खुनी रात पिसाच की कहानि

                                               Horror story in hindi 





   आप देख रहे है भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते  हैं आज की कहानी की ओर दोस्तों  आज कल की दुनिया में पैरानॉर्मल एक्टिविटी जैसी चीजों का नाम सिर्फ नाम ही रह गया है। मगर जो लोग इन चीजों पर यकीन नहीं करते और इसका विरोध करते हैं तो उनके साथ कभी-कभी कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। जिनके बाद वह से उभर नहीं पाते। मैं आज आपको अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले विक्रांत गुप्ता के साथ घटी एक कहानी के बारे में बताने जा रहा हूं। दोस्तों इस कहानी को आज भी स्थानीय लोग एक सच्चाई मानते हैं और उनका मानना है कि वास्तव में उनके साथ ऐसा हुआ था। दोस्तों आगे की कहानी मैं आपको विक्रांत के नजरिए से बताऊंगा। दोस्तों यह बात तब की है जब सर्दियों का मौसम था। दिसंबर के आसपास के इन दिनों में मैं रोजाना कोचिंग जाया करता था। सुबह करीब 10:00 बजे के आसपास मैं घर से निकलता था और शाम को 7:00 से 8:00 बजे के आसपास में वापस से अपने घर पहुंच जाता  और यही सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, लेकिन एक दिन मेरा प्लान थोड़ा अलग हो गया। दरअसल उस दिन मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर पिक्चर दिखाने के लिए जाना था तो ऐसे में मैंने अपने पापा से उनकी गाड़ी मांग ली। पापा ने भी मुझे मना नहीं किया क्योंकि मैं अपने घर का इकलौता बारिश हु और मेरे घर वालों ने मुझे बड़े लाड प्यार से पाला था तो ऐसे में पापा मुझे किसी भी चीज के लिए कभी मना ही नहीं करते थे। मगर जाते वक्त मेरे पापा ने कहा कि रात को गाड़ी ड्राइव मत करना। तुम अभी नए नए ड्राइवर हो और ऊपर से रास्ता भी थोड़ा खराब है। ऐसे में जरा संभलकर आना पापा की बातों को नजरअंदाज करते हुए मैं अपने घर से निकल गया और सीधा गुरुकृपा यूनिवर्सिटी के बगल में पढ़ने वाले कोचिंग के पास पहुंचा और वहां से अपनी गर्लफ्रेंड नीति । को बैठाकर वहां से रवाना हो गया। अब धीरे-धीरे टाइम भी बीतने लगा था और शाम का वक्त हो गया था। हम दोनों अभी भी कोचिंग से बहुत दूर थे। पहले तो मुझे उसे उसके गांव छोड़ना था।और फिर अपने घर जाना था और फिर उसके गांव और हमारे घर की दूरी बहुत ही ज्यादा थी। करीब मुझे 60 किलोमीटर का एरिया पार करना था तो ऐसी स्थिति में मुझे काफी समय लगने वाला था और ऊपर से मेरा कोई भी दोस्त मेरे साथ नहीं था तो ऐसे में मुझे घबराहट हो रही थी। लेकिन फिर मैंने रोड के ऊपर गाड़ी को भगाना शुरू कर दिया। मैं बस कुछ देर में ही पहुंचने वाला था। फिर जब मैंने घड़ी की तरफ देखा तो 6:30 बज रहे थे और मैं घर भी रात को 8:00 बजे के लगभग ही जाता था तो फिर मैंने गाड़ी की स्पीड को थोड़ा धीरे कर लिया। हालांकि इस समय ठंड बढ़ चुके थे और मुझे अपने हाथ पैर ठंडे महसूस होने लगे थे। जिस वजह से मैंने गाड़ी को चारों तरफ से बंद कर लिया था। फिर इसी बीच मुझे रास्ते के बगल में एक पानी पुरी वाला नजर आने लगा और उसे देख कर मैंने कार रोकी क्योंकि इस ठंड के अंदर मुझे पानी पूरी खाने का भी थोड़ा मन कर रहा था। फिर मैं गाड़ी से नीचे उतरा।सामने एक सफेद रंग का बोद् लगा हुआ था जिसके ऊपर हमारे गांव का नाम लिखा हुआ था और वह यहां से करीब 33 किलोमीटर दूर था। यानि की  33 किलोमीटर का सफर अभी भी बाकी था। फिर मैं उस पानी पुरी वाले के पास गया और उसके पास जाकर पानी पुरी खाने लगा। फिर बातों ही बातों में उस पानी पुरी वाले ने बताया कि अरे भाई साहब हम  अभी अपने धंधे को बंद करके निकलने वाले थे। कितने में तुम आ गए। वह क्या है कि रात को तो यहां से कोई गुजरता नहीं है। इसलिए हम निकालने वाले थे। अभी उसकी बात सुनकर मैं हैरानी  से बोल पड़ा। लेकिन रात को या फिर ऐसा क्या है। यहां से कोई ना गुजरता तो उसने बताया कि रात को यहां पर भूत का आतंक होता है। फिर मैंने उस पानीपुरी वाले की तरफ देखते हुए कहा, अरे भाई साहब आजकल कौन है जो इन सब चीजों पर यकीन करेगा। आप् भी क्या मजाक करते रहते हैं। इतना कहने के बाद मैंने उसे पैसे दिए और गाड़ी में बैठ गया। मैं अभी गाड़ी में बैठा ही था कि तभी उसने पीछे से आवाज दे तो कहा अरे बाबू साहेब कभी-कभी कुछ अनदेखी चीज आपके।पिछे पड़ जाती है तो फिर वह आपका पीछा नहीं छोड़ति तो जरा संभल कर जाना। इतना कहने के बाद उसने अपनी नजर को घुमा लिया। मगर मैंने भी उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वहां से निकल पड़ा। अब मेरे दिमाग में यह बात एक बार तो चलि थी कि आखिर इस रास्ते पर इतनी जल्दी इतना सन्नाटा पसर क्यों जाता है।, फिर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और ड्राइव करता रहा और गाड़ी को रफ्तार से चलाने लगा। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में मैंने अंदाजा भी नहीं लगाया था। दरअसल मैंने देखा कि सड़क के बगल में एक आदमी खड़ा था जिसके पैर पर बहुत ही ज्यादा चोट आई थी और खून भी निकल रहा था। वह मेरी गाड़ी के सामने से लिफ्ट मांग रहा था तो मैंने देखा कि वह आदमी थोड़ा संकट में है। फिर मैंने तुरंत ही अपनी गाड़ी का ब्रेक लगा दिया और गाड़ी का ब्रेक लगाते हि वह आदमी मेरे गाड़ी के कांच के सामने आकर खड़ा हो गया। अब उसकी स्थिति मुझे और भी ज्यादा खराब लग रही थी। उसकी सांसे तेज तेज फूल हुइ थी और वह कुछ कहने की कोशिश भी कर रहा था। कहीं ना कहीं मैं इस बात को अच्छी तरह से समझ गया था कि वह आदमी थोड़ी।मुसीबत में है इसलिए मैंने तुरंत अपनी गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और उसके बाद मौका पाते ही वह आदमी मेरी गाड़ी के अंदर दाखिल हुआ और गाड़ी के अंदर बैठ गया फिर थोड़ी देर तक जोर-जोर से सांस लेने के बाद उस आदमी ने बताया कि उसकी हालत का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि एक गाड़ी वाला था जो महज् कुछ सेकंड पहले ही उसे यहां पर ठोक कर चला गया। अब उसकी बाइक तो बगल वाली खाई के अंदर गिर चुकि थी तो उसे वापस लाना नामुमकिन है, लेकिन उसकी जान किसी तरह से बच गयी। यही काफी था। अब काफी बुरी हालत में था तो फिर मैंने उस आदमी से पूछा। भाई साहब, मैं आपको किसी अस्पताल में ले चलता हूं। हॉस्पिटल का नाम सुनते ही उसने मुझे घूरते हुए देखा और कहा तो मुझे किसी अस्पताल में मत ले चलो तो मुझे किसी तरह से मेरे घर छोड़ दो पर मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इतना चोटिल होने के बाद भी वह अस्पताल में क्यों नहीं जा रहा था। मगर मैं उसकी जिद के ऊपर कुछ बोल नहीं पाया और फिर मैंने अपनी गाड़ी को उसी तरह चलाना शुरु कर दीया। जिस तरह वह मुझे लेकर जा रहा था। लगभग 10 से 15 मिनट बिट गए और उसके बाद हम एक सुनसान जगह पर पहुंच गए। दरअसल मैंने देखा कि यह रास्ता तो पहले वाले रास्ते से भी कहीं ज्यादा डरावना सा लग रहा था। रास्ते के दोनों तरफ एकदम खाली जगह थी और कोई जगह पट्टापू बने बैठे जहां पर कुछ लोग निवास करते हो। दिखने में वह जगह बहुत ही ज्यादा सुंन्सान् लग रहि थी और साथ ही साथ अंदर ही अंदर अंदर से भयबित कर देने वाली भी मगर में डरा  नहीं और गाड़ी को चलाता ही रहा। इतने में ही मेरे फोन की रिंग बजने लगी थी। जब मैंने फोन की ओर देखा तो मैंने पाया कि पापा का फोन आ रहा था। मैंने तुरंत ही फोन उठाया और पापा को सारी बात बता दी। पर मेरी बातों को सुनकर पापा भी समझ गए थे कि जरूर में किसी आदमी को मुसीबत से बाहर निकालने में लगा हुआ हूं तो उन्होंने मुझे यह बोलकर फोन काट दिया कि जल्दी से घर पर आ जाना। फिर जब मैंने उस आदमी की तरफ देखा तो मैंने पाया की वो।आदमी दर्द से मुक्त हो चुका था। ऐसा लग रहा था जैसे कि अब उसके शरीर की सारी चोट बिल्कुल ठीक हो चुकि थी। मानो से कुछ हुआ ही नहीं था। यह सब मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। इसलिए मैंने उस आदमी से कहा भाई शाहब मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि आप के शरीर पर बिल्कुल कम चोट आई थी। अब मेरी बात सुनकर उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। पता नहीं क्यों लेकिन उसकी हल्की सी मुस्कान भी उस समय मेरे द्र्र् को  और भी ज्यादा बढ़ा रहि थी। पर मैं फिर भी अपने आप को संभाल कर बोला। वैसे भैया अभी तक आपका घर नहीं आया। आप कितनी दूर चलना है तभी उसने सामने की तरफ इशारा किया। वहां पर मुझे पुराने से खंडर पड़ी जगह पर कुछ ईट पत्थर नजर आ रहे थे और उन्हें देखते ही मैंने कहा, यहां पर आपका घर कैसे हो सकता है। यहां पर तो दूर-दूर तक कोई भी नहीं है। लेकिन अब उस आदमी ने मुझसे बात करना भी बंद कर दिया था। उसका नेचर बिगड़ चुका था। उसके व्यवहार को देखकर मुझे अजीब सा लग रहा था।तभी उसने मुझे गाड़ी रोकने को कहा। इस बार उसकी आवाज बहुत ही ज्यादा भारी हो गए थी और उसके सुनने से ही मेरे शरीर में सनसनी मच गई थी। फिर वह तुरंत ही गाड़ी से नीचे उतरा और बोला चलिए न भाई साहब एक कप चाय पी लेते हैं। उसके बाद चले जाना तो मैंने इस पर उसे मना कर दिया। उसने तुम्हारा से अपनी जिद की लेकिन फिर से मैंने मना कर दिया और तीसरी बार तो उसने हरि पार कर दी थी। उसने मुझे गुस्से से देखते हुए कहा जैसा कह रहा हूं, वैसा करो वरना तेरी जिंदगी यहीं पर खत्म कर दूंगा। अब यह सुनते ही मेरे हाथ-पैर फूल गए थे। मैं अंदर से पूरी तरह से कांप रहा था। लेकिन फिर भी मैंने उसे दिखावा करते हुए कहा अरे भाई साहब, आप भी अच्छा मजाक कर लेते हैं। जब मुझे लगा कि यह आदमी इतनी आसानी से नहीं मानेगा तो मैं तुरंत ही गाड़ी से नीचे उतर गया। हालांकि मुझे उस आदमी का वृताव काफी अजीब लग रहा था और साथ ही मुझे उससे डर भी लग रहा था। लेकिन उसके डर की वजह से ही मुझे नीचे उतरना पड़ा था। फिर मैं जैसे हि नीचे उतरा। तो मैंने देखा कि उसका घर बहुत ही पुराना सा लग रहा था। उसके घर के बाहर का दरवाजा भी टूटा फूटा था तो मैं तुरंत उस आदमी के पीछे पीछे इसके मकान के अंदर चला गया और पहली बार जैसी में उस मकान के अंदर कदम रखा तो मेरा मुंह मकड़ियों के जाले से भर गया और मैं जोर-जोर से खांसी लेने लगा। कहीं ना कहीं मैं समझ गया था कि मैं गलत जगह पर फंस गया हूं और इसलिए मैंने उस आदमी से कहा, भाई साहब, मैं जरा 2 मिनट में आता हूं। मैंने अभी इतना कहा ही था कि तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और फिर मुझे शोर से घसीट लिया तो मैं लड़खड़ाते हुए एक बार के लिए पत्थर से जा टकराया और फिर अंदर की तरफ जाकर गिरा। मुझे इतना तो एहसास हो गया था कि मे उस मकान के अंदर आ गया हो और मुझे और भी ज्यादा घबराहट हो रही थी। पता नहीं वह आदमी किस टाइप का था। बार-बार मुझे अजीब तरह से घूरता और मेरे साथ अजीब तरह का व्यवहार करता। इतना तो साफ हो चुका था कि उसके शरीर पर कहीं भी खरोच नही थी और सारा का सारा। उसका बिछाया हुआ 1 जाल था।मैं मैं बुरी तरह से फंस गया था तभी उस आदमी ने कहा, चुपचाप उस टेबल पर बैठ जाओ। मैंने अपनी आंखें खोल कर देखा तो मैंने पाया कि वहां पर एक लालटेन की रोशनी जल रही थी और चारों तरफ जानवरों की हड्डियां बिख्रि हुई थी। मुझे वहां पर कुछ इंसान ही टाइप की खोपड़ी भी दिखाई दे रहि थी। पर अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था। यह सब असली है या फिर नकली मेरी सांसें तेज़ होने लगी थी और मुझे उस आदमी से बहुत ही ज्यादा डर लग रहा था। फिर मैंने उस आदमी की तरफ दबी हई जुबान में कहा, भाई साहब, यह सब क्या है। मेरा यह सवाल सुनते हैं। उस आदमी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने कहा, तुम्हारी मौत का गेम दोस्तो  उसके मुंह से बस यह तीन चार शब्द ही निकले थे तो उसके बाद को खामोश हो गया और उसके बगल में पदि हुयी लालटेन की रोशनी हिलने दुलने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि यह रोशनी भी अब भुजने  वाली है। इससे पहले ही मैंने हिम्मत दिखाई और उसके बाद में दुम दबा कर वहां से भागने लगा।मे सीधा अपने गाडी के पास आया और दरवाजे खोलकर गाड़ी के अंदर दाखिल हो गया। तभी मैंने सोचा कि मैं जितना जल्दी हो सके, यहां से निकल जाऊंगा। लेकिन जैसे मैंने गाड़ी को स्टार्ट करने की कोशिश की तो मेने पाया की गाडी चाबी तो उसी मकान के अंदर रह गई थी। अब यह देख कर एक बार के लिए तो मेरा दिमाग खराब हो गया था। पर मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं यहां पर रुक कर अपनी किस्मत कोसु  तो मैंने तुरंत ही वहां से भागना शुरू कर दिया। मैं गाड़ी से उतरकर उसी रास्ते से भागने लगा था। जिस रास्ते से हम यहां पर आए थे, लेकिन हैरानी तो इस बात की थी कि भागते भागते में काफी दूर आ गया था, लेकिन एक बार भी मुझे इस तरह का एहसास नहीं हुआ जैसे कि कोई मेरे पीछे भाग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कि उस आदमी को मुझसे कोई मतलब ही नहीं था। थोड़ी दूर और आकर आ जाने के बाद मैं एक मोड़ पर पहुंचा और उस मोड़ के बाद यहां से रास्ता करीब 2 किलोमीटर आगे था और वहां जाकर ही।1 गवर्नमेंट स्कूल के पास पहुंच जाता है। वह गवर्नमेंट स्कूल इस रास्ते से थोड़ा आगे ही था और वहीं पर एक छोटा सा कस्बा भी पड़ता था बीच-बीच में छोटे-छोटे टापू भी थे, लेकिन मैंने इतनी रात को उन टापू के अंदर जाने ठीक नहीं समझा क्योंकि इतनी रात को अगर मैं किसी टापू में घुस गया तो फिर मेरे ऊपर मारपीट भी हो सकति थी। एक बार के लिए जब मैंने समय देखने की कोशिश की तो मैंने पाए की। इस समय रात के 11:00 बज रहे थे और इसी बीच मैंने अपने पापा को फोन लगाने की कोशिश की क्योंकि मैंने पहले जब फोन करने की कोशिश की थी तो मेरे फोन में नेटवर्क नहीं था। मगर इस बार  परंतु फोन लग गया और फोन लगाते हि। मेरे पापा को एक-एक करके सारी बात बता दी। तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई गाड़ी मेरा पीछा कर रही है। जब मैंने पलट कर देखा तो मेने पाया की यह तो मेरी ही वाली गाड़ी थी। अब यह देखकर मेरे होश उड़ गए। मैं इतना तो समझ गया था।की यह सब इस आदमी किया धरा है फिर। इतने में ही वह गाड़ी मेरे बगल से हो तो आगे जाकर रुक गए और उसका दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि गाडी के अंदर कोई नहीं था। तभी मेरे पीछे से आवाज आई। इतनी जल्दी कहां भाग रहे बाबू साहब जैसे मैंने पीछे पलट कर देखा तो मैंने पाया कि 6 फुट का एक लंबा कद काठी का आदमी मेरे पीछे खड़ा है। यह कोई और नहीं बल्कि वही आदमी था, लेकिन इस बार इसका पूरा हुलिया बदला हुआ था। उसके दात  बढ़े बढ़े थे और उसके हाथों के नाखून में खून लगा हुआ था और यह नजारा मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक नजारा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। फिर उसके बाद जब मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैंने फिर से दुम दबाकर भागना शुरू कर दिया। मैं रास्ते के ऊपर लगातार भागता जा रहा था और उस रास्ते में मुझे सड़क के ऊपर पड़ी छोटी-छोटी लकड़ी नजर नहीं आ रहि थी। जिस वजह से मेरे पैरों में चोट लग गई थी। मैं अपनी जान बचाकर भागता रहा। और फिर कुछ देर के बाद मैं 1 सरकारी स्कूल के पास पहुंच गया और वहां पर पहुंचते हि मेरे पापा की गाड़ी मेरे सामने आ गई , पर मुझे नहीं मालूम कि अब मेरी गाड़ी कहां पर गायब हो गयि थी लेकिन वह आदमी जरूर मेरे पीछे ही था। जैसे ही कार के हेडलाइट इधर आइ तो मैंने देखा कि वह आदमी भी अब एकदम से गायब हो चुका था। उसके बाद में जल्दी से अपने पापा के पास गया तो उन्होंने देखा कि मेरी हालत बहुत ही ज्यादा खराब थी और मेरे पैर और बाकी जिस्म के ऊपर भी काफी चोट आ गई थी तो उन्होंने मुझे जल्दी से गाड़ी में बिठाया और फिर वहां से सीधे हॉस्पिटल ले गए। अस्पताल में मुझे पट्टी करवायि और वह अस्पताल में रहने वाले 1 गार्ड  को हमने पूरी बात बताई तो उसने बताया कि उस रास्ते के ऊपर कुछ साल पहले एक आदमी रहता था और उस आदमी का घर परिवार, बेरोजगारी  और बीमारी के चलते संकट में पड़ गया और सभी लोग भूख के मारे मर गए तब से वह आदमी।उसी रास्ते पर भटकता है और आने जाने वाले लोगों को बेवकूफ बनाकर अपने साथ ले जाता है और उनेह काटकर खा लेता है अब वह एक पिसाच बन चुका है ओर अपने एरिया मे आने वाले किसी भी इंसान को जिंदा नही छोड़ता दोस्तों यह सब सुनकर मेरे पेरो तले जमीन खिसक गयी फिर उस गार्ड ने बताया की उसके चंगुल से बच पना ना मुमकिन जैसा है लेकिन आप की किस्मत बहुत अच्छी है जो आप व्हा से बचकर निकल गये तो दोस्तों इस कहनी मे बस इतना हि कहानी आपको पसंद आयी हों तो वीडियो को लाइक चैनल को सब्स्करीब जरूर

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