भिखारन् चुड़ैल की काली रात
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भिखारन् चुड़ैल की काली रात
Khooni apartment
आप् देख रहे हैं भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते हैं आज की कहानी के और दोस्तों अनिश्चित जगहो से भरी इस दुनिया में कभी भी कुछ भी हो सकता है। चाहे आप लाख जतन करें। सुरक्षित रहने की लेकिन आपका हर दांव उलटा ही पड़ेगा। शायद आपको मेरी यह बात अभी बेतुके या फिर बेवकूफ आना लगे। पर मेरा यह ख्याल यूं ही नहीं बन गया। आज से लगभग 7 साल पहले मेरा एक छोटा सा चार जनका हंसता खेलता परिवार था जो महज महीने भर में तबाह हो गया। 4 जन का परिवार वह परिवार अब सिमट कर दो। जन का ही रह गया है। मैं और मेरी धर्मपत्नी संध्या जिसे जिंदा रखने के लिए मुझे हर रात खून की खुराक का इंतजाम करना पड़ता है। दर्शल् मेरे बुरे वक्त की शुरुआत हुई। आज से लगभग 7 साल पहले सन् 2016 में जब मैं अपने परिवार के साथ मेघालय के सुवंशक् कालोनी में शिफ्ट हुआ। भारत का यहब बादल से घिरे रहने वाला राज्य है। अपनी खूबसूरती पारियों के लिए दुनिया भर में चर्चित है और इसी खूबसूरत वादियों के बीच मौजूद था। हमारा अपार्टमेंट पूर्णिमा इसके तीसरे माले पर था। हमारा अपना फ्लैट 013 पूर्णिमा अपार्टमेंट की सबसे जो अच्छी बातें थी कि यहां पर बहुत ही शांति थी। मसलन यहा किसी भी प्रकार का कोई भी शोर शराबा नहीं था। ऊपर से सिक्योरिटी भी बहुत ही ज्यादा टाइट थी यानी कि कुल मिलाकर सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था। पर मैंहेस् तीन से चार दिनों में है। अपार्टमेंट के सुकून भरी शांति रात होते ही डरावनी खामोशी में बदलने लगि। दर्शल् हमें कुछ ही दिनों में यह एहसास हो गया कि दिन में भी पूरे अपार्टमेंट में ना के बराबर ही चहल-पहल रहती थी और यही शांति रात के अंधेरे के साथ मिलकर एक डरावनी सूरत एक तैयार कर लेति थी खेर। अभी हम अपने नए घर को सजाने संवारने में ही मासूर्फ् थे।ईसी बीच कब हमारी दहलीज पर एक बड़ी मुसीबत में दस्तक दे दि?दर्शल् पांचवी रात को जब हम लोग सोने जा रहे थे कि तभी मेरे बेटे पुलकित को एकाएक खून की उल्टियां होने लगी, जिसे देखकर जहां पुलकित की मां अपनी सुध बुध खो बैति तो वही मैं भी बेहद घबरा गया था। फिर जब मेरी बड़ी बेटी सुनैना ने जो कहा, कुछ करो पापा। तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि यह वक्त ऐसे घबरआने का नहीं है। मैंने फॉरेन पुलकित को गोद में उठाया और बिना देरी किए। उसे नजदीकी हॉस्पिटल लेकर पहुंचा जहां आनन-फानन में पुलकित को इमरजेंसी में एडमिट तो कर लिया गया। पर जैसे मैंने पहले बिल् इनकाउंटर पर अपने घर का एड्रेस लिखवाया तो उसके अगले ही पल उन्होंने मुझे पुलकित को वहां से ले जाने को कह दिया। जिस पर मैं उन पर बहुत ही भड़का। मेरे भड़कते ही बोलोग् पुलकित को हॉस्पिटल के मेन गेट पर छोड़ कर चले गए। खून से लथपथ मेरा बेटा अब बेसुध हो चुका था।मेने एक बार फिर अपने बेटे को अपनी बांहों में उठाया और दूसरे अस्पताल की तरफ चल पड़ा और जब दूसरे अस्पताल में भी ठीक पहले अस्पताल वाला बर्ताव किया गया तो मैं पूरी तरह से टूट गया। मैंने उस डॉक्टर के हाथ पैर भी जोड़ें। यहां तक कि उनके जूतों पर अपनी नाक् तक रगड़ी पर उन लोगो का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार मजबूरन मुझे अपनी बेसूद बेटे को लेकर वहां से भी निकलना पड़ा। अभी मैं उस अस्पताल से निकला ही था कि तभी किसी ने पीछे से आवाज देते हुए कहा, आपके बेटे को पूर्णिमा ही बचा सकती है। उसके अलावा कोई भी नहीं। यह सुनते में पीछे पलटा तो मैंने देखा कि उसि अस्पताल की एक नर्स खड़ी है। उस नर्स पर नजर पड़ते ही मैंने उससे पूछा, कौन से अस्पताल में मिलेगी पूर्णिमा जी जिस पर उसने नर्स ने कहा कि आपके घर पर आप जल्दी से अपने घर पहुंचे। उसके इतना कहते में पागल बिना कुछ सोचे समझे अपने बेटे को लेकर अपने घर की तरफ चल पड़ा। वह नर्स से यह भी नहीं पूछा कि पूर्णिमा जी को मेरे घर का पता। मालूम भी है या फिर नहीं खेर घर पहुंचने के बाद अब मुझे इंतजार था तो पूर्णिमा जी के आने का कल रात से सुबह हो गई और सुबह से फिर रात पर अभी तक पूर्णिमा जी नहीं आए थी। वहीं पर मेरा बेटा अभी भी बेसुध पड़ा हुआ था। पर अच्छी बात तो यह थी कि उसकी सांसे अभी भी चल रही थी। संध्या और सुनैना भी गुमसुम पुलकित के सिरहाने किसी चमत्कार की आस में बैठे हुए थे कि इसी बीच घर की डोर बेल बजी डोर बेल के बजते मैं तुरंत ही दरवाजे की तरफ दौड़ा। इस उम्मीद में कि डॉ पूर्णिमा जी आई होगि। पर जब मैंने दरवाजा खोला तो मैं एक बार फिर मायूस हो गया, क्योंकि दरवाजे पर जीरो वन ज़ीरो फ्लैट की 1 मेद् खड़ी थी। इससे पहले मैं उस मेड से कुछ पूछता कि वह मेरे से बोले साहब मैंने सुना है कि पुलकित बाबा की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। जिस पर मैंने उसे जवाब देते हुए। कहां है तो पर चिंता वाली बात नहीं है। वह ठीक हो जाएगा। मेरे इतना कहती वह मेड बोली पुलकित बाबा की आज आखिरी रात है।अब उस मेड के यह कहते हि मेरे गुस्से का पारा एकदम से चडगया पर जब अग्ले ही पल् उस मैंद् ने कहा पर आप फिकर मत करो। मुझे पता है कि पुलकित बाबा कैसे ठीक होंगे। आप बस मेम साहब से मेरी बात करा दो तो यह सुनकर मेरे गुस्से का पारा जो बस फटने हि वाला था। वह अब एकदम से ठंडा हो गया। जिसके बाद मैंने अपनी बीवी संध्या को आवाज दी संध्या के आते उस मेड ने मुझे अंदर जाने को कहा, जिसके बाद में घर के भीतर चला आया फिर कुछ देर के बाद संध्या हाथ में एक काले रंग का कटोरा लेकर आए और बोलि पूर्णिमा ने कहा है कि इस कटोरे में कच्चा दूध भर के घर के चौखट के बाहर रखना है। अगर सुबह कटोरा खाली मिला तो अपना पुलकित बिल्कुल ठीक हो जाएगा। दोस्तों वैसे तो मुझे इस बात पर जरा सा भी यकीन नहीं हो रहा था। पर उस नर्स ने जैसा कहा था कि पूर्णिमा ही मेरे पुलकित की जान बचा सकती है। ऐसे में हमने ठीक वैसा ही किया जैसा कि उस मेद् ने करने को कहा था संध्या नर रात को तेरीमां पह्र्र यानी कि। तीसरे पहर के शुरू होते ही संध्या ने उस काली। कटोरी में कच्चा दूध भरकर चौखट के बाहर रख दिया और मन ही मन यह दुआ करने लगे कि एक टोटका किसी तरह काम कर जाए। उस रात हमारी आंखें बेसुध पड़े। पुलकित पर ही रात भर अटकी ही रहि और इसी बीच कब हम सब की आंख लग गई। पता ही नहीं चला। फिर जब सुबह मेरे कान में पुलकित की आवाज पदि तो मेरी आंखें खुली आंखें खुलती मेरी नजर पुलकित पर पदि जो संध्या को उठाते हुए कह रहा था। मां मुझे बहुत भूख लग रही है। कुछ खाने को दे दो। पुलकित को होश में देखकर संध्या भावुक् हो होकर गले लगाकर चूमने लगी। आखिरकार ऊपर वाले की कृपा से बहुत ही बुरा वक्त तल चुका था और फिर इसी बिच सुनेना वह खाली कटोरी ले आए जो पिछली रात चौखट के बाहर रखी थी जो कि अब खाली थी जैसा कि उस मेड ने कहा था, ठीक वैसा ही हुआ। पुलकित अब काफी ठीक लग रहा था और महज कुछ ही दिनों में पुलकित पहले जैसा हो गया था।इसी बीच में और संध्या ने उस मेड को शुक्रिया करने की सोची पर वह फिर कभी भी नहीं दिखि। यहां तक कि जब संन्ध्या फ्लैट नंबर 010 वाले से बात करने गई तो उन्होंने दरवाजा ही नहीं खोला। कुछ दिनों तक तो यह बात हमें भी खटकि पर बीते वक्त के साथ यह बात जहन के किसी कोने में दफन से हो गयि। हमारी लाइफ एक बार फिर से नॉर्मल हो चुकि थी। पर कभी-कभी ऐसा लगता था कि मुझे यह पूर्णिमा अपार्टमेंट छोड़ देना चाहिए। पर यह बस मेरा ख्याल भरी था जिस पर मैंने कभी इतना जोर हि नहीं दिया। बीते वक्त के साथ हमारी जिंदगी की गाड़ी फिर से शुरू से चलने लगी। इस बात से बेखबर कि मेरा पूरा परिवार मुसीबत के उस भंवर में फंस गया है जिससे निकलने का एक ही जरिया है और वह है मौत!दरअसल पुलकित के ठीक होने के कुछ ही महीनों बाद पुलकित की मां यानी कि मेरी धर्मपत्नी संध्या को उसके पीहर वालों ने बुलवा लिया। पर अपने पीहर निकलने से पहले जब संध्या ने मुझसे उस खाली कटोरी में दूध भर का चौखट के बाहर रखने को कहा तो मैं यह जानकर हैरान हो गया कि संध्या अभी भी वह दूध से भरा कटोरा घर के चौखट से बाहर रख रहि हैं, जबकि पुलकित को ठीक हुए कई महीने हो चुके थे। इससे पहले में संध्या से इस बारे में कुछ पूछ ताछ् करता । इससे पहले संध्या मेरी बेटी सुनैना के साथ अपने पीहर के लिए निकल गए। संध्या और सुनैना के जाने के बाद मैं भी अपने कामकाज में इतना बिजी हो गया कि संध्या की बात दिमाग से निकल गए और जब सुबह में उठा तो मैंने नोटिस किया के पूरे कमरे में अजीब सी गंध फैली हुई है। फिर जब मैंने गौर किया तो मेने पाया की ये गंध पुलकित के कमरे से आ रहि हैं। मेरे फॉरेन पुलकित को आवाज देते हुए उसके कमरे की तरफ बढ़ा और जब मैं पुलकित के कमरे में दाखिल हुआ तो मेरी चीख्। निकल गए। दर्शल् पुलकित के बिस्तर पर बेहिसाब किडो का ढेर लगा हुआ था जिनसे वह अजीब सी गंध आ रही थी। पर जैसे मैं बिस्तर के करीब पहुंचा तो मैंने पाया कि वह सारे कीड़े पुलकित के मुह आँख और उसके कान् से बाहर निकल रहे हैं। उन सभी किडो ने पुलकित को अंदर से खाकर खोखला कर दिया था। आपने बेटे का यह हाल देख कर मैं अपना शोध खो बैठा था। मैं तो यह भी नहीं समझ रहा था कि जो मैं देख रहा हूं, वह हकीकत भी है या फिर मेरा कोई बुरा सपना। फिर इसी बीच घर की डोर बेल बजी और जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने वही मेद् खड़ी थी, जिसने पुलकित की पिछली बार जान बचाई थी। इससे पहले उस मेड से कुछ कहता है कि वह बोलि अपनी मैडम जी को कॉल करो। शायद उसकी यह कहती मैं संध्या को कॉल करने वाला था कि इतने में ही संध्या का कॉल आ गया। मेरे कॉल रिसीव करते हि संध्या बोलि अरे तुमने दूध भर के वह काला कटोरा घर के बाहर रखा था कि नहीं संध्या ने जो उस काले कटोरी की बात कही। तब जाकर मुझे याद आया की मेरे से कितनी बड़ी भूल हो गई है। फिर जब आगे संन्ध्या रोते बोलि सुनेना सुबह से खून की उल्टियां किए जा रहि हैं तो यह सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गए मैं अपने बेटे को तो पहले ही खो चुका था और अब मैं अपनी बेटी सुनैना को किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे पता था कि सिर्फ मेड ही मेरी बेटी की जान बचा सकती है। फिर मे उस मेड के पैरों में गिर गया और अपनी बेटी की जान की भीख मांगने लगा। मुझे अपने पैरों पर रोता गिड़गिड़ाता देख वह मेड बोलि साहब आप चिंता मत करो, बिटिया को कुछ नहीं होगा। अब इतना बोल कर वो वहां से चली गई। अभी मैं वहां से उठकर घर के भीतर ही आया था कि तभी पीछे से उसी मेड ने आवाज देते कहा, यह लो साहब इस कपड़े में पुलकित बाबा की लाश को लपेट कर मुझे दे दो। उस मेड के इतना कहते हि मैंने उस पर भड़कते हुए कहा, तुम कहीं पागल तो नहीं हो गई हो भला मैं तुम्हें अपने बेटे की लाश क्यों दे दूंगा। जिस पर वह मुझे जवाब देते।हुये बोलि साहेब। अगर आप अपनी बेटी की जान की खैरियत चाहते हैं तो चुपचाप अपने बेटे की लाश मुझे दे दो नहीं तो आपकी बेटी भी जान से जाएगी। इस बार उस मेड के बोलने का अंदाज बिल्कुल बदल चुका था। उसके बदले तेवर से मुझे यह समझ्ते। देर नही लगी कि अगर इसकी बात ना मानने की गुस्ताखी की तो यकीनन मेरी बेटी भी नहीं बचेगी।लिहाजन ना चाहते हुए भी मैं अपने बेटे की लाश को उसके दीये गये काले कपड़े में लपेटा और उस मेड को थमाते हुए कहा, बस किसी भी तरह से मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए। जिस पर वह बोली कुछ नहीं होगा। तुम्हारे सुनैना को तुम बस यह बात किसी से मत कहना और ना ही यहां से भागने की सोच ना। अब यह बोलकर वह मेड मेरे बेटे की लाश को लेकर चले गए। वहीं मैं लाचारी और बेबसी के घूंट पीकर रह गया। पर अब यह तो जान चुका था कि जल्द ही यह पूर्णिमा अपार्टमेंट से जान छुड़ानी होगी। नहीं तो एक-एक करके सारे मारे जाएंगे। मुझे यह तो पता ही नहीं था कि आखरी यह सब हमारे साथ ही क्यों हो रहा है, पर इतना तो अंदाजा हो ही गया था कि हो ना हो, वह मेड इन सब की जिम्मेदार है। खेर पर यह वक्त जल्दबाजी दिखाने का नहीं बल्कि सूझबूझ से काम लेने का था। इसलिए सबसे पहले मैंने अपने अशांत मन को शांत किया और सोचने।लगा इस समस्या का समाधान और तभी मुझे उस नर्स का ख्याल आया जिसने कहा था कि पूर्णिमा ही मेरी मदद कर सकती है और हुआ भी वैसा ही यकीनन वह नर्स मेड पूर्णिमा के बारे में कुछ ना कुछ तो जरुर जानति होगि। यह जने सब सोच विचार के बाद मैं तुरंत उसे नर्स से मिलने उस अस्पताल में पहुंचा। जहां वह पिछली बार मिलि थी और संजोग से वह नर्स मुझे मिल गई और उस वक्त उसने पूर्णिमा के बारे में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। साथ ही यह भी हिदायत दी कि पूर्णिमा जैसा कहती है। वैसा ही करो नहीं तो अंजाम बहुत ही भयानक होगा। हर हाल में चुपचाप घर लौट आया और घर पहुंचने पर पता चला कि सुनैना और संध्या लौट आए हैं। सुनैना को ठीक देखकर जहां मुझे थोड़ी राहत मिली तो वही संध्या की नजर पुलकित को खोज रहि थी। उस वक्त मैंने संध्या को पुलकित के बारे में सच ना बता कर यह बता दिया कि वह अपने दोस्त रविंद्र के घर गया हुआ है। इसी बीच सुनैना ने मुझसे कहा।पापा वह मेद् आयी थी और फिर से एक और काला कटोरा दे गई। सुनैना की बात सुनते ही मैं समझ गया कि अब आगे क्या होने वाला है। अभी मैं इन्हीं सब उलझनों में उलझा हुआ था कि इसी बीच एक अननोन नंबर से कॉल आया। फिर जब मैंने कॉल उठाया तो कॉल पर वही नर्स थी जिससे मैं मिलने गया था। फिर जब मेरी उससे बात हुई तो उसने मुझसे कहा कि अगले 7 दिनों तक यह पता लगाएं कि कच्चे दूध से भरे उस काले कटोरे का दूध कौन पीता है। यह पता चलने के बाद हि बो नर्स हमारी कोई मदद कर पाएंगि उस नर्स की कॉल की वजह से मेरी थोड़ी आस् बन तो गई थी पर सब कुछ अंधेरे में ही लटका हुआ था। खैर नर्स से बात करने के बाद अब मेरा पूरा ध्यान उस कटोरी पर ही टिक गया था। फिर जैसे तीसरे पहर के शुरू होते ही संध्या ने वह दूध से भरा वह काला कटोरा घर के चौखट के बाहर रखा तो उसके फौरन बाद ही मैंने अपने मोबाइल में वीडियो रिकॉर्डिंग मोड स्टार्ट कर के बाहर वाले कमरे में ईस्तरह् छिपा। दिया की उस काले कटोरी की रिकॉर्डिंग होती रहे। मोबाइल फोन को सेट करने के बाद मे इंतजार करने लगा।फिर् सुबह के होने का बाद सुबह मैंने अपने मोबाइल फोन की वीडियो रिकॉर्डिंग देखी तो मे दंग रह गया। दरअसल वीडियो में जिसने उस काले कटोरी से दूध पिया, वह कोई और नहीं बल्कि मेरी बेटी सुनेन ही थि जबकि सुनैना तो कमरे से बाहर निकली भी नहीं थी। पर ऐसा कैसे हो सकता था। मैंने फोन ही नहीं उसे नर्स को कॉल किया और यह बात बता दी। मेरी पूरी बात सुनते। उसने उसने कहा, आप अपना जिगरा थोड़ा मजबूत कर लो सर, क्योंकि जो मैं आपको करने को कहूँगी उसे करने से अच्छा आप मर जाना पसंद करेंगे। इसके बाद उस नर्स ने कहा, आज आप सब की आखिरी रात है पर अभी भी एक मौका है। आपको आज रात उस काले कठोर में कच्चे दूध की जगह अपनी बेटी का खून भरके रखना होगा। साथ ही अपनी बेटी को आपको जंजीरों से बांधकर घर का एक एक रूम बंद करना होगा। इसके बाद अपनी बीवी के साथ पूर्णिमा अपार्टमेंट छोड़कर मेरे घर आ जाना। अगर आप मेरे घर सही सलामत पहुंच जाते। तो फिर मैं आपको?बताओगि कि आगे क्या करना है। इतना बोल कर उस नर्स ने फोन काट दिया और उससे बात करने के बाद मैं बढ़ ही दुविधा में पड़ गया। आखिर में अपनी खुद की बेटी के साथ भला ऐसा कैसे कर सकता था क्योंकि वही तो ले देकर वो मेरी एक ही दुनिया थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं कि तभी मेरे बदहवास पड़े। चेहरे ने सुनैना का ध्यान खींच लिया और जब सुनैना ने मुझे अपनी कसम देते हुए सब कुछ सच सच बताने को कहा तो मैंने उसे सारी बात बता दी। मेरी बात सुनने के बाद सुनैना के आंखों में आंसू छलक आए। सुनैना मुझसे लिपटे हुए बोली आप लोग अपनी जान बचा लो, पापा सुनैना के इतना कहते हि। मैं भी रो पड़ा। वहीं संध्या के कानों में हम दोनों बाप बेटे की रोने की आवाज पहुंचि तो वह बोली क्या हुआ आप् सब को अभी संध्या ने इतना कहा ही था कि तभी सुनैना ने कहा, कुछ नहीं।मा वह पुलकित तुम्हें रविंद्र के घर पर बुला रहा है। वह भी अभी तुम जल्दी से जल्दी जाकर देखो। पता नहीं पुलकित को क्या हुआ है?सुनैना को अच्छे से पता था कि पुलकित का नाम सुनते ही संध्या का ध्यान पुलकित पर चला जाएगा और हुआ भी कुछ वैसा ही संध्या फौरन रविंद्र के घर के लिए निकल गई। संध्या के घर के जाने के बाद मैंने रविंद्र के परिवार वालों को कॉल करके संध्या को किसी भी तरह अपने पास ही रोके रखने को कहा। जब तक कि मैं खुद ना आ जाओ। संध्या को लेने अभी मैं फोन पर बात ही कर रहा था। कि इतने मे सुनैना ने उस काले कटोरे को खून से भर दिया और मुझे थमाते बोलि, यह लो पापा जिसके बाद मैंने सुनैना को जंजीरों से बांधकर उसके कमरे में बंद कर दिया और रात के तीसरे पहर के शुरू होते ही मैं वह खून से भरा। काला कटोरा अपने घर की चौखट के बाहर रख् के सीधे रविंद्र के घर पर पहुंचा। जहां पर संध्या थी संध्या को वहां से लेने के बाद मैं पहुंचा उस नर्स के घर जहां पर उसने बताया कि अगले 13 महीनों के लिए हम तीनों ही सेफ् है मतलब कि सुनैना भी अब बस इन 13 महीनों में सुनैना को।उस पूर्णिमा अपार्टमेंट से निकालना होगा। दोस्तों इसके बाद क्या हुआ इस परिवार के साथ आखिर क्या राज है। मेघालय के पूर्णिमा अपार्टमेंट की इसका खुलासा करेंगे। इस कहानी के अंतिम भाग में तब तक के लिए बने रहिए हमारे साथ।
NH 29 खौफनाक कहानी
आप देख रहे है भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बड़ते हैं। आज की कहानी की ओर दोस्तों गर्मियो का वह महीना था। जब मैं छत पर टांग पसारे सो रहा था कि तभी आसमान में काले बादल छा गए और जब बादल की गड़गड़ाहट की आवाज मेरे कानों में आए तो उस पागल की गड़गड़ाहट की आवाज सुनकर मेरी आंखे खुल गई तो आसमान में उस वक्त बिजली चमक रहि थी और हवाएं भी बहुत तेज चल रहि थी। अब यह देखकर मैं अपने बिस्तर को समेत्ने लगा। अभी मैं बिस्तर को समेट हि रहा था कि तभी मेरी नजर नीचे कुआं पर गए तो मैंने देखा कि उस कुएं के पास कोई बैठा हुआ है जिसे देखकर मैं हैरान हो गया कि इतनी रात को कौन उस कुएं के पास बैठा हुआ है। अभी मैं इसी सोच में ही था कि तभी आसमान से बिजली चमकि बिजली की चमक की रोशनी उस कुए की तरफ गए तो मैंने देखा कि वहां पर कोई औरत बैठी थी। अब यह देखकर मैं घबरा गया कि। इस तूफानी रात में वो औरत उस कुए के पास क्या कर रही है। अभी मैं यही सोचते हुए उस औरत की तरफ ही देख रहा था कि तभी वह औरत अचानक से गायब हो गए। अब उस औरत को गायब होता हुआ देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। अभी मैं डरा सहमा उस कुए की ही और ही देख रहा था कि तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा। कंधे पर हाथ देख कर अब मैं और भी ज्यादा डर गया था और जब डरते हो, मेने पीछे की तरफ पलट कर देखा तो उसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और अब मैं इधर से उधर नहीं हो पा रहा था। दर्शल् मैंने देखा कि वह वही औरत थी जिसे मैंने अभी उस कुए के पास देखा था। उस औरत का भयानक रूप देखकर मेरे हाथ पैर कांप रहे थे और अब मेरी आवाज भी नहीं निकल रही थी। अब मैं चीखने चिल्लाने की बहुत ही कोशिश करने लगा और मेरी आवाज ही नहीं निकल रहि थी कि तभी उस औरत ने मेरा गला पकड़ लिया और उस औरत के गला पकड़ते हि। मानो मेरी जान ही निकलने वाले थी कि तभी मेरी चीख निकल गई।मेरी चीख निकलती हि जब मेरी आंख खुलि तो मेरे सामने मेरे पापा खड़े थे और मैं खाट पर लेटा हुआ था और आसमान में तारे टमटम आ रहे थे। अब यह देखकर मैं हैरान हो गया कि अभी जो मैंने कुछ समय पहले देखा था, वह एक सपना था जिसे देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया था कि तभी पापा ने कहा कि क्या हुआ जो इस तरह सीख रहा था। पापा के इतना कहने पर मैंने कहा कि मैंने बहुत ही बुरा सपना देखा था। जिस वजह से मेरी चीख निकल गई। मेरी इतना कहने पर पापा ने मुझे नीचे चलने को कहा और साथ ही यह भी कहा कि मौसम भी खराब हो रहा है और शायद बारिश भी होने वाली है। अब पापा के इतना कहते हैं। मैं अपना बिस्तर समेटने लगा पर बार-बार मेरी नजर छत से उस कुएं की ओर जा रहि थी। पर उस कुएं के पास मुझे कोई भी नजर नहीं आया और फिर मैं बिस्तर समेटकर छत से नीचे आ गया।नीचे आते मैं भी बरामदे में खाट लगा कर लेट गया। पर बार-बार मेरे मन में वही चल रहा था जो मैंने कुछ समय पहले सपने में देखा था और अब मुझे नींद भी नहीं आ रही थी। अब देखते ही देखते बारिश की बूंदा बांदी भी होने लगी थी और उन बूंदाबांदी के साथ आसमान में बिजलियां भी कड़क रहि थी। जिस वजह से मुझे और भी ज्यादा डर लग रहा था। पर जैसे मैं अपनी आंखें बंद करता तो वैसे मुझे लगता कि वह औरत मेरे सर के पीछे खड़ी है। जिस वजह से मैं पूरी रात सो नहीं पाया और जब सुबह के 5:00 बजे तब जाकर मेरी आंख लगि और जब मेरी आंख खुलि तो सामने पापा खड़े थे। फिर जब मेरी नजर दीवाल पर लगी घड़ी पर गई तो मैंने देखा कि दोपहर के 12:00 बज रहे थे और फिर जब मेने पापा की ओर देखा तो उन्हें देखकर लग रहा था कि वो बहुत ही ज्यादा गुस्से में थे क्योंकि पापा ने मुझे कल राजेंद्र चाचा को पैसा देने को कहा था और मैं अभी तक सो रहा था। पापा का गुस्सा सातवें आसमान पर था और उनका गुस्सा। देख कर मैं उन पैसों को लेकर अपनी बाइक से राजेंद्र चाचा के घर की ओर जाने लगा। अभी मैं बाइक चलाते हुए जा ही रहा था कि दोपहर के समय गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था और धुप की वजह से कोई भी रोड पर नजर नहीं आ रहा था। धूप काफी होने की वजह से मैंने बाइक रोक दी और जब मैंने गले में गमछा लिया हुआ था, उस गमछे को चेहरे पर बांधने लगा। अभी मैं बाइक को रोक कर उस गमछे को चेहरे पर बांधी रहा था कि तभी मेरी नजर एक औरत पर गई जो मेरे ही तरफ आ रहि थी और उस औरत को देखकर मैं मन ही मन सोच रहा था कि इस कड़ाके की धूप में यह औरत कहां पर जा रही है कि तभी वह औरत अचानक से मेरे नजदीक आ गए और उस औरत को पास में देखकर मैं हैरान हो गया कि अभी तो यह औरत यहां से काफी दूर थी की अचानक से यह औरत यहां पर कैसे आ गए। अभी मैं ऐसी सोच में ही था कि तभी मेरी नजर उस औरत के पैर पर गए और उस औरत का पैर देखकर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। डर से मेरे हाथ पेर काप रहे थे। दर्शल् मैंने देखा कि उस औरत के पैर पीछे मुड़े हुए थे जिसे देखकर मेरे दिल की।धडकने बहुत ही ज्यादा तेज हो गयी थी। तभी वह औरत मेरे पास आए और उस औरत को अपने पास देखकर मेरा शरीर सुन्न पड़ने लगा था और जब उस औरत ने अपने सर से पल्लू हटाया तो उसे देखकर मेरी रूह कप् कप आ गई । दरअसल मैंने देखा कि जिस औरत को मैंने सपने में देखा था वही औरत अब मेरे सामने खड़ी थी और जिसकी शक्ल बहुत ही ज्यादा भयानक थी जिसे मैं आप सभी को बयां भी नहीं कर सकता। उस औरत का भयानक रूप देखकर मैं वहीं पर बाइक से नीचे गिर पड़ा और नीचे गिरते हि मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और जब मुझे कुछ समय बाद होश आया तो मैं खाट पर लेटा हुआ था और मेरे चारों तरफ लोग खड़े थे। अभी वह सभी लोग मेरी तरफ ही देख रहे थे कि उन सभी को देखकर मैं खाट से उठ कर बैठ गया और मेरे पास बैठे हुए एक आदमी ने कहा, क्या हुआ था जो तुम वहां पर बेहोश हो गए थे। उस आदमी के इतना कहने पर मैंने उस आदमी को सारी बात बताई। मेरी बात सुनकर उन सभी के होश उड़ गए पर मेरी बात सुनकर वही पर खड़ी एक औरत् मुझे कुछ बताने वालि थी कि तभी मेरे पास बैठे। उस आदमी ने मुझे उस औरत को बताने से मना कर दिया। उस आदमी के मना करते हि। वह औरत चुप हो गए और फिर उस औरत ने कुछ नहीं बोला। फिर मैंने उस औरत से पूछा और उस औरत ने फिर भी कुछ नहीं बताया। पर उन सभी का चेहरा देखकर साफ जाहिर था कि कुछ तो था जो यह बता नहीं रहे थे। फिर मैं अपनी बाइक लेकर राजेंद्र चाचा के पास जाने के लिए अपनी बाइक स्टार्ट ही कर रहा था कि तभी उस आदमी ने कहा कि मझगवा जा रहे हो क्या उस आदमी के इतना कहते हि। मैंने सर हम हिलाते जवाब दिया। मेरे इतना कहते ही वह आदमी भी मेरे साथ जाने के लिए तैयार हो गया और फिर हम दोनों मझगवां की ओर निकल पड़े। पर बार-बार मेरे मन में वही सब सवाल घूम रहे थे कि वह औरत कौन थी। अब यही सब मेरे मन में चल रहा था और फिर कुछ समय के बाद हम मझगवां मार्केट में पहुंच गए। मार्केट में पहुंचते उस आदमी ने मुझे बाइक रोकने का इशारा किया।और उस आदमी का इशारा करते हि । मैंने बाइक को वहीं पर रोक दिया। बाइक के रुकते ही वह आदमी मुझे यह कह कर गया कि संभाल कर जाना इतना बोल कर वह आदमी वहां से चला गया और फिर मैं राजेंद्र चाचा के घर की ओर जाने लगा। फिर कुछ समय के बाद जब मैं राजेंद्र चाचा के घर पहुंचा तो मैंने देखा कि चाचा कुटी वाली मशीन चला रहे थे और चाची मशीन में घास लगा रहि थी। मुझे देख कर राजेंद्र चाचा ने मशीन को बंद कर दिया और मैं बाइक से उतर कर उनके पास गया तो उन्होंने मुझे खाट पर बैठने का इशारा किया। उनके इशारे करते हैं।मे उस खाट पर बैठ गया। खाट पर बैठते मैं वह पैसे निकालकर राजेंद्र चाचा को देने लगा।पर मुझे पैसा देता हूंआ। देखकर उन्होंने कहा कि मैंने जिस काम के लिए पैसा मंगाया था, वह काम ही नहीं हुआ है। अगर तुम्हें इन पैसों की जरूरत हो तो तुम ले जाओ और फिर जब जरूरत होगी तो मैं फिर से मांग लूंगा। अब चाचा के इतना कहने पर मैंने चाचा जी से कहा नहीं चाचा अभी आप इन पैसों को अपने पास रखो। मेरे इतना कहने पर चाचा ने वह पैसा चाची को रखने के लिए दे दिए और साथ ही चाय बनाने को कहा। चाचा के इतना कहते मैंने चाचा से कहा नहीं चाचा रहने दो, क्योंकि चाय पी चुके थे, काफी समय हो जाएगा और अब अंधेरा भी होने को है। मेरे इतना कहने पर चाचा ने कहा कि मैं भी साथ में चल रहा हो। मुझे सुनील भाई के घर जाना है। वहां पर तुम मुझे छोड़ देना और फिर तुम वहां से अपने घर चले जाना। अभी मैं और चाचा बातचीत ही कर रहे थे कि तभी चाची चाय बना कर ले आए और हम दोनों ने चाय पी और चाय पी कर फिर मैं चाचा हम दोनों साथ में निकल पड़े। अब अंधेरा भी काफी होने लगा था। जैसे मैं बाइक लेकर उसी जगह पर पहुंचा जहां पर मेने उस औरत्। को देखा था तो मैंने सोचा कि यह बात चाचा जी को बता देता हूं। अभी मैं चाचा को बताने हि जा रहा था कि चाचा ने कहा, यह तो सामने पेड़ दिखाई दे रहा है। उसी पेड़ पर एक औरत फांसी लगाकर मर गयि थी और गांव वालों का कहना है कि उस औरत की आत्मा आज भटकती रहती है। चाचा के इतना कहने पर फिर मैंने उन्हें सारी बात बताइ। मेरी बात सुनकर चाचा भी घबरा गए और उन्होंने मुझे बाइक सीधा घर लेकर चलने को कहा, चाचा के इतना कहने पर मैं बाइक लेकर सीधे घर जा पहुंचा और घर पहुंचते ही चाचा ने मुझे एक गिलास पानी लाने के लिए कहा। चाचा के इतना कहते हि मैं चाचा के लिए घर में से पानी लाने के लिए गया और जब मैं पानी लेकर आया तो चाचा मेरे साथ घटी घटना को मम्मी पापा को बता रहे थे। चाचा की यह बात सुनकर मम्मी पापा का भी चेहरा उतर गया कि तभी पापा ने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे गले में ताबीज को ढूंढने लगे। तभी मैंने पापा से कहा कि पापा वह लॉकेट तो अचानक ही कहीं गायब हो गया है या कहीं पर गिर गया है। मैने उस ताबीज को ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की पर वह कहीं नहीं मिला। मेरी बात सुनकर पापा बहुत ही ज्यादा डर गए थे कि तभी पापा ने अभिषेक के पास कॉल किया। दर्शल् अभिषेक मेरे गांव में रहता था जो कार ड्राइवर था। पापा ने अभिषेक को कॉल करके कार लेकर घर आने को कहा।इतना बोल कर पापा ने फोन काट दिया पर उन सभी का चेहरा देखकर यह साफ जाहिर था कि कुछ तो था जो मम्मी पापा मुझे पता नहीं रहे थे। मम्मी पापा का घबरा हुआ चेहरा देखकर मेने पापा से पूछ ही लिया। क्या हुआ पापा आप इतना घबरा क्यों रहे। मेरे इतना कहने पर पापा ने कहा कि कुछ नहीं बैठा और इतना बोल कर वो चुप हो गए कि तभी मुझे एक कार घर की तरफ आति हुई नजर आए और जब वह कार घर के पास आकर रुकि तो पापा ने मुझे और चाचा को कार के अंदर बैठने का इशारा किया। पापा के इशारे करते ही मैं और चाचा कार के अंदर बैठ गए। कार में बैठते मम्मी पापा घर के अंदर गए और जब घर से बाहर आए तो मैंने देखा कि पापा हाथ में लालटेन जैसा कुछ लिए हुए थे और उसके अंदर कुछ घूम रहा था। पर वह बहुत ही अजीब तरह का था और जैसे पापा कार के पास आए तो मैंने पापा से ही पूछ लिया। पापा यह क्या है मेरे इतना कहते ही पापा बिना कुछ बोलें हि कार के अंदर बैठ।गये पापा की कार में बैठते हि अभिषेक भाई कार को स्टार्ट कर के पापा की बताये हुई जगह पर लेकर जाने लगे और अब रात भी काफी हो चुकी थी। मैं कार में बैठकर कार से बाहर की ओर देख रहा था कि तभी मेरी नजर एक पेड़ पर गई जिसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और दर् से मेरे हाथ पैर कांपने लगे। मुझे इस तरह देखकर मेरे पास बैठे। चाचा ने कहा, क्या हुआ चाचा के इतना कहते हि जब मैंने चाचा को उस ओर देखने का इशारा किया तो मेरे इसारा करते हि जब चाचा ने उस ओर देखा तो वहां पर कोई भी नही था तभी चाचा ने कहा, वहां पर तो कुछ भी नहीं है। चाचा के इतना कहते ही मैंने चाचा को बताया कि वो औरत अभी मुझे उस पर बैठे हुए नजर आइ थी। अब मेरी बात सुनकर सभी लोग बहुत ही ज्यादा डर गए और पापा ने अभिषेक को और भी स्पीड से कार को चलाने के लिए कहा। पापा के इतना कहते हि अभिषेक ने कार को और भी ज्यादा स्पीड से भागना शुरू कर दिया। अभीसेक् ने कार को लेकर आगे की तरफ बढ़ हि रहा था कि तभी अचानक से रोड के बीच में कोई खड़ा हुआ दिखाई दिया और जब कार उसके पास गई तो मैंने देखा कि यह तो वही औरतें थी जिसे मैंने अभी कुछ समय पहले पेड़ पर देखा था। अब उस औरत को देखकर सभी लोग बहुत ही ज्यादा खबर आ गए कि अभी पापा ने कहा कि कार को मत रोकना और उस औरत को देखकर हम सभी बहुत ही ज्यादा डर गए थे कि तभी कार उस औरत को पार करते हुए आगे निकल गए और जब मैंने पीछे की तरफ पलट कर देखा तो वह औरत वही खदि थी और उस औरत का चेहरा बहुत ही ज्यादा भयानक था जिसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे और अभिषेक कार को उसी रफ्तार में आगे की ओर लेकर बढ़े जा रहा था कि तभी वह और सामने पेड़ पर खड़ी नजर आए कि तभी उस औरत ने पेड़ की बहुत ही मोटी डाल को हमारी तरफ फेक दिया। अब उस औरत के फेकते हि कार आगे निकल गए। अगर थोड़ा सा भी कार पीछे होति तो हम सभी उस् डाल की वजह से कार में वही डब कर मर जाते।वह तो हमारी किस्मत अच्छी थी कि कार उस डाल के गिरने से पहले ही आगे निकल गई। पर अब वो औरत हवा में उड़ते हुए हमारे पीछे आने लगि। पर अच्छी बात तो यह थी कि अभी भी अभिषेक कार उसी रफ्तार में भगाए जा रहा था। तभी रोड के दाएं तरफ एक बड़ा सा गेट दिखाई दिया और उस गेट को देखकर पापा ने कार को स्टेट की ओर जाने को कहा। पापा के इतना कहते हि। अभिषेक ने कार को गेट की तरफ मोड़ दिया कि तभी अचानक से कार की रफ्तार कम होने लगी और जब हमने पीछे पलट कर देखा तो उसे देखकर हम सभी हैरान हो गए। दर्शल् हमने देखा कि वह औरत कार को पकड़कर अपनी तरफ खींच रहि थी और दूसरी तरफ अभिषेक कार को स्पीड में करते जा रहा था कि तभी अचानक से उस औरत ने कार को छोड़ दिया और कार् काफी रफ्तार में होने की वजह से कर उस गेट में जाकर टकरा गए। जिस वजह से हम सभी को काफी चोट आ गए और वहीं पर अभिषेक के सर पर लगने की वजह से उसकी वहीं पर मौत हो गई क्योंकि अभीसेक्। का सर स्टेण्ड पर लगने की वजह से उसका सर फट गया। इस वजह से वह मर गया। दोस्तों यह सब देख कर हम सब बहुत ही ज्यादा डर गए थे।दर से हम सभी के पसीने छूट रहे थी। हालांकि हमें भी चोट आई थी पर उतनी गहरी नहीं थे। फिर हम सभी उस कार से उतरकर उस गेट के अंदर जाने वाले थे कि तभी उस औरत ने राजेंद्र चाचा का पैर पकड़ लिया और उन्हें घसीटते हुए वह लेकर जाने लगी। चाचा चीखते चिल्लाते रहे पर हम कुछ भी नहीं कर पाए और अचानक से चाचा अंधेरे में गायब हो गए। गायब होते हि। अब चाचा की आवाज आने भी बंद हो गए थी और आवाज के बंद होते और पापा और लालटेन जैसी चीज को लेकर हम दोनों उसके गेट के अंदर भागते हुए जाने लगे कि तभी हम एक कुटिया दिखाई पदि और उस कुटिया को देखकर पापा ने उसमें जाने का इशारा किया। इशारा करते हम उस कुटिया के पास जा पहुंचे और उस कुटिया के पास पहुंचते हि। मैंने देखा कि उस कुटिया के अंदर एक बाबा बैठे हुए थे कि तभी पापा ने बाबा से कहा कि हमें बचा लो।वो औरत हम!सभी को मारना चाहती है जिस पर बाबा ने कहा, मैंने तुम्हें बताया था कि जैसे तुम्हारा बेटा 15 साल का होगा। वैसे तुम सभी पर बहुत ही बड़ी मुसीबत आन पड़ेगी और इसीलिए मैंने तुम्हें ताबीज भी दिया था कि जब तक वो ताबीज तुम्हारे बेटे के गले में रहेगा। तब तक ना तो तुम्हारे बेटे को कुछ होगा और ना ही तुम सभी को और 15 साल के होते हि तुम अपने बेटे को मेरे पास लेकर आ जाना पर तुम्हें यह याद ही नहीं रहा। जिस वजह से आज ही सब हो रहा है। अगर और कुछ लेट करते तो साइड में जो हाथ में लिए हो, वह भी टूट जाता और जो उसके अंदर कैद है, वो बहार आ जाता तो तुम्हारा बेटा एक शैतान के रूप में बदल जाता और फिर तुम सभी काम मरना तय् था दोस्तो इतना बोल कर बाबा उस कुटिया से बाहर निकलकर अपनी साधना करने लगे और उस औरत को बुलाया। उस औरत के आते हवा बहुत ही तेज हो गई। अचानक से वो औरत बाबा के सामने आकर खड़ी हो गई। उस औरत को खून से लथपथ देख कर मैं बहुत ही ज्यादा डर गया। कि तभी बाबा ने अपनी तंत्र विद्या से उस औरत को कैद कर लिया और लालटेन जैसा जो था, वह भी पापा से मांग लिया था और फिर मुझे बाबा ने एक ताबीज दि और कहा जब तुम 30 साल के हो जाओगे तो उसके 1 दिन पहले ही तो मैं यहां पर आ जाना है नहीं तो यह औरत फिर से बाहर आ जाएगी और तुम्हें मारने की कोशिश करेगी और फिर उसके बाद से मैंने कभी भी और ताबीज को अपने से दूर नहीं किया और आज भी उस तारीख को मैं संभाल कर रखता हूं कि कहीं वह गिर ना जाए तो दोस्त एक कहानी में बस इतना है तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर।
Horror story in hindi
आप देख रहे है भूतिया एहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते हैं आज की कहानी की ओर दोस्तों आज कल की दुनिया में पैरानॉर्मल एक्टिविटी जैसी चीजों का नाम सिर्फ नाम ही रह गया है। मगर जो लोग इन चीजों पर यकीन नहीं करते और इसका विरोध करते हैं तो उनके साथ कभी-कभी कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। जिनके बाद वह से उभर नहीं पाते। मैं आज आपको अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले विक्रांत गुप्ता के साथ घटी एक कहानी के बारे में बताने जा रहा हूं। दोस्तों इस कहानी को आज भी स्थानीय लोग एक सच्चाई मानते हैं और उनका मानना है कि वास्तव में उनके साथ ऐसा हुआ था। दोस्तों आगे की कहानी मैं आपको विक्रांत के नजरिए से बताऊंगा। दोस्तों यह बात तब की है जब सर्दियों का मौसम था। दिसंबर के आसपास के इन दिनों में मैं रोजाना कोचिंग जाया करता था। सुबह करीब 10:00 बजे के आसपास मैं घर से निकलता था और शाम को 7:00 से 8:00 बजे के आसपास में वापस से अपने घर पहुंच जाता और यही सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, लेकिन एक दिन मेरा प्लान थोड़ा अलग हो गया। दरअसल उस दिन मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर पिक्चर दिखाने के लिए जाना था तो ऐसे में मैंने अपने पापा से उनकी गाड़ी मांग ली। पापा ने भी मुझे मना नहीं किया क्योंकि मैं अपने घर का इकलौता बारिश हु और मेरे घर वालों ने मुझे बड़े लाड प्यार से पाला था तो ऐसे में पापा मुझे किसी भी चीज के लिए कभी मना ही नहीं करते थे। मगर जाते वक्त मेरे पापा ने कहा कि रात को गाड़ी ड्राइव मत करना। तुम अभी नए नए ड्राइवर हो और ऊपर से रास्ता भी थोड़ा खराब है। ऐसे में जरा संभलकर आना पापा की बातों को नजरअंदाज करते हुए मैं अपने घर से निकल गया और सीधा गुरुकृपा यूनिवर्सिटी के बगल में पढ़ने वाले कोचिंग के पास पहुंचा और वहां से अपनी गर्लफ्रेंड नीति । को बैठाकर वहां से रवाना हो गया। अब धीरे-धीरे टाइम भी बीतने लगा था और शाम का वक्त हो गया था। हम दोनों अभी भी कोचिंग से बहुत दूर थे। पहले तो मुझे उसे उसके गांव छोड़ना था।और फिर अपने घर जाना था और फिर उसके गांव और हमारे घर की दूरी बहुत ही ज्यादा थी। करीब मुझे 60 किलोमीटर का एरिया पार करना था तो ऐसी स्थिति में मुझे काफी समय लगने वाला था और ऊपर से मेरा कोई भी दोस्त मेरे साथ नहीं था तो ऐसे में मुझे घबराहट हो रही थी। लेकिन फिर मैंने रोड के ऊपर गाड़ी को भगाना शुरू कर दिया। मैं बस कुछ देर में ही पहुंचने वाला था। फिर जब मैंने घड़ी की तरफ देखा तो 6:30 बज रहे थे और मैं घर भी रात को 8:00 बजे के लगभग ही जाता था तो फिर मैंने गाड़ी की स्पीड को थोड़ा धीरे कर लिया। हालांकि इस समय ठंड बढ़ चुके थे और मुझे अपने हाथ पैर ठंडे महसूस होने लगे थे। जिस वजह से मैंने गाड़ी को चारों तरफ से बंद कर लिया था। फिर इसी बीच मुझे रास्ते के बगल में एक पानी पुरी वाला नजर आने लगा और उसे देख कर मैंने कार रोकी क्योंकि इस ठंड के अंदर मुझे पानी पूरी खाने का भी थोड़ा मन कर रहा था। फिर मैं गाड़ी से नीचे उतरा।सामने एक सफेद रंग का बोद् लगा हुआ था जिसके ऊपर हमारे गांव का नाम लिखा हुआ था और वह यहां से करीब 33 किलोमीटर दूर था। यानि की 33 किलोमीटर का सफर अभी भी बाकी था। फिर मैं उस पानी पुरी वाले के पास गया और उसके पास जाकर पानी पुरी खाने लगा। फिर बातों ही बातों में उस पानी पुरी वाले ने बताया कि अरे भाई साहब हम अभी अपने धंधे को बंद करके निकलने वाले थे। कितने में तुम आ गए। वह क्या है कि रात को तो यहां से कोई गुजरता नहीं है। इसलिए हम निकालने वाले थे। अभी उसकी बात सुनकर मैं हैरानी से बोल पड़ा। लेकिन रात को या फिर ऐसा क्या है। यहां से कोई ना गुजरता तो उसने बताया कि रात को यहां पर भूत का आतंक होता है। फिर मैंने उस पानीपुरी वाले की तरफ देखते हुए कहा, अरे भाई साहब आजकल कौन है जो इन सब चीजों पर यकीन करेगा। आप् भी क्या मजाक करते रहते हैं। इतना कहने के बाद मैंने उसे पैसे दिए और गाड़ी में बैठ गया। मैं अभी गाड़ी में बैठा ही था कि तभी उसने पीछे से आवाज दे तो कहा अरे बाबू साहेब कभी-कभी कुछ अनदेखी चीज आपके।पिछे पड़ जाती है तो फिर वह आपका पीछा नहीं छोड़ति तो जरा संभल कर जाना। इतना कहने के बाद उसने अपनी नजर को घुमा लिया। मगर मैंने भी उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वहां से निकल पड़ा। अब मेरे दिमाग में यह बात एक बार तो चलि थी कि आखिर इस रास्ते पर इतनी जल्दी इतना सन्नाटा पसर क्यों जाता है।, फिर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और ड्राइव करता रहा और गाड़ी को रफ्तार से चलाने लगा। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में मैंने अंदाजा भी नहीं लगाया था। दरअसल मैंने देखा कि सड़क के बगल में एक आदमी खड़ा था जिसके पैर पर बहुत ही ज्यादा चोट आई थी और खून भी निकल रहा था। वह मेरी गाड़ी के सामने से लिफ्ट मांग रहा था तो मैंने देखा कि वह आदमी थोड़ा संकट में है। फिर मैंने तुरंत ही अपनी गाड़ी का ब्रेक लगा दिया और गाड़ी का ब्रेक लगाते हि वह आदमी मेरे गाड़ी के कांच के सामने आकर खड़ा हो गया। अब उसकी स्थिति मुझे और भी ज्यादा खराब लग रही थी। उसकी सांसे तेज तेज फूल हुइ थी और वह कुछ कहने की कोशिश भी कर रहा था। कहीं ना कहीं मैं इस बात को अच्छी तरह से समझ गया था कि वह आदमी थोड़ी।मुसीबत में है इसलिए मैंने तुरंत अपनी गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और उसके बाद मौका पाते ही वह आदमी मेरी गाड़ी के अंदर दाखिल हुआ और गाड़ी के अंदर बैठ गया फिर थोड़ी देर तक जोर-जोर से सांस लेने के बाद उस आदमी ने बताया कि उसकी हालत का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि एक गाड़ी वाला था जो महज् कुछ सेकंड पहले ही उसे यहां पर ठोक कर चला गया। अब उसकी बाइक तो बगल वाली खाई के अंदर गिर चुकि थी तो उसे वापस लाना नामुमकिन है, लेकिन उसकी जान किसी तरह से बच गयी। यही काफी था। अब काफी बुरी हालत में था तो फिर मैंने उस आदमी से पूछा। भाई साहब, मैं आपको किसी अस्पताल में ले चलता हूं। हॉस्पिटल का नाम सुनते ही उसने मुझे घूरते हुए देखा और कहा तो मुझे किसी अस्पताल में मत ले चलो तो मुझे किसी तरह से मेरे घर छोड़ दो पर मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इतना चोटिल होने के बाद भी वह अस्पताल में क्यों नहीं जा रहा था। मगर मैं उसकी जिद के ऊपर कुछ बोल नहीं पाया और फिर मैंने अपनी गाड़ी को उसी तरह चलाना शुरु कर दीया। जिस तरह वह मुझे लेकर जा रहा था। लगभग 10 से 15 मिनट बिट गए और उसके बाद हम एक सुनसान जगह पर पहुंच गए। दरअसल मैंने देखा कि यह रास्ता तो पहले वाले रास्ते से भी कहीं ज्यादा डरावना सा लग रहा था। रास्ते के दोनों तरफ एकदम खाली जगह थी और कोई जगह पट्टापू बने बैठे जहां पर कुछ लोग निवास करते हो। दिखने में वह जगह बहुत ही ज्यादा सुंन्सान् लग रहि थी और साथ ही साथ अंदर ही अंदर अंदर से भयबित कर देने वाली भी मगर में डरा नहीं और गाड़ी को चलाता ही रहा। इतने में ही मेरे फोन की रिंग बजने लगी थी। जब मैंने फोन की ओर देखा तो मैंने पाया कि पापा का फोन आ रहा था। मैंने तुरंत ही फोन उठाया और पापा को सारी बात बता दी। पर मेरी बातों को सुनकर पापा भी समझ गए थे कि जरूर में किसी आदमी को मुसीबत से बाहर निकालने में लगा हुआ हूं तो उन्होंने मुझे यह बोलकर फोन काट दिया कि जल्दी से घर पर आ जाना। फिर जब मैंने उस आदमी की तरफ देखा तो मैंने पाया की वो।आदमी दर्द से मुक्त हो चुका था। ऐसा लग रहा था जैसे कि अब उसके शरीर की सारी चोट बिल्कुल ठीक हो चुकि थी। मानो से कुछ हुआ ही नहीं था। यह सब मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। इसलिए मैंने उस आदमी से कहा भाई शाहब मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि आप के शरीर पर बिल्कुल कम चोट आई थी। अब मेरी बात सुनकर उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। पता नहीं क्यों लेकिन उसकी हल्की सी मुस्कान भी उस समय मेरे द्र्र् को और भी ज्यादा बढ़ा रहि थी। पर मैं फिर भी अपने आप को संभाल कर बोला। वैसे भैया अभी तक आपका घर नहीं आया। आप कितनी दूर चलना है तभी उसने सामने की तरफ इशारा किया। वहां पर मुझे पुराने से खंडर पड़ी जगह पर कुछ ईट पत्थर नजर आ रहे थे और उन्हें देखते ही मैंने कहा, यहां पर आपका घर कैसे हो सकता है। यहां पर तो दूर-दूर तक कोई भी नहीं है। लेकिन अब उस आदमी ने मुझसे बात करना भी बंद कर दिया था। उसका नेचर बिगड़ चुका था। उसके व्यवहार को देखकर मुझे अजीब सा लग रहा था।तभी उसने मुझे गाड़ी रोकने को कहा। इस बार उसकी आवाज बहुत ही ज्यादा भारी हो गए थी और उसके सुनने से ही मेरे शरीर में सनसनी मच गई थी। फिर वह तुरंत ही गाड़ी से नीचे उतरा और बोला चलिए न भाई साहब एक कप चाय पी लेते हैं। उसके बाद चले जाना तो मैंने इस पर उसे मना कर दिया। उसने तुम्हारा से अपनी जिद की लेकिन फिर से मैंने मना कर दिया और तीसरी बार तो उसने हरि पार कर दी थी। उसने मुझे गुस्से से देखते हुए कहा जैसा कह रहा हूं, वैसा करो वरना तेरी जिंदगी यहीं पर खत्म कर दूंगा। अब यह सुनते ही मेरे हाथ-पैर फूल गए थे। मैं अंदर से पूरी तरह से कांप रहा था। लेकिन फिर भी मैंने उसे दिखावा करते हुए कहा अरे भाई साहब, आप भी अच्छा मजाक कर लेते हैं। जब मुझे लगा कि यह आदमी इतनी आसानी से नहीं मानेगा तो मैं तुरंत ही गाड़ी से नीचे उतर गया। हालांकि मुझे उस आदमी का वृताव काफी अजीब लग रहा था और साथ ही मुझे उससे डर भी लग रहा था। लेकिन उसके डर की वजह से ही मुझे नीचे उतरना पड़ा था। फिर मैं जैसे हि नीचे उतरा। तो मैंने देखा कि उसका घर बहुत ही पुराना सा लग रहा था। उसके घर के बाहर का दरवाजा भी टूटा फूटा था तो मैं तुरंत उस आदमी के पीछे पीछे इसके मकान के अंदर चला गया और पहली बार जैसी में उस मकान के अंदर कदम रखा तो मेरा मुंह मकड़ियों के जाले से भर गया और मैं जोर-जोर से खांसी लेने लगा। कहीं ना कहीं मैं समझ गया था कि मैं गलत जगह पर फंस गया हूं और इसलिए मैंने उस आदमी से कहा, भाई साहब, मैं जरा 2 मिनट में आता हूं। मैंने अभी इतना कहा ही था कि तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और फिर मुझे शोर से घसीट लिया तो मैं लड़खड़ाते हुए एक बार के लिए पत्थर से जा टकराया और फिर अंदर की तरफ जाकर गिरा। मुझे इतना तो एहसास हो गया था कि मे उस मकान के अंदर आ गया हो और मुझे और भी ज्यादा घबराहट हो रही थी। पता नहीं वह आदमी किस टाइप का था। बार-बार मुझे अजीब तरह से घूरता और मेरे साथ अजीब तरह का व्यवहार करता। इतना तो साफ हो चुका था कि उसके शरीर पर कहीं भी खरोच नही थी और सारा का सारा। उसका बिछाया हुआ 1 जाल था।मैं मैं बुरी तरह से फंस गया था तभी उस आदमी ने कहा, चुपचाप उस टेबल पर बैठ जाओ। मैंने अपनी आंखें खोल कर देखा तो मैंने पाया कि वहां पर एक लालटेन की रोशनी जल रही थी और चारों तरफ जानवरों की हड्डियां बिख्रि हुई थी। मुझे वहां पर कुछ इंसान ही टाइप की खोपड़ी भी दिखाई दे रहि थी। पर अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था। यह सब असली है या फिर नकली मेरी सांसें तेज़ होने लगी थी और मुझे उस आदमी से बहुत ही ज्यादा डर लग रहा था। फिर मैंने उस आदमी की तरफ दबी हई जुबान में कहा, भाई साहब, यह सब क्या है। मेरा यह सवाल सुनते हैं। उस आदमी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने कहा, तुम्हारी मौत का गेम दोस्तो उसके मुंह से बस यह तीन चार शब्द ही निकले थे तो उसके बाद को खामोश हो गया और उसके बगल में पदि हुयी लालटेन की रोशनी हिलने दुलने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि यह रोशनी भी अब भुजने वाली है। इससे पहले ही मैंने हिम्मत दिखाई और उसके बाद में दुम दबा कर वहां से भागने लगा।मे सीधा अपने गाडी के पास आया और दरवाजे खोलकर गाड़ी के अंदर दाखिल हो गया। तभी मैंने सोचा कि मैं जितना जल्दी हो सके, यहां से निकल जाऊंगा। लेकिन जैसे मैंने गाड़ी को स्टार्ट करने की कोशिश की तो मेने पाया की गाडी चाबी तो उसी मकान के अंदर रह गई थी। अब यह देख कर एक बार के लिए तो मेरा दिमाग खराब हो गया था। पर मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं यहां पर रुक कर अपनी किस्मत कोसु तो मैंने तुरंत ही वहां से भागना शुरू कर दिया। मैं गाड़ी से उतरकर उसी रास्ते से भागने लगा था। जिस रास्ते से हम यहां पर आए थे, लेकिन हैरानी तो इस बात की थी कि भागते भागते में काफी दूर आ गया था, लेकिन एक बार भी मुझे इस तरह का एहसास नहीं हुआ जैसे कि कोई मेरे पीछे भाग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कि उस आदमी को मुझसे कोई मतलब ही नहीं था। थोड़ी दूर और आकर आ जाने के बाद मैं एक मोड़ पर पहुंचा और उस मोड़ के बाद यहां से रास्ता करीब 2 किलोमीटर आगे था और वहां जाकर ही।1 गवर्नमेंट स्कूल के पास पहुंच जाता है। वह गवर्नमेंट स्कूल इस रास्ते से थोड़ा आगे ही था और वहीं पर एक छोटा सा कस्बा भी पड़ता था बीच-बीच में छोटे-छोटे टापू भी थे, लेकिन मैंने इतनी रात को उन टापू के अंदर जाने ठीक नहीं समझा क्योंकि इतनी रात को अगर मैं किसी टापू में घुस गया तो फिर मेरे ऊपर मारपीट भी हो सकति थी। एक बार के लिए जब मैंने समय देखने की कोशिश की तो मैंने पाए की। इस समय रात के 11:00 बज रहे थे और इसी बीच मैंने अपने पापा को फोन लगाने की कोशिश की क्योंकि मैंने पहले जब फोन करने की कोशिश की थी तो मेरे फोन में नेटवर्क नहीं था। मगर इस बार परंतु फोन लग गया और फोन लगाते हि। मेरे पापा को एक-एक करके सारी बात बता दी। तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई गाड़ी मेरा पीछा कर रही है। जब मैंने पलट कर देखा तो मेने पाया की यह तो मेरी ही वाली गाड़ी थी। अब यह देखकर मेरे होश उड़ गए। मैं इतना तो समझ गया था।की यह सब इस आदमी किया धरा है फिर। इतने में ही वह गाड़ी मेरे बगल से हो तो आगे जाकर रुक गए और उसका दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि गाडी के अंदर कोई नहीं था। तभी मेरे पीछे से आवाज आई। इतनी जल्दी कहां भाग रहे बाबू साहब जैसे मैंने पीछे पलट कर देखा तो मैंने पाया कि 6 फुट का एक लंबा कद काठी का आदमी मेरे पीछे खड़ा है। यह कोई और नहीं बल्कि वही आदमी था, लेकिन इस बार इसका पूरा हुलिया बदला हुआ था। उसके दात बढ़े बढ़े थे और उसके हाथों के नाखून में खून लगा हुआ था और यह नजारा मेरी जिंदगी का सबसे खौफनाक नजारा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। फिर उसके बाद जब मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैंने फिर से दुम दबाकर भागना शुरू कर दिया। मैं रास्ते के ऊपर लगातार भागता जा रहा था और उस रास्ते में मुझे सड़क के ऊपर पड़ी छोटी-छोटी लकड़ी नजर नहीं आ रहि थी। जिस वजह से मेरे पैरों में चोट लग गई थी। मैं अपनी जान बचाकर भागता रहा। और फिर कुछ देर के बाद मैं 1 सरकारी स्कूल के पास पहुंच गया और वहां पर पहुंचते हि मेरे पापा की गाड़ी मेरे सामने आ गई , पर मुझे नहीं मालूम कि अब मेरी गाड़ी कहां पर गायब हो गयि थी लेकिन वह आदमी जरूर मेरे पीछे ही था। जैसे ही कार के हेडलाइट इधर आइ तो मैंने देखा कि वह आदमी भी अब एकदम से गायब हो चुका था। उसके बाद में जल्दी से अपने पापा के पास गया तो उन्होंने देखा कि मेरी हालत बहुत ही ज्यादा खराब थी और मेरे पैर और बाकी जिस्म के ऊपर भी काफी चोट आ गई थी तो उन्होंने मुझे जल्दी से गाड़ी में बिठाया और फिर वहां से सीधे हॉस्पिटल ले गए। अस्पताल में मुझे पट्टी करवायि और वह अस्पताल में रहने वाले 1 गार्ड को हमने पूरी बात बताई तो उसने बताया कि उस रास्ते के ऊपर कुछ साल पहले एक आदमी रहता था और उस आदमी का घर परिवार, बेरोजगारी और बीमारी के चलते संकट में पड़ गया और सभी लोग भूख के मारे मर गए तब से वह आदमी।उसी रास्ते पर भटकता है और आने जाने वाले लोगों को बेवकूफ बनाकर अपने साथ ले जाता है और उनेह काटकर खा लेता है अब वह एक पिसाच बन चुका है ओर अपने एरिया मे आने वाले किसी भी इंसान को जिंदा नही छोड़ता दोस्तों यह सब सुनकर मेरे पेरो तले जमीन खिसक गयी फिर उस गार्ड ने बताया की उसके चंगुल से बच पना ना मुमकिन जैसा है लेकिन आप की किस्मत बहुत अच्छी है जो आप व्हा से बचकर निकल गये तो दोस्तों इस कहनी मे बस इतना हि कहानी आपको पसंद आयी हों तो वीडियो को लाइक चैनल को सब्स्करीब जरूर
NH 112 पर आज भी इस तांगेवाली का आतंक सर चढ़कर बोलता है
देख रहे हैं भूतिया एहसाह् दिवाकर के साथ तो चलिए बढ़ते हैं। आज की कहानी की और दोस्तों मुझे ठीक से तो याद नहीं है, लेकिन उस वक्त रात के तकरीबन 8:15 बज रहे थे। चारों तरफ पूरी तरह से अंधेरा हो गया था। इस समय में मुकुंदगढ़ की एक छोटी सी गली में खड़ा था। हुआ कुछ यूं था कि उस दिन मैं अपनी आर्मी की भर्ती में जाकर वापस से घर लौट रहा था और मेरे सारे साथ ही लोग पहले ही निकल चुके थे। ऐसे में मैं अकेला ही रह गया था। मैं चाहता तो पहले ही निकल जाता लेकिन किसी पर्सनल कारण के चलते मुझे बगल वाले गांव में जाना पड़ गया था। उसके बाद में रात के करीबन 8:15 बजे के आसपास टैक्सी स्टैंड पर आ गया। दरअसल मैंने देखा कि उस टैक्सी स्टैंड के पास मुझे एक भी ऑटो नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में मैं वहीं पर रखी हुई एक टेबल पर जाकर बैठ गया और किसी साधन के आने का वेट करने लगा। टाइम बितता गया?उसके साथ ही मेरी उम्मीद अब कम होती जा रही थी क्योंकि मुझे कोई भी टैक्सी वाला वहां पर दिखाई नहीं पड़ रहा था। ऊपर से बारिश ने भी मुसीबत में बाधा बनना शुरू कर दिया था। हल्की हल्की बारिश के चलते अब मेरे कपड़े भी गिले होने लगे थे। अब समय लगभग 9:30 बजे के आसपास हो गया था और हैरानी तो इस बात की थी। इस टैक्सी स्टैंड पर मैंने अभी तक कोई भी टैक्सी नहीं देखी थी। तभी मैंने देखा कि मुझे उस टैक्सी स्टैंड के पास एक आदमी छाता लिए हुए अपनी तरफ आता हुआ नजर आने लगा। उस आदमी ने पूरी की पूरी ड्रेस सफेद रंग की पहन रखी थी। उस आदमी को देखकर मेरी जान में जान आई क्योंकि इस टैक्सी स्टैंड पर बैठे-बैठे मुझे तो यही लग रहा था कि ये टैक्सी स्टैंड टैक्सी स्टैंड से कम और खामोशी का मोहल्ला ज्यादा लग रहा है। फिर वह आदमी मेरे पास आ गया। जैसे ही वह मेरे पास आया तो मैंने देखा कि उसने अपना चेहरा अपने ही सफेद रुमाल से ढक के रखा हुआ था वह।मेरे पास आया और उसने कहा भाई साहब, यहां पर अभी कोई टैक्स आएगी। क्या तो इस पर मैंने उसे बताया कि मैं भी खुद ही यहां पर टैक्सी को ढूंढ ढूंढ के परेशान हो गया हूं, लेकिन मुझे भी कोई टेक्सी नहीं मिल रही है। जैसे उसने यह सुना है तो उसने अपनी गर्दन हिलाई और उसके बाद वह बोल पड़ा। यहां से 2 किलोमीटर आगे सस्ता बाजार पड़ता है और सस्ते बाजार में हमें कोई ना कोई टैक्सी तो मिल ही जाएगी। लेकिन वहां तक हमें पैदल ही निकलना होगा। अब उस आदमी की बात सुनकर मैं पहले तो दो पल के लिए सोचता रहा है। फिर जब मैंने उसे स्टैंड की खामोशी को महसूस किया तो मुझे लगा कि मुझे उस आदमी के साथ उसी तरफ निकल जाना चाहिए क्योंकि अब बारिश ने सफर के अंदर बाधा डालना शुरू कर दिया था। उसके बाद में उस आदमी के साथ निकल पड़ा। अब हम दोनों सबसे पहले उस टैक्सी स्टैंड से बाहर आए।तो तो मैंने देखा कि हम एक सुनसान रोड पर आ गए थे। उसके बाद उस आदमी ने मुझे अपने पीछे पीछे आने का इशारा किया। मैं उस आदमी से बात करना चाहता था, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे वह मुझसे बात करने के मूड में नहीं था। उसने अपनी छाती को बंद कर लिया था। लगभग 15 मिनट बीतने के बाद अब हम दोनों एक इलाके में पहुंच गए। वहां पर मुझे कुछ टूटे-फूटे मकान नजर आ रहे थे और ब्न्जर् सी पड़ी हुई जमीन भी दिखाई दे रहि थी। सच कहूं तो यहां तो उस टैक्सी स्टैंड से भी ज्यादा सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन जैसे ही हम दोनों ने एक दरवाजे पर दस्तक दी तो मैंने देखा कि उसके अंदर बहुत सारी दुकानें खुली हुई थी और उनके सामने कुछ लोग बैठे हुए थे और अपने सामान की बिक्री कर रहे थे। उन लोगों को देखकर मुझे काफी अजीब सा लग रहा था। इतने लोग होने के बावजूद भी उस जगह पर इतना ज्यादा शोर शराबा नहीं था और ऊपर से ऐसा ही लग रहा था कि यहां पर किसी आदमी की मौत हो गई है जिसकी वजह। वैसे यह लोग यहां पर शोक मना रहे हैं। फिर वह आदमी मुझे वहां से बाहर ले गया और फिर हम दोनों एक रेड़ी के सामने पहुंचे तो मैंने देखा कि वहां पर उसे रेडी के ऊपर मुझे कुछ काजु पड़े हुए नजर आ रहे थे। सामान को देखकर मुझे लगा कि यहां का सस्ता सामान मुझे भी खरीद लेना चाहिए। इसलिए मैं सीधा उस रेडी वाले के पास गया तो मेरे साथ साथ वह आदमी भी उस रेडी के सामने आ गया था। जैसे ही मैंने उस आदमी से पूछा कि की आखिरी एक काजु तुमने कैसे दिया है तो उसने मुझे बहुत ही कम पैसे बताए। लेकिन इसी बीच में कुछ ऐसा देखा जिसे देखने के बाद मेरे पूरे शरीर में झुनझुनी सी महसूस हुई। दरअसल मैंने देखा कि जो आदमी काजू बेच रहा था, वह कोई नॉर्मल आदमी नहीं था। उसके पांव पीछे की तरफ घूम हुए थे। अब एक पल के लिए तो मैं घबरा गया था लेकिन इस समय में उस आदमी को जताना नहीं चाहता था कि मैं उसकी वास्तविकता को पहचान गया हूं। इसलिए मैंने अपने आप को शांत रखा और उसके बाद में वहां से पीछे। की तरफ पलटने लगा। दर्शल् मेने उस रेडी वाले आदमी को यह बोल दिया था कि इस समय मेरे पास पैसे नहीं है और मैं इस सामान को बाद में खरीद लूंगा और फिर जैसे में पीछे कि तरफ आया तब उस सफेद रंग की ड्रेस पहने आदमी मेरे बगल में आकर बोला, मुझे तो लगा था। तुम सामान खरीदने वाले हो लेकिन कोई बात नहीं। तुमने अच्छा किया ना जाने वह सफेद कपड़े वाला आदमी बार-बार मुझे ऐसी कौन सी बात कह देता था जिसकी गहराई तक जाने के लिए मुझे बहुत समय लगता था। साथ ही उसकी हर एक बात के अंदर एक अजीब सा रहस्य छुपा हुआ होता था। तभी उस आदमी ने कहा वो सामने देखो एक तांगे वाला खड़ा है। अभी ये सुनते ही जब मैंने सामने की ओर देखा तो मैंने पाया कि वहां पर एक तांगे वाला था, लेकिन मेरी नजर बार-बार उसी रेडी वाले की तरफ जा रहि थी उस लेडी वाले से इस कदर डर गया था कि मेरी नजर उसके ऊपर से हटने का नाम ही नहीं ले रहि थी। तभी उस सफेद रंग के कपड़े पहने।हुये उस आदमी ने मुझसे कहा कि चिंता मत करो। यहां पर इस तरह की चीजों का देखना हम बात है और अभी तो तुम्हारा सफर शुरू हुआ है। इतना कहने के बाद वह फिर से अपनी खामोशी वाले अंदाज में रास्ते पर् तेज तेज चलने लगा अब तक मेरी धड़कनें भी तेज गति से धडकने लगी थी लेकिन जब मैं उसे रेडी से थोड़ी दूर आ गया था तब जाकर मुझे काफी हद तक थोड़ी राहत मिली। इसी बीच हम दोनों उस स्तांगे के पास पहुंच गए और जैसे हि हम वहां पर पहुंचे तो हमने देखा कि हमे वहां पर एक तांगा खंडा हुआ नजर आ रहा था और उसके ऊपर कोई बैठा हुआ था। जो गाने गुनगुना रहा था। फिर मैं सीधा उसके पास गया तो मैंने देखा कि वह एक महिला थी। अंधेरी रात होने की वजह से मुझे उसका चेहरा ठीक से नजर तो नहीं आ रहा था, लेकिन मैं इस बात का अंदाजा अच्छी तरह से लगा सकता था कि वह एक महिला ही थी। हालांकि उस समय मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि एक महिला इतनी रात को यहां पर टांगा कैसे चला सकति थी। खेर मुझे भी इस चीज से कुछ ज्यादा मतलब नहीं था। इसलिए मैंने मतलब की बातें रखते हुए कहा, क्या आप हमें आगे पिपराली स्टैंड तक छोड़ देंगि। मेरी बात सुनते हैं। उसने हम दोनो को पीछे बैठने का इशारा किया और जैसी में पीछे की तरफ घुमा तो मैंने देखा कि वह आदमी तो पहले।हि उस टांगे के अंदर बैठ चुका था। यह मेरे लिए थोड़ा अजीब था, मगर मैंने इसके ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर मैं भी उसी के अंदर जाकर बैठ गया। उसके अंदर बैठने के बाद जब मैं उस आदमी से उसका नाम और उसके काम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह एक तांगा चलाने का काम करता है और उसका नाम निलेश है। पर मैं और भी बहुत सारी बातें उस आदमी से करना चाहता था। लेकिन तभी उस आदमी ने मुझसे कहा कि कि तुम उसका काजू वाले से यु घबराए हुए क्यू थे और जैसे उस आदमी ने मुझे यह बात याद दिलाई तो फिर से मेरे पूरे बदन में एक सनसनी से मच गयि तभी उसने कहा कि वह देखो वह काजूवाला अभी भी तुम्हारे पीछे ही आ रहा है। जैसे मैंने उस तरफ देखा तो मेरे हाथ पैर थर थर कांपने लगे थे। दरअसल मैंने देखा कि वह कांजु वाला आदमी अपने सर पर एक टोकरी लिए मेरे पीछे आ रहा था। दिखने में तो ऐसा लग रहा था जैसे कि वह सड़क पर बड़े आराम से चल रहा था लेकिन जब मैंने तांगे की स्पीड को देखा।तो मैंने पाया कि वह बहुत ही रफ्तार से भाग रहा था। एक तरफ काजूवाला भूत बड़े आराम से चलकर भी हमारे पीछे पीछे आ रहा था और उसके और टांगे के बीच में अब ज्यादा कुछ दूर ही नहीं थी। तभी मैंने सामने की तरफ बैठे। उस महिला से कहा, आप तांगा थोड़ा तेज चलाइए। मैंने इतना कहा ही था कि इतने में मैंने देखा कि उस टांगे को चलाने वाला तो वहां पर कोई बैठा ही नहीं था। अब यह देखकर मैं तो सद् में मैं आ गया था। मैं हैरानी भरी नजरों से इधर-उधर देखने की कोशिश कर रहा था। पहले तो मुझे लगा की शायद अंधेरे में मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन फिर यह बात बिल्कुल साफ हो गई थी। की इस समय तांगा बिना ड्राइवर के चल रहा था और तभी मेरी नजर पीछे की तरफ गई तो मैंने देखा कि पीछे की तरफ से किसी की बात करने की आवाज आ रही थी और जैसे मैं पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि यह कोई और नहीं बल्कि वह इस सफेद रंग की ड्रेस पहने आदमी था और उस तांगे को चलाने वाली महिला थी और वह दोनों पीछे की तरफ बैठे हुए थे और वह आपस में कुछ बातें भी कर रहे।थे उन दोनों के एक साथ देकर मेरी तो रूह काप् उठी थी तभी मैंने देखा कि वह काजूवाला प्रेत भी अब बहुत ही पास आ गया था और वह उन दोनों को मुस्कुराते हुए देख रहा था। अब यह सब देखकर मैं तो सदमे में आ गया था और अब मुझे पूरी तरह से विश्वास हो गया था कि मैं भूतों की बस्ती के बीच में फस गया हूं और यह लोग मुझे अब इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाले तभी मैंने उस आदमी से कहा कौन हो। तुम और मुझे यहां पर क्यों लेकर आए हो, लेकिन उस आदमी ने मेरी बात का कोई भी जवाब नहीं दिया। वह उस महिला से बात किये जा रहा था। तभी मैंने देखा कि वहां से थोड़ी दूर आगे सड़क से सटा हुआ। मुझे मिट्टी का एक छोटा सा टीला नजर आ रहा था। फिर मैं मौका पाते ही तुरंत उस तांगे से नीचे कूद गया और जैसे मैं नीचे कूदा तो मैंने देखा कि उन दोनों के पांव भी बिल्कुल उसी काजु वाले भूत की तरह पीछे की तरफ मुड़े हुए थे और यह देखकर मेरे तो पसीने छूटने लगे। वहां से मुझे एक कच्चा रास्ता दिखाई पड़ रहा था बस फिर।क्या था मैं उसी रास्ते की तरफ सत्पत्।भागना शुरू कर दिया क्योंकि यहां तो मैं पूरी तरह भूतो के बीच में फस गया था। उस रास्ते पर भागते भागते। अब मैं खेतों के बीच में आ गया था और वहां पर मुझे सिंचाई नल के चलने की आवाज साफ साफ सुनाई दे रही थी। फिर भी मैं बार-बार पीछे की तरफ घूम कर देख लेता। लेकिन अब मुझे पीछे की ओर कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। फिर थोड़ी दूर आकर मुझे एक आदमी एक खेत के सामने लकड़ी का दरवाजा बंद करते हुए दिखा। ओर मे उस आदमी को देखकर मैं सीधा उसके पास चला गया और जब उसने मेरी हालत देखी तो कहीं ना कहीं वह इस बात को समझ गया था कि मैं बहुत ही बड़ी मुसीबत से बचकर आया। तभी उस आदमी ने कहा भाई साहब, इस तरह से क्यों डरे हुए हो उसके बाद में उस आदमी को विस्तार से पूरी बात बताई। मेरी बात सुनते उस आदमी ने कहा, अरे वाह साहब आप तो फालतू में डर रहे हो। दर्शल् वो को एक परिवार है और वह किसी को नुकसान नही पहुंचाता है। वह जो सफेद रंग के कपड़े पहने वाला आदमी जो आपको यहां पर लेकर आया था, वह आपको आप के भले के लिए लेकर आया था और वह काजु वाला आदमी भी उसी की फैमिली का मेंबर है।जो अपने काजू को बेचने के लिए आपके पीछे चलाया था और आप जिस महिला की बात कर रहे हो, वह भी सफेद कपड़े वाले भूत की वाइफ है। दोस्तों आज तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुझे पहेलियों में फंसा दिया था। उसके बाद उसने बताया कि वह लोग तांगा चलाने का और साथ ही खेती का भी काम किया करते थे, लेकिन पर एक दिन उसके पूरे परिवार के साथ एक रोड हादसा हो गया। जिसके अंदर उन चारों लोगों की मौत हो गई थी और फिर उसने आगे बताया कि मैं जिस टैक्सी से चलकर आया हूं वहीं से थोड़ा आगे उनका घर है और वह आदमी रात को रोजाना उस टैक्सी स्टैंड से यहां तक आता है पर उन लोगों ने आज तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन उनका डर इस कदर हावी है कि लोग उस टैक्सी स्टैंड पर नजर भी नहीं आते। फिर उसके बाद वह आदमी मुझे वहां से अपने खेत में मौजूद झोपड़ी में ले गया और वहां पर ले जाने के बाद उसने मुझे रात में आराम करने का सुझाव दिया। मैं आराम से लेट तो गया था, लेकिन अभी भी मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर उसके परिवार में वह चार मेँब्र्र्। कौन थे इस बीच कब् मेरी आंख लग गई, मुझे पता ही नहीं चला और फिर जब सुबह मेरी आंख खुलि तो मैंने देखा कि मैं सड़क के बगल में मौजूद कोई जगह पर लेटा हुआ था। यह सब देख कर मैं तो सदमे में आ गया था क्योंकि मैंने यह नहीं सोचा था कि मेरे साथ भी कभी भी ऐसी कोई घटना हो जाएगी। दोस्तों फिर उसके बाद मैं सीधा अपने घर के लिए निकल गया तभी मुझे एहसास होने लगा कि।चौथे मेंबर के बारे में जिसने मुझे बताया था वह कोई और नहीं बल्कि वह आदमी खुद ही था, जिसने मुझे झोपड़ी में रोका था और फिर वह झोपड़ी और वह आदमी सारी चीजें वहां से गायब हो गए। फिर उसके बाद में अपने घर तो आ गया। मगर मुझे करीब 4 दिन तक तेज बुखार रहा था। जब मैं एकदम ठीक-ठाक हूं और कभी किसी गलत स्थान से गुजरने की हिम्मत नहीं करता तो दोस्तों इस कहानी में बस इतना ही कहानी आपको पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक शेयर कमेंट जरूर् कर दें और साथ ही चैनल को भी सब्सक्राइब जरूजरूर्दें तो मैं जल्द ही मिलूंगा। ऐसी एक और डरावनी कहानी के साथ तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर
Horror story hindi आप देख रहे है भूतिया ऐहसास पूनम के साथ तो चलिए बढ़ते है आज की काहनी...