मेरी बात सुनकर पापा बहुत ही ज्यादा डर गए थे कि तभी पापा ने अभिषेक के पास कॉल किया। दर्शल् अभिषेक मेरे गांव में रहता था जो कार ड्राइवर था। पापा ने अभिषेक को कॉल करके कार लेकर घर आने को कहा।इतना बोल कर पापा ने फोन काट दिया पर उन सभी का चेहरा देखकर यह साफ जाहिर था कि कुछ तो था जो मम्मी पापा मुझे पता नहीं रहे थे। मम्मी पापा का घबरा हुआ चेहरा देखकर मेने पापा से पूछ ही लिया। क्या हुआ पापा आप इतना घबरा क्यों रहे। मेरे इतना कहने पर पापा ने कहा कि कुछ नहीं बैठा और इतना बोल कर वो चुप हो गए कि तभी मुझे एक कार घर की तरफ आति हुई नजर आए और जब वह कार घर के पास आकर रुकि तो पापा ने मुझे और चाचा को कार के अंदर बैठने का इशारा किया। पापा के इशारे करते ही मैं और चाचा कार के अंदर बैठ गए। कार में बैठते मम्मी पापा घर के अंदर गए और जब घर से बाहर आए तो मैंने देखा कि पापा हाथ में लालटेन जैसा कुछ लिए हुए थे और उसके अंदर कुछ घूम रहा था। पर वह बहुत ही अजीब तरह का था और जैसे पापा कार के पास आए तो मैंने पापा से ही पूछ लिया। पापा यह क्या है मेरे इतना कहते ही पापा बिना कुछ बोलें हि कार के अंदर बैठ।गये पापा की कार में बैठते हि अभिषेक भाई कार को स्टार्ट कर के पापा की बताये हुई जगह पर लेकर जाने लगे और अब रात भी काफी हो चुकी थी। मैं कार में बैठकर कार से बाहर की ओर देख रहा था कि तभी मेरी नजर एक पेड़ पर गई जिसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और दर् से मेरे हाथ पैर कांपने लगे। मुझे इस तरह देखकर मेरे पास बैठे। चाचा ने कहा, क्या हुआ चाचा के इतना कहते हि जब मैंने चाचा को उस ओर देखने का इशारा किया तो मेरे इसारा करते हि जब चाचा ने उस ओर देखा तो वहां पर कोई भी नही था तभी चाचा ने कहा, वहां पर तो कुछ भी नहीं है। चाचा के इतना कहते ही मैंने चाचा को बताया कि वो औरत अभी मुझे उस पर बैठे हुए नजर आइ थी। अब मेरी बात सुनकर सभी लोग बहुत ही ज्यादा डर गए और पापा ने अभिषेक को और भी स्पीड से कार को चलाने के लिए कहा। पापा के इतना कहते हि अभिषेक ने कार को और भी ज्यादा स्पीड से भागना शुरू कर दिया। अभीसेक् ने कार को लेकर आगे की तरफ बढ़ हि रहा था कि तभी अचानक से रोड के बीच में कोई खड़ा हुआ दिखाई दिया और जब कार उसके पास गई तो मैंने देखा कि यह तो वही औरतें थी जिसे मैंने अभी कुछ समय पहले पेड़ पर देखा था। अब उस औरत को देखकर सभी लोग बहुत ही ज्यादा खबर आ गए कि अभी पापा ने कहा कि कार को मत रोकना और उस औरत को देखकर हम सभी बहुत ही ज्यादा डर गए थे कि तभी कार उस औरत को पार करते हुए आगे निकल गए और जब मैंने पीछे की तरफ पलट कर देखा तो वह औरत वही खदि थी और उस औरत का चेहरा बहुत ही ज्यादा भयानक था जिसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे और अभिषेक कार को उसी रफ्तार में आगे की ओर लेकर बढ़े जा रहा था कि तभी वह और सामने पेड़ पर खड़ी नजर आए कि तभी उस औरत ने पेड़ की बहुत ही मोटी डाल को हमारी तरफ फेक दिया। अब उस औरत के फेकते हि कार आगे निकल गए। अगर थोड़ा सा भी कार पीछे होति तो हम सभी उस् डाल की वजह से कार में वही डब कर मर जाते।वह तो हमारी किस्मत अच्छी थी कि कार उस डाल के गिरने से पहले ही आगे निकल गई। पर अब वो औरत हवा में उड़ते हुए हमारे पीछे आने लगि। पर अच्छी बात तो यह थी कि अभी भी अभिषेक कार उसी रफ्तार में भगाए जा रहा था। तभी रोड के दाएं तरफ एक बड़ा सा गेट दिखाई दिया और उस गेट को देखकर पापा ने कार को स्टेट की ओर जाने को कहा। पापा के इतना कहते हि। अभिषेक ने कार को गेट की तरफ मोड़ दिया कि तभी अचानक से कार की रफ्तार कम होने लगी और जब हमने पीछे पलट कर देखा तो उसे देखकर हम सभी हैरान हो गए। दर्शल् हमने देखा कि वह औरत कार को पकड़कर अपनी तरफ खींच रहि थी और दूसरी तरफ अभिषेक कार को स्पीड में करते जा रहा था कि तभी अचानक से उस औरत ने कार को छोड़ दिया और कार् काफी रफ्तार में होने की वजह से कर उस गेट में जाकर टकरा गए। जिस वजह से हम सभी को काफी चोट आ गए और वहीं पर अभिषेक के सर पर लगने की वजह से उसकी वहीं पर मौत हो गई क्योंकि अभीसेक्। का सर स्टेण्ड पर लगने की वजह से उसका सर फट गया। इस वजह से वह मर गया। दोस्तों यह सब देख कर हम सब बहुत ही ज्यादा डर गए थे।दर से हम सभी के पसीने छूट रहे थी। हालांकि हमें भी चोट आई थी पर उतनी गहरी नहीं थे। फिर हम सभी उस कार से उतरकर उस गेट के अंदर जाने वाले थे कि तभी उस औरत ने राजेंद्र चाचा का पैर पकड़ लिया और उन्हें घसीटते हुए वह लेकर जाने लगी। चाचा चीखते चिल्लाते रहे पर हम कुछ भी नहीं कर पाए और अचानक से चाचा अंधेरे में गायब हो गए। गायब होते हि। अब चाचा की आवाज आने भी बंद हो गए थी और आवाज के बंद होते और पापा और लालटेन जैसी चीज को लेकर हम दोनों उसके गेट के अंदर भागते हुए जाने लगे कि तभी हम एक कुटिया दिखाई पदि और उस कुटिया को देखकर पापा ने उसमें जाने का इशारा किया। इशारा करते हम उस कुटिया के पास जा पहुंचे और उस कुटिया के पास पहुंचते हि। मैंने देखा कि उस कुटिया के अंदर एक बाबा बैठे हुए थे कि तभी पापा ने बाबा से कहा कि हमें बचा लो।वो औरत हम!सभी को मारना चाहती है जिस पर बाबा ने कहा, मैंने तुम्हें बताया था कि जैसे तुम्हारा बेटा 15 साल का होगा। वैसे तुम सभी पर बहुत ही बड़ी मुसीबत आन पड़ेगी और इसीलिए मैंने तुम्हें ताबीज भी दिया था कि जब तक वो ताबीज तुम्हारे बेटे के गले में रहेगा। तब तक ना तो तुम्हारे बेटे को कुछ होगा और ना ही तुम सभी को और 15 साल के होते हि तुम अपने बेटे को मेरे पास लेकर आ जाना पर तुम्हें यह याद ही नहीं रहा। जिस वजह से आज ही सब हो रहा है। अगर और कुछ लेट करते तो साइड में जो हाथ में लिए हो, वह भी टूट जाता और जो उसके अंदर कैद है, वो बहार आ जाता तो तुम्हारा बेटा एक शैतान के रूप में बदल जाता और फिर तुम सभी काम मरना तय् था दोस्तो इतना बोल कर बाबा उस कुटिया से बाहर निकलकर अपनी साधना करने लगे और उस औरत को बुलाया। उस औरत के आते हवा बहुत ही तेज हो गई। अचानक से वो औरत बाबा के सामने आकर खड़ी हो गई। उस औरत को खून से लथपथ देख कर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। कि तभी बाबा ने अपनी तंत्र विद्या से उस औरत को कैद कर लिया और लालटेन जैसा जो था, वह भी पापा से मांग लिया था और फिर मुझे बाबा ने एक ताबीज दि और कहा जब तुम 30 साल के हो जाओगे तो उसके 1 दिन पहले ही तो मैं यहां पर आ जाना है नहीं तो यह औरत फिर से बाहर आ जाएगी और तुम्हें मारने की कोशिश करेगी और फिर उसके बाद से मैंने कभी भी और ताबीज को अपने से दूर नहीं किया और आज भी उस तारीख को मैं संभाल कर रखता हूं कि कहीं वह गिर ना जाए तो दोस्त एक कहानी में बस इतना है तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर।